प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की यात्रा पर जा रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने आज औपचारिक रूप से उनके दौरे के कार्यक्रम की घोषणा की। यह त्रिकोणीय यात्रा केवल एक नियमित कूटनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सक्रिय और आत्मविश्वासी विदेश नीति का सशक्त प्रतीक मानी जा रही है, जिसके ज़रिये भारत पश्चिम एशिया और अफ्रीका में अपने रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा हितों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की तैयारी कर रहा है।
जहां तक भारत और जॉर्डन के संबंधों की बात है तो आपको बता दें कि इस वर्ष दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं, जो आपसी विश्वास और सहयोग की लंबी परंपरा को दर्शाता है। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा ने इन संबंधों में नई ऊर्जा का संचार किया था। इसके बाद विभिन्न वैश्विक मंचों पर मोदी और किंग अब्दुल्ला द्वितीय की बार-बार मुलाकातों ने आपसी समझ को और मजबूती दी है। आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई में जॉर्डन का मुखर समर्थन इस साझेदारी का महत्वपूर्ण आधार है।
आर्थिक दृष्टि से जॉर्डन भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वह भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और हमारे उर्वरक क्षेत्र विशेषकर फॉस्फेट और पोटाश के लिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। जॉर्डन–इंडिया फ़र्टिलाइज़र कंपनी (JIFCO) के रूप में 860 मिलियन डॉलर का संयुक्त उपक्रम भारत की खाद्य सुरक्षा और कृषि स्थिरता के लिए अहम भूमिका निभाता है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग भी लगातार गहरा हो रहा है। 2018 का रक्षा समझौता, सैन्य प्रशिक्षण और उच्च-स्तरीय तकनीकी साझेदारी भारत–जॉर्डन संबंधों को नई ऊँचाइयाँ दे रहे हैं। मोदी की यह यात्रा जॉर्डन को भारत की “वेस्ट एशिया स्थिरता रणनीति” में और मजबूती से स्थापित करेगी। देखा जाये तो क्षेत्रीय शांति, आतंकवाद निरोध और कूटनीतिक संतुलन के संदर्भ में यह संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वहीं भारत–इथियोपिया संबंध दो हजार वर्षों की ऐतिहासिक गहराई रखते हैं। दोनों देशों के बीच प्राचीन व्यापार मार्गों से लेकर सांस्कृतिक विनिमय और उपनिवेश विरोधी सहयोग का इतिहास रहा है। स्वतंत्रता के बाद से दोनों देशों के बीच राजनीतिक संपर्क निरंतर मजबूत होते रहे हैं। हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी और इथियोपियाई प्रधानमंत्री अबिय अहमद के बीच कई उच्च-स्तरीय बैठकों में तकनीक, कृषि, क्षमता निर्माण, ICT, कौशल विकास और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को नई दिशा मिली है।
आर्थिक संबंधों की बात करें तो इथियोपिया भारत का अफ्रीका में एक प्रमुख साझेदार बन चुका है। 675 से अधिक भारतीय कंपनियाँ इथियोपिया में 6.5 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश कर चुकी हैं। विशेषकर विनिर्माण, वस्त्र, कृषि और फार्मा क्षेत्रों में। भारतीय दवाइयाँ इथियोपिया के स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ़ हैं, जबकि वहां से आयातित दालें और फ्लैक्स यार्न भारतीय बाज़ार में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। भारतीय शिक्षकों, विशेषज्ञों और पेशेवरों ने इथियोपिया के विश्वविद्यालयों, औद्योगिक इकाइयों और प्रशासनिक संस्थानों में क्षमता निर्माण का उल्लेखनीय कार्य किया है। इथियोपिया, अफ्रीकी संघ का मुख्यालय होने के कारण, भारत की अफ्रीका नीति में केंद्रीय भूमिका निभाता है। इस संदर्भ में मोदी की यात्रा स्पष्ट रूप से बताती है कि भारत अफ्रीका के विकास मॉडल का एक स्थायी साझेदार बनने को प्रतिबद्ध है।
इसके अलावा, भारत और ओमान के संबंध 5,000 वर्षों की सांस्कृतिक निकटता और समुद्री व्यापार की परंपरा पर आधारित हैं। 2008 में इसे रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया गया और आज यह भारत की पश्चिम एशिया नीति का मजबूत स्तंभ है। प्रधानमंत्री मोदी की 2018 की यात्रा ने इस संबंध को आधुनिक और बहुआयामी आयाम दिए। हम आपको बता दें कि ओमान भारत का सबसे करीबी रक्षा साझेदार है। यह एकमात्र खाड़ी देश है जिसके साथ भारत त्रि-सेवा संयुक्त अभ्यास करता है। नौसैनिक सहयोग और सैन्य रसद पहुंच दोनों देशों को हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त प्रदान करती है।
