ट्रेड डील पर भारत ने कर दी अमेरिकी की बोलती बंद, पीयूष गोयल का बड़ा ऐलान
ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर भारत अमेरिका के बीच लंबे वक्त से बातचीत चल रही है लेकिन दोनों देश अभी तक एक दूसरे से सहमत नहीं हुए हैं। दिल्ली में भारत अमेरिका के बीच दो दिनों की व्यापारिक बातचीत तो पूरी हुई लेकिन कुछ भी निकल कर सामने नहीं आया और इसी बीच वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी साफ तौर पर कहा कि अगर अमेरिका वास्तव में भारत की व्यापारिक पेशकश से संतुष्ट है तो उसे अब बिना देर किए मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए। यह टिप्पणी उस वक्त आई जब वाशिंगटन में अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव जेमिसन ग्रियर ने भारत के प्रस्ताव को अब तक का सबसे अच्छा ऑफर बताया था। पीयूष गोयल ने इस सराहना का स्वागत किया लेकिन पेशकश में क्या शामिल है यह बताने से उन्होंने इंकार किया। इतना जरूर कहा कि अगर अमेरिकी पक्ष पूरी तरह खुश है तो औपचारिक दस्तावेज पर आगे बढ़ना ही अगला तार्किक कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी समय सीमा को लेकर दबाव बनाने का इरादा नहीं है। यह बयान ऐसे वक्त में आया जब दिल्ली में भारत अमेरिका के बीच दो दिनों की व्यापारिक बातचीत पूरी हुई है।
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स्विट्जर ने वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व वाले भारतीय दल के साथ दो दिन तक बातचीत की। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच भी फोन पर बातचीत हुई, जिसमें व्यापार, ऊर्जा, रक्षा, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। एफटीए पर हस्ताक्षर अगले साल मार्च में होने की संभावना जताने वाले मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन के बयान के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि वह इस टिप्पणी से अवगत नहीं हैं और समझौते के लिए कोई भी समय-सीमा तय करना सही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कोई समझौता तभी होता है जब दोनों पक्षों को लाभ हो। समय-सीमा बनाकर वार्ता नहीं करनी चाहिए, इससे गलतियां होती हैं।
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दोनों देश इस साल की शुरुआत में नेताओं द्वारा निर्धारित लक्ष्य ट्रेड डील के प्रथम चरण को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह प्रारंभिक पैकेज शुल्क, समायोजन, सेवाओं की पहुंच, डिजिटल व्यापार और कुछ पुराने विवादों को संबोधित करेगा। इस बीच पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत भी हुई। जिसमें दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी और व्यापार से जुड़े मुद्दों की समीक्षा की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि बातचीत बेहद गर्मजशी भरी रही और दोनों देश वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए साथ मिलकर काम करते रहेंगे। यह व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए एक बड़ा अवसर माना जा रहा है और अनुमान है कि इसके लागू होने से द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक $500 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
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जबकि फिलहाल यह लगभग 191 अरब डॉलर के आसपास है। अमेरिका पिछले 4 सालों से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। और यही वजह है कि यह समझौता आर्थिक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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मेक्सिको ने भारत को तगड़ा झटका दिया। सालों से फ्री ट्रेड के नाम पर खुला बाजार रखने वाले मेक्सिको ने एक ऐसा कदम उठाया जिससे भारत पर 50% तक का टेरिफ लग सकता है। दरअसल मेक्सिकन सीनेट ने नया टेरिफ सिस्टम मंजूर कर दिया है जिसमें उन देशों से आने वाले हजारों प्रोडक्ट पर भारी ड्यूटी लगाई जाएगी जिनके साथ उसका ट्रेड एग्रीमेंट नहीं है। इस लिस्ट में भारत भी शामिल है। साथ में चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे बड़े एशियाई देश भी हैं। कुछ चीजों पर 50% तक का टैक्स लगेगा। जबकि ज्यादातर सामान 35% वाले ब्रैकेट में आएंगे। इसमें कार, कार के पार्ट्स, टेक्सटाइल, शूज, प्लास्टिक, मेटल यानी आधी दुनिया का सामान शामिल। अगले साल यानी कि 2026 में यह नए रेट लागू होंगे।
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भारत से मेक्सिको को होने वाला निर्यात लगातार बढ़ा है। 2020 में यह 4.25 अरब डॉलर था जो 2024 में बढ़कर 8.98 अरब डॉलर हो गया। यानी लगभग दो गुना हो गया। जबकि 2024 में सिर्फ $.8 अरब डॉलर का ही सामान आयत किया गया था। चलिए अब बीते कुछ सालों में भारत और मेक्सिको के बीच व्यापार कितना बढ़ा है उस पर भी एक नजर डालते हैं। दरअसल 2022 में दोनों देशों के बीच 11.4 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। हालांकि 2023 में गिरावट आई और यह 10.6 अरब डॉलर रहा। 2024 में उछाल के साथ 11.7 अरब डॉलर तक व्यापार हुआ जो ऑल टाइम हाई है। यानी कि मेक्सिको की ओर से भारत पर 50% टेरिफ लगाने से जरूर व्यापारिक संबंध खराब होंगे और इसके लिए कोई जिम्मेदार है तो वो ट्रंप ही है।
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10 दिसंबर को मेक्सिको की सीनेट ने एक बड़ा बिल पास किया है। जिसमें चीन, भारत, साउथ कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे एशियाई देशों पर 50% तक टेरिफ लगाने का प्रावधान है। यह बिल्कुल ट्रंप के टेरिफ जैसा है। मेक्सिको में एक्सपोर्ट होने वाले ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, कपड़े, जूते, चप्पल, प्लास्टिक, स्टील, फर्नीचर,खिलौने, एलुमिनियम और कांच से जुड़े सामान महंगे होंगे। कहा जा रहा है कि मेक्सिको ने यह सब ट्रंप को खुश करने के लिए किया है। ट्रंप ने मेक्सिको पर चीन से दूरी बनाने का दबाव डाला है। 2026 में यूएस मेक्सिको कनाडा ट्रेड डील की समीक्षा होनी है और अमेरिका मैक्सिको को चीन का बैक डोर एंट्री पॉइंट मान रहा है।
भारतीय निर्यातकों को चिंता है कि कीमत बढ़ेगी, मार्जिन घटेगा और मेक्सिको में टिकना कठिन हो जाएगा। कई मैक्सिकन कंपनियों ने भी चेतावनी दी है कि भारत और एशिया से आने वाले सामान पर इतनी ड्यूटी लगाने से उनके अपने उत्पादन खर्च बढ़ जाएंगे और महंगाई भी बढ़ेगी। वहीं कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी जड़े अमेरिका में अगले साल यूएस एमसीए की समीक्षा होनी है। यानी अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा वाला व्यापार समझौता। अमेरिका लगातार चीन के सामान पर दबाव बढ़ा रहा है और साथ ही साथ भारत को भी घेरने में लगा है और मेक्सिको पर भी यह लाइन फॉलो करने का दबाव है। माना जा रहा है कि मेक्सिको यह दिखाना चाहता है कि वह अमेरिका के सुर में सुर मिला रहा है ताकि अपने ऊपर लगे अमेरिकी टेरिफ कम हो सके।




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