वन चाइना पॉलिसी को मिल रही चुनौती ने चीन को बेचैन कर दिया है और यही वजह है कि चीन अब वह कदम उठा रहा है जो बेहद घातक है, खतरनाक है और कुछ भी हो सकता है। एक युद्ध दस्तक दे रहा है, हमला होगा और फिर कब्जा होगा एक देश पर। चीन की यह तैयारी है। चीन उस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। ताइवान को तीन तरफ से घेर कर मिसाइल दागना, फायर लाइफ ड्रिल करना। ये बता रहा है कि चीन ताइवान के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है और अगर दोनों भिड़े तो अंजाम घातक होगा। पीपल लिबरेशन आर्मी यानी कि पीएलए ने साल 2025 के आखिर में जस्टिस मिशन 2025 नाम से एक बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया।
ताइवान के आसपास समुद्री और हवाई क्षेत्र में आयोजित किया गया। यह अभ्यास ना केवल सैन्य शक्ति प्रदर्शन है बल्कि क्षेत्रीय संप्रभुता अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नई चुनौती को रूप दे रहा है। ताइवान ने इसे सीधी धमकी माना है और अपनी सेनाओं को हाई अलर्ट पर रख दिया है। लेकिन चीन है कि मानता नहीं। चीन के ईस्टर्न कमांड ने 29 दिसंबर को इस अभ्यास की शुरुआत की। अभ्यास में थल सेना, नौसेना, वायुसेना, तोपखाने की इकाइयों को ताइवान को घेरा गया, तैनात किया गया और जो सैन्य संपत्तियां इस्तेमाल किया चाइना ने वो बताता है कि देखिए कितना खतरनाक है। अभ्यास में क्या-क्या लेकर आ गया चीन। फाइटर जेट जैसे J20 स्टील फाइटर। इसके अलावा बमबर H6 के ड्रोन विंग लूम सीरीज लॉन्ग रेंज मिसाइलें जिसमें डीएफ7 हाइपरसोनिक मिसाइल भी शामिल है। यह सभी ताइवान स्टेट के पूर्वी हिस्से में समुद्र और हवाई क्षेत्र में तैनात किया गया। इसके अलावा लाइव फायर ड्रिल भी किया गया और इसमें वास्तविक गोला बारूद के इस्तेमाल किए गए और लक्ष्यों पर हमले का ड्रिल किया गया।
चीन और ताइवान का विवाद 1949 के गृह युद्ध से जुड़ा है जब कम्युनिस्ट पार्टी ने मेनलैंड चीन पर कब्जा कर लिया। राष्ट्रवादी सरकार ताइवान द्वीप पर चली गई। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और वन चाइना नीति के तहत इसे वापस जोड़ने की बात करता है और दुनिया के तमाम देशों से कहता है कि वन चाइना पॉलिसी मानना पड़ेगा। जबकि चीन को बैलेंस करने के लिए कई देश उसकी वन चाइना पॉलिसी को चुनौती देते हैं। जबकि ताइवान जो है वो भी खुद को स्वतंत्र राष्ट्र मानता है।
लोकतांत्रिक देश के रूप में मानता है। बीते कुछ वर्षों में खास करके साल 2022 से अगर हम बात करें तो अमेरिकी हाउस स्पीकर नसी पॉलिसी ने ताइवान का दौरा किया। इसके बाद से ये झड़पें जो है वो बढ़ गई क्योंकि चीन ने इसे एक अग्रेशन माना कि अमेरिका पूरी तरह से अब ताइवान की तरफ जाता दिख रहा है। हाल ही में ताइवान को एक बड़ा अमेरिकी हथियारों का सौदा भी हुआ जिसमें 11.1 अरब डॉलर के हथियार बेचने की जानकारी सामने आई।
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त्रिपुरा की धरती पर आठ बांग्लादेशी गैस टैंकर्स को रोक दिया गया और फिर गूंजा बांग्लादेशी वापस जाओ। यह भारत के धैर्य का टूटना, जनता का गुस्सा और एक साफ संदेश उन लोगों को जो भारत को अनाप शनाप बकते हैं। सच्चाई यही है आज की कि बांग्लादेश में हर रोज जो कुछ हो रहा वो सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक दिख भी रहा कि भारत विरोधी लोग कैसे बांग्लादेश की सड़कों पर उतरे हैं। लेकिन इनका इलाज भारत बखूबी कर रहा है।
बांग्लादेश में शेख हसीना की अगुवाई वाली जो लोकतांत्रिक सरकार थी उसके हटने के बाद जो हुआ वो सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं था दोस्तों। वो था कट्टरपंथियों का आगमन। कट्टरपंथियों का खुला न्योता मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के आते ही जिन ताकतों ने गले लगाया बांग्लादेश को वो थे चीन पाकिस्तान और तीसरे कट्टरपंथी संगठन। वे सभी भारत विरोधी एजेंडे से जुड़े हुए हैं। जैसा कि दुनिया जानती है। यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जरा यूनुस की चीन की यात्रा याद कर लीजिए। जब युनुस ने सेवन सिस्टर्स यानी कि जो पूर्वोत्तर के सात राज्य हैं उनका उल्लेख किया और उसी दौरान उन्होंने बांग्लादेश को सेवन सिस्टर्स का गार्डियन बता डाला।
सबसे बड़ी बात भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सबसे बड़े सवाल उसी दौरान खड़े हो गए जिस दौरान यूनुस चीन में थे। इसी बीच पाकिस्तानी सेना आईएसआई के टॉप कमांडर्स ढाका में लगातार दौरे पर दौरे कर रहे थे और यह सब केवल संयोग नहीं है। भारत ने उसी वक्त ये अच्छे से समझ लिया कि बांग्लादेश की धरती अब भारत विरोधी गतिविधियों का मंच बनाई जा रही है। अब इन्हीं सबको देखते हुए जो भारत का राज्य है त्रिपुरा भारत का सबसे शांत राज्य है। जहां लोग राजनीति से कोसों दूर रहते हैं।
लेकिन जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले हुए, भारत विरोधी बयानबाजी सड़कों पर हुई और धमकियों की खबरें आने लगी तो जनता चुप नहीं बैठी। त्रिपुरा के जीरानिया उपखंड और बोधक जंग नगर क्षेत्र में बांग्लादेश से आ रहे आठ एक दो नहीं आठ गैस बुलेट टैंकर्स को लोगों ने रोक दिया। स्थानीय सूत्रों और मौके पर मौजूद प्रदर्शनकारियों के अनुसार, बांग्लादेशी वाहनों को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए लगाए गए नाकाबंदी के तहत लगभग आठ वाहनों को रोका गया।
प्रदर्शनकारियों ने हालिया राजनीतिक तनाव, कथित भारत-विरोधी बयान और बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हुए हमलों को विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण बताया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि मौजूदा हालात में बांग्लादेशी वाहनों को भारत में प्रवेश करने देना अस्वीकार्य है, और आरोप लगाया कि सीमा पार अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने दावा किया कि इस नाकाबंदी का उद्देश्य इन घटनाओं के खिलाफ कड़ा संदेश देना था।
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