आर्थिक क्षेत्र में भी ओमान का महत्व अत्यधिक है। 2024–25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10 बिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच चुका है। 6,000 से अधिक भारत–ओमान संयुक्त उद्यम सक्रिय हैं। ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल, ग्रीन हाइड्रोजन, इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में भारतीय कंपनियाँ निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। लगभग 6.7 लाख भारतीय नागरिक ओमान में रहते हैं और दोनों देशों के बीच मानवीय संबंधों का जीवंत पुल बनाते हैं। मोदी की यह यात्रा आने वाले वर्षों में सामरिक सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक निवेशों के नए आयाम खोलेगी।
देखा जाये तो जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की यह त्रिकोणीय यात्रा भारत की विदेश नीति के उस नए युग का प्रत्यक्ष प्रमाण है, जिसमें भारत अब केवल अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक शक्ति बन चुका है। मोदी सरकार की विदेश नीति तीन मुख्य आधारों पर टिकी है। पहली है सामरिक स्वायत्तता यानि भारत किसी ब्लॉक का मोहरा नहीं, अपनी शर्तों पर साझेदारी करता है। दूसरी है विकास आधारित कूटनीति यानि भारत उन देशों के साथ खड़ा होता है जिन्हें अपने विकास में वास्तविक साझेदार की आवश्यकता है। तीसरी नीति है ग्लोबल साउथ की नेतृत्वकारी आवाज़ यानि भारत उन देशों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है जिनकी आवाज़ दशकों तक अनसुनी रही।
बहरहाल, मोदी की पश्चिम एशिया और अफ्रीका यात्रा वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती शक्ति का स्पष्ट संकेत है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब विश्व व्यवस्था तेजी से बदल रही है और बड़े राष्ट्र अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों को मजबूत करने में लगे हैं। भारत का जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान जैसे रणनीतिक देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करना न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय साख और कूटनीतिक पकड़ और मजबूत होगी। इस यात्रा के दूरगामी परिणाम चीन और पाकिस्तान तक महसूस होंगे, क्योंकि अफ्रीका और पश्चिम एशिया में भारत का बढ़ता प्रभाव उनकी पारंपरिक रणनीतिक गणनाओं को चुनौती देता है। चीन जो अब तक अफ्रीका में व्यापक आर्थिक निवेश के दम पर अपना प्रभाव बढ़ाता आया है, वहां भारत के उभरते नेतृत्व और विश्वास-आधारित साझेदारी से असहज होगा। वहीं पाकिस्तान के लिए यह यात्रा इस बात का संकेत है कि भारत न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि विस्तृत एशिया–अफ्रीका भू-भाग में भी निर्णायक कूटनीतिक शक्ति बन चुका है। कुल मिलाकर, मोदी की यह पहल भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के केंद्र में और अधिक मजबूती से स्थापित करती है।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों द्वारा एक पुलिस चौकी पर किए गए हमले में कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
प्रवक्ता के बयान में कहा गया कि फितना अल ख्वारिज आतंकवादियों ने बृहस्पतिवार रात, बन्नू जिले के हावैद पुलिस क्षेत्र में स्थित शेख लैंडक पुलिस चौकी को निशाना बनाया।
फितना अल खवारिज एक शब्द है जिसका इस्तेमाल सरकार प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े आतंकवादियों के लिए करती है।
बयान में बताया गया कि पुलिसकर्मियों ने साहस और बहादुरी का परिचय देते हुए समय रहते कार्रवाई की और हमले को नाकाम कर दिया।
हमलावरों और पुलिस के बीच तीन घंटे तक गोलीबारी जारी रही।
पुलिस के अनुसार, कई आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया और कई घायल हुए। गोलीबारी में पांच पुलिसकर्मी मामूली रूप से घायल हुए, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया।
बयान में कहा गया कि बन्नू के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) सज्जाद खान के निर्देश पर अतिरिक्त बल घटनास्थल पर पहुंचा और इलाके को घेर लिया।
यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब बृहस्पतिवार को फुटबॉल मैच के दौरान आतंकवादियों द्वारा किए गए ‘क्वाडकॉप्टर’ हमले में नाबालिगों सहित कम से कम सात लोगों के घायल होने की घटना के बाद इलाके में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
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