पाकिस्तान इस दुनिया में इकलौता ऐसा देश है जो अपने घर में बैठकर अपनी ही बेइज्जती करवा सकता है। भयंकर बेइज्जती करवा सकता है। सिर्फ डॉलर के लिए जिससे कि उसके कटोरे में कुछ भीख डल सके। अच्छा ऐसा भी इकलौता देश है जो बेइज्जती भी करवा ले अपने घर में अपने घर में ही अपनी बेइज्जती करवा ले और उसके कटोरे में कुछ ना पड़े। दरअसल बात पिछले हफ्ते की है। जब यूएई के प्रेसिडेंट मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान पाकिस्तान के दौरे पर आए थे। नेशनल मीडिया में दुनिया में खबरें प्रसारित की गई कि यूएई के राष्ट्रपति आ रहे हैं। कटोरे में भीख डाल कर जाएंगे। बहुत सारी डील्स सिग्नेचर होंगी। बहुत सारे प्रस्तावों पर मोहर लगने वाली है। लेकिन कुछ नहीं हुआ। यूएई के राष्ट्रपति के लिए आपने कभी नहीं देखा होगा दुनिया में किसी के सम्मान में कि इस तरीके से एयरपोर्ट्स पर टैंक्स तैनात कर दिए जाएं। सम्मान के नाम पर टैंक दिखा दिए जाए।
खबर ये थी कि अब कई प्रस्तावों पर सिग्नेचर होंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ। असल में यूएई के राष्ट्रपति एक प्राइवेट कार्यक्रम के लिए आए थे। वो आसिम मुनीर के किसी पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए थे। शायद ही किसी देश में अब तक हुआ होगा कि प्रधानमंत्री को दरकिनार करके वो एक सेना प्रमुख के घर जाते हैं।
वहां कार्यक्रम में शामिल होते हैं। बातचीत भी उसी से करते हैं। मतलब वास्ता भी उसी से रखते हैं। तो नूर खान एयरबेस पर ये लैंडिंग यूएई के राष्ट्रपति की करवाई गई जिससे कि दुनिया को एक संदेश दिया जा सके कि जो भारत ने नुकसान पहुंचाया था नूर खान एयरबेस पर वो हमने अब ठीक कर लिया है। वो अब हमने मरम्मत उसकी करवा ली है। बाकी रिपोर्ट्स के मुताबिक यूएई के राष्ट्रपति की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग महज 3 मिनट चली। ये शिष्टाचार बैठक थी जिसमें हालचाल जाने गए। फोटो तक सीमित रही।
बाकी द्विपक्षीय कोई बातचीत नहीं हुई। किसी मेमोरेंडम मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग यानी एमओयू पर कोई सिग्नेचर नहीं हुआ। हालांकि शहबाज शरीफ ने बहुत उत्साह स्वागत के लिए दिखाया था। लेकिन उनको कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। मुख्य रूप से यूएई का पाकिस्तान के ऊपर 2 बिलियन डॉलर का कर्ज है जिसे स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान में सिर्फ डिपॉजिट के रूप में रखा गया है जो बार-बार हर साल रोल ओवर हो जाता है। मतलब वो पैसा खर्च करने के लिए नहीं है। दिसंबर 2025 की ही बात है। जब 1 बिलियन डॉलर को इक्विटी इन्वेस्टमेंट में कन्वर्ट करने का ऐलान किया गया। और ये इक्विटी इन्वेस्टमेंट में फौजी फाउंडेशन ग्रुप्स में शेयर खरीदे गए। फौजी फाउंडेशन के सर्वे सर्वा आसिम मुनीर हैं।
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वन चाइना पॉलिसी को मिल रही चुनौती ने चीन को बेचैन कर दिया है और यही वजह है कि चीन अब वह कदम उठा रहा है जो बेहद घातक है, खतरनाक है और कुछ भी हो सकता है। एक युद्ध दस्तक दे रहा है, हमला होगा और फिर कब्जा होगा एक देश पर। चीन की यह तैयारी है। चीन उस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। ताइवान को तीन तरफ से घेर कर मिसाइल दागना, फायर लाइफ ड्रिल करना। ये बता रहा है कि चीन ताइवान के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है और अगर दोनों भिड़े तो अंजाम घातक होगा। पीपल लिबरेशन आर्मी यानी कि पीएलए ने साल 2025 के आखिर में जस्टिस मिशन 2025 नाम से एक बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया।
ताइवान के आसपास समुद्री और हवाई क्षेत्र में आयोजित किया गया। यह अभ्यास ना केवल सैन्य शक्ति प्रदर्शन है बल्कि क्षेत्रीय संप्रभुता अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नई चुनौती को रूप दे रहा है। ताइवान ने इसे सीधी धमकी माना है और अपनी सेनाओं को हाई अलर्ट पर रख दिया है। लेकिन चीन है कि मानता नहीं। चीन के ईस्टर्न कमांड ने 29 दिसंबर को इस अभ्यास की शुरुआत की। अभ्यास में थल सेना, नौसेना, वायुसेना, तोपखाने की इकाइयों को ताइवान को घेरा गया, तैनात किया गया और जो सैन्य संपत्तियां इस्तेमाल किया चाइना ने वो बताता है कि देखिए कितना खतरनाक है। अभ्यास में क्या-क्या लेकर आ गया चीन। फाइटर जेट जैसे J20 स्टील फाइटर। इसके अलावा बमबर H6 के ड्रोन विंग लूम सीरीज लॉन्ग रेंज मिसाइलें जिसमें डीएफ7 हाइपरसोनिक मिसाइल भी शामिल है। यह सभी ताइवान स्टेट के पूर्वी हिस्से में समुद्र और हवाई क्षेत्र में तैनात किया गया। इसके अलावा लाइव फायर ड्रिल भी किया गया और इसमें वास्तविक गोला बारूद के इस्तेमाल किए गए और लक्ष्यों पर हमले का ड्रिल किया गया।
चीन और ताइवान का विवाद 1949 के गृह युद्ध से जुड़ा है जब कम्युनिस्ट पार्टी ने मेनलैंड चीन पर कब्जा कर लिया। राष्ट्रवादी सरकार ताइवान द्वीप पर चली गई। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और वन चाइना नीति के तहत इसे वापस जोड़ने की बात करता है और दुनिया के तमाम देशों से कहता है कि वन चाइना पॉलिसी मानना पड़ेगा। जबकि चीन को बैलेंस करने के लिए कई देश उसकी वन चाइना पॉलिसी को चुनौती देते हैं। जबकि ताइवान जो है वो भी खुद को स्वतंत्र राष्ट्र मानता है।
लोकतांत्रिक देश के रूप में मानता है। बीते कुछ वर्षों में खास करके साल 2022 से अगर हम बात करें तो अमेरिकी हाउस स्पीकर नसी पॉलिसी ने ताइवान का दौरा किया। इसके बाद से ये झड़पें जो है वो बढ़ गई क्योंकि चीन ने इसे एक अग्रेशन माना कि अमेरिका पूरी तरह से अब ताइवान की तरफ जाता दिख रहा है। हाल ही में ताइवान को एक बड़ा अमेरिकी हथियारों का सौदा भी हुआ जिसमें 11.1 अरब डॉलर के हथियार बेचने की जानकारी सामने आई।
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