40 साल के हरियाणवी संग्राम सिंह लड़ेंगे बिग फाइट:रोज 6 घंटे वर्कआउट, डाइट में दूध-घी-चूरमा; 20 को इंग्लैंड में तुर्की फाइटर से मुकाबला
हरियाणा के 40 वर्षीय मिक्सड मार्शल आर्ट (MMA) फाइटर संग्राम सिंह बड़ी फाइट लड़ने जा रहे हैं। यह फाइट 20 दिसंबर को इंग्लैंड में होगी। केज में सामने होगा तुर्की का 25 साल का फाइटर गुलाबी अकबुलूत। एमएमए चैंपियन अकबुलूत स्ट्राइकिंग क्षमता और आक्रामक अंदाज के लिए दुनिया भर में चर्चित हैं। अकबूलुत ने तीन मैच जीते हैं और एक हारा। हारने वाले मैच सिर और नाक फट गया था। संग्राम भारतीय और रशियन कोच की निगरानी में रोज 6 घंटे प्रैक्टिस कर रहे हैं। पेरिस, थाईलैंड और बाली में ट्रेनिंग शेड्यूल के बाद मुंबई लौटे हैं। खास बात ये है कि हरियाणवी फाइटर शुद्ध शाकाहार पर निर्भर हैं। दूध-घी-चूरमा उनकी डाइट का अहम हिस्सा है। संग्राम सिंह दो बार एमएमए खिताब जीत चुके हैं। इंग्लैंड के पहली बार केज में उतरेंगे। प्रिमियर कॉम्बैट फाइटिंग चैंपियनशिप (PCFC) में होने वाला यह मुकाबला उनके करियर की तीसरा प्रोफेशनल फाइट है। संग्राम मूलरूप से रोहतक के मदीना गांव से नाता रखते हैं। एमएमए में बॉक्सिंग, किक बॉक्सिंग, रेसलिंग, जूडो, कराटे और ब्राजीलियन जिउ-जित्सु सब शामिल रहता है। यानी एक ही फाइट में मारना, पकड़ना, गिराना और सबमिशन सब कुछ शामिल होता है। पहले पढ़िए, संग्राम सिंह के खेल के रोचक किस्से... तीन साल के थे तब डॉक्टर्स ने कहा- बचने के चांस कम संग्राम बताते हैं-3 साल का था, जब मुझे रुमेटॉइड गठिया हो गया था। लंबे समय तक कोई इस बीमारी को समझ नहीं पाया। कोई कहता था कि पेट में कीड़े पड़ गए हैं, तो कोई अलग ही बीमारी बता देता। डॉक्टर्स के साथ वैद्य से भी इलाज करवाया गया। इलाज के लिए 2 से 3 किलोमीटर तक मां गोद में लिए पैदल ही चलती थीं। किसी गाड़ी या टैक्सी के लिए पैसे नहीं होते थे। शरीर में दर्द बढ़ता गया। शरीर पतला हो गया। खुद से खाना भी नहीं खा पाता था। मां गोद में उठाकर नित्य कर्म के लिए ले जाती थीं। किसी तरह पैसे इकट्ठा करके घरवालों ने मुझे दिल्ली के हॉस्पिटल में दिखाया। वहां के डॉक्टर ने कहा कि यह बीमारी मौत के साथ जाती है। इसके बचने के बहुत कम चांसेज हैं। इतना सब कुछ सुनने के बाद भी मेरे घरवालों ने हार नहीं मानी। उन्हीं की मेहनत और परमात्मा के आशीर्वाद से मैं ठीक हो गया और खुद के पैरों पर खड़ा हुआ।’ अब जानिए, संग्राम सिंह की इस बड़ी फाइट को लेकर क्या तैयारी... स्कूल में बच्चे बीमारी का मजाक बनाते थे संग्राम बताते हैं- एक वक्त ऐसा था कि लोग मेरी इस कमजोरी का मजाक बनाते थे। स्कूल में भी लोग हंसते थे। उस समय व्हीलचेयर जैसी चीजें आम नहीं थीं। लकड़ी का सहारा लेकर किसी तरह चलता था। चलते वक्त ऐसा महसूस होता था कि मानो पैरों में कांटे चुभ रहे हों। गांव में कुश्ती देख पहलवान बनने का फैसला किया एक दिन मैंने गांव में कुश्ती देख ली। किसी ने मुझे बैसाखी के जरिए अखाड़े तक पहुंचाया। अखाड़े में पहलवानों के खाने के लिए दूध-दही और घी की व्यवस्था थी। साथ में पैसे और बहुत सारा सम्मान भी मिलता था। मैं मन ही मन बहुत प्रभावित हुआ। सोचने लगा कि काश, मैं भी कुश्ती खेल पाता। मेरे बड़े भाई साहब अखाड़े में जाते थे। वहां खड़े एक मेंटर से मैंने कहा कि मुझे भी कुश्ती सीखनी है। उन्होंने मेरा