अमेरिका-यूरोप को लगा सबसे बड़ा झटका, मोदी-पुतिन ने मिलकर रूस के लिए UN में पलटा पूरा खेल
दिल्ली का पालम एयरपोर्ट रात का समय लाल कालीन हवा में हल्की ठंड और दुनिया की निगाहें भारत की राजधानी दिल्ली पर। रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन का विमान जैसे ही रनवे पर उतरा भारत की कूटनीति का इतिहास एक नया पन्ना जोड़ लेता है। क्योंकि उस रनवे पर किसी अधिकारी का किसी मंत्री का स्वागत नहीं हो रहा था। वहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ प्रोटोकॉल से हटकर नहीं बल्कि कूटनीति की परंपराओं को बदलकर और जैसे ही पुतिन नीचे उतरे दोनों ने पहले हाथ मिलाया फिर गले लगा लिया और दुनिया समझ गई दोस्त बदलते नहीं है पर भारत का आत्मविश्वास जरूर बदल गया है। यह दृश्य सिर्फ स्वागत नहीं था। यह स्पष्ट संदेश था एक दिलचस्प तेज निडर संदेश शो सीधे वाशिंगटन लंदन पेरिस बर्लिन तक पहुंच गया और सच तो यह है कि यह दृश्य था जिसे देखकर पश्चिम के रणनीतिकार इंडिया इज चेंजिंग ग्लोबल इक्वेशन कहते हैं।
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एक तरफ दिल्ली में पुतिन का स्वागत उसी समय न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र में क्या चल रहा था यूक्रेन ने आरोप लगाया कि 6395 बच्चों को रूस ने जबरन अपने कब्जे में कर लिया अमेरिका यूरोप ने रूस के खिलाफ प्रस्ताव लाया। वोटिंग करनी थी, दबाव था, लॉबिंग थी। पश्चिम चाहता था कि भारत खुलकर रूस के खिलाफ वोट कर दे। लेकिन भारत ने कहा कि ना हम समर्थन करेंगे, ना विरोध करेंगे। हम शांति को प्राथमिकता देंगे और भारत ने किया एब्सेंट किया। अबब्सेंट ने पश्चिम के राजनीतिक गलियारों में वो करंट दौड़ा दिया जिसकी संभावना किसी ने नहीं की थी। भारत ने यूएन में कहा कि हम मानवाधिकारों की रक्षा के पक्ष में हैं। लेकिन राजनीतिक टकराव का हिस्सा हम नहीं बनने वाले।
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भारत ने सार्वजनिक रूप से रूस को डिप्लोमेटिक आइसोलेशन से बाहर निकाल दिया और सबसे महत्वपूर्ण बात दिल्ली ने दिखा दिया कि मॉस्को अब भी उसका स्टेबल पार्टनर है। पुतिन ने इसलिए विश्वास का संदेश दिया कि भारत एक भरोसेमंद शक्ति है। भारत ने बता दिया कि हम किसी भी रेोल्यूशन का हिस्सा नहीं बनेंगे। जो आग बुझाने के बजाय और हवा दे यूएनजीए का प्रस्ताव युद्ध रोकने में मदद नहीं कर रहा था वो सिर्फ ब्लेम शिफ्टिंग था और भारत ब्लेम कैंप में खड़ा नहीं होता है।
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पीएम नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को हैदराबाद हाउस में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ बैठक कर दुनिया के लिए कई संदेश दिए। दोनों देशों ने हेल्थ, मेबिलिटी शिपिंग समेत कई सेक्टर्स में अहम करारों पर सहमति के साथ साल 2030 तक का आर्थिक रोडमैर तैयार किया है। कुल मिलाकर एक लाइन में कहे कि दिल्ली में मोदी पुतिन ने हाथ मिलाया और न्यूयॉर्क में भारत ने दुनिया को दिखाया कि ना हम झुकते हैं ना हम टूटते हैं। हम सिर्फ अपने हितों के लिए खड़े होते हैं।
सामने बैठे थे मोदी, तभी सस्ते तेल पर ऐसा क्या बोल गए पुतिन? ट्रंप के पैरों के नीचे से खिसक जाएगी जमीन
रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन ने पीएम मोदी के साथ जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में अचानक कुछ ऐसे बयान दिए जो हैरान करने वाले हैं। आप जानते ही हैं कि अमेरिका और पश्चिमी देशों ने भारत और रूस पर भयंकर दबाव बना रखा है। रूस पर सेंशंस लगाए गए हैं तो भारत पर टैरिफ थोप दिए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद पुतिन ने सबके सामने पहले तो भारतीय रुपए पर बड़ा ऐलान कर दिया और उसके बाद जाते-जाते सस्ते तेल पर भी तीखा बयान दे गए। पुतिन ने भयंकर वैश्विक दबाव के बावजूद पीएम मोदी के सामने ऐलान कर दिया कि हम बिना रोक-टोक भारत को सस्ता तेल सप्लाई करते रहेंगे। पुतिन ने कहा कि रूस तेल, गैस, कोयला और भारत की एनर्जी के विकास के लिए हर जरूरी चीज का एक भरोसेमंद सप्लायर है। हम तेजी से बढ़ती भारतीय इकॉनमी के लिए तेल की बिना रुकावट शिपमेंट जारी रखने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हम पर किसी दबाव का असर नहीं होगा।
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भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए मोदी ने रूसी कंपनियों को न्यौता देते हुए कहा आइए और भारत में बनाइए। भारत के साथ साझेदारी कीजिए। पीएम ने कहा कि दोनों देश यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ एफटीए के जल्द समापन के लिए कोशिश कर रहे हैं। भारत रूस INSTC, नॉर्दन सी रूट, चेन्नै व्लादिवोस्टोक कॉरिडोर के मामले पर नई ऊर्जा से आगे बढ़ेगे। दोनों देश प्रशिक्षण और कौशल पर भी काम करेंगे। छात्रों, स्कॉलर्स और खिलाडियों का आदान प्रदान भी बढ़ाया जाएगा। यूक्रेन युद्ध पर पीएम मोदी ने कहा, हम शातिपूर्ण और स्थायी समाधान के लिए सभी प्रयासों का स्वागत करते है। भारत हमेशा शांति के लिए योगदान देने को तैयार रहा है और आगे भी ऐसा करता रहेगा। पहलगाम हमले का जिक कर इशारों इशारों में पाकिस्तान को आतकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और सास की एकजुटता पर संदेश दिया।
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यूक्रेन जंग शुरू होने से पहले भारत का रूस से तेल इंपोर्ट केवल 2.5% था। लेकिन जंग के बाद यह 35% से भी ज्यादा हो गया है। पुतिन ने आगे कहा कि पिछले करीब 50 सालों से रूस भारतीय सेना को हथियार देने और उन्हें आधुनिक बनाने में मदद करता आया है। फिर चाहे वह हथियार एयर डिफेंस फोर्सेस के लिए हो, एविएशन के लिए हो या फिर नेवी के लिए। इसी के बाद पुतिन ने अचानक कहा कि मैं आपको बता दूं कि भारत और रूस के बीच अब 96% पेमेंट अपनी ही करेंसी में हो रही है। यानी रुपए और रूबल में डील चल रही है। अब पुतिन का यह बयान सुनकर डोनाल्ड ट्रंप के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाएगी।
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