मजाक बना दिया, बेइज्जती की। कहा कि अगर तुम कभी कुश्ती खेल सकोगे तो देश का कोई भी बच्चा कुश्ती में भाग ले सकेगा। मां को यकीन था कि इतनी खतरनाक बीमारी के बावजूद वे रेसलिंग कर सकते हैं। संग्राम की बॉडी की तंदरुस्ती के लिए मां दिन में कई बार मसाज करती थीं। ऑल इंडिया पुलिस गेम्स में पहला मेडल जीता संग्राम बताते हैं- दिन बीतते गए। हर दिन के साथ मेरी बीमारी सही होती गई। मैंने दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद के लिए प्रयास किया, जिसमें सफल भी हुआ। इसके बाद ऑल इंडिया पुलिस गेम्स के अंडर होने वाले कुश्ती प्रतियोगिता में पहला मेडल जीता।
लुधियाना के तनवीर का ओलिंपिक में जाने को अनूठा वर्कआउट:12 साल की उम्र में टायर खींचकर रनिंग; आर्मी रिटायर पिता ने घर में बनाई देसी जिम
पंजाब के अमृतसर के रहने वाले 12 वर्षीय एथलीट तनवीर सिंह संधू स्पोर्ट्स में करिअर बनाने के लिए अनूठा वर्कआउट कर रहे हैं। सुबह सवेरे ही घर में बनाए गए देसी जिम में पिता के साथ वर्कआउट करते हैं। तनवीर 100 मीटर रनिंग (ओलिंपिक) में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, इसके लिए 3 साल से ट्रेनिंग कर रहे हैं। तनवीर के पिता और दादा दोनों सेना में रहे हैं। उन्होंने तनवीर के लिए घर पर एक देसी जिम तैयार किया है। इस जिम में ट्रक के टायर, रस्सी, वेट लिफ्टिंग से संबंधित कई तरह के स्पोर्ट्स इक्विपमेंट रखे हैं। तनवीर के पिता की मानें तो वो रोजाना 3-4 घंटे वर्कआउट करता है। कुछ दिनों से उन्होंने तनवीर को एक प्रोफेशनल कोच के पास टेक्निकल ट्रेनिंग के लिए भेजा है। वहीं तनवीर के रिकॉर्ड्स की बात करें तो साढ़े 12 सेकेंड में वो 100 मीटर दौड़ते हैं। जूनियर वर्ल्ड रिकार्ड की तैयारी कर रहा तनवीर तनवीर अमृतसर के बरियाम नंगल में रहते हैं। उनके के पिता बिक्रमजीत सिंह ने बताया कि वह 100 मीटर रेस 12:30 से 13:00 सेकेंड में पूरी करता है। यह स्पीड उसकी बिना टेक्निकल टिप्स के है। अब उसे टेक्निकल टिप्स लेने के लिए एक प्रोफेशनल कोच के पास भेजा है। जिससे उसकी स्पीड में तेजी आ सके। वहीं इस केटेगरी (अंडर-15) में वर्ल्ड रिकॉर्ड इंग्लैंड के डिवाइन ल्हेमे के नाम है। उन्होंने 100 की रेस 10:30 सेकेंड में पूरी की है। नया मीट रिकॉर्ड सेट करने के लिए ही तनवीर प्रेक्टिस कर रहा है। पिता रिटायर हुए तो घर में बनाया देसी जिम बिक्रमजीत सिंह ने बताया कि वो करीब 3 साल पहले सेना से रिटायर होकर घर आए तो उन्होंने घर पर ही देसी जिम बना दिया। वो खुद सेना में बॉक्सिंग इवेंट में हिस्सा लेते रहे हैं। रिटायर होने के बाद वो घर पर वर्कआउट करते थे तो साथ में उनका बेटा भी करने लगा। छोटी उम्र में ही उसने वर्कआउट में काफी समय दिया, इसलिए उन्होंने उसे एथलेटिक्स में भेजने का फैसला लिया। अब तनवीर रोजाना सुबह एक घंटे और शाम को 3-4 घंटे वर्कआउट करता है। अब पढ़िए क्या है तनवीर का वर्कआउट सेशन... प्रोटीन युक्त डाइट पर फोकस बिक्रमजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने घर में पशु पाल रखे हैं। तो जब वो दूध निकालते हैं तो तनवीर वहीं पहुंच जाता है और वहीं पर दूध पीना शुरू कर देता है। इसके अलावा डाइट में प्रोटीन युक्त खाना देते हैं। इसमें हफ्ते में एक-दो दिन नॉनवेज भी शामिल होता है।
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