रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दोहराया है कि ताइवान चीन का अभिन्न अंग है और कहा है कि मॉस्को द्वीप की किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता का कड़ा विरोध करता है। प्रकाशित TASS को दिए एक साक्षात्कार में लावरोव ने रूस के रुख को और अधिक विस्तार से समझाते हुए कहा कि मॉस्को ताइवान समस्या को चीन का आंतरिक मामला मानता है और इस बात पर जोर दिया कि बीजिंग को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि ताइवान को लेकर होने वाली बहसें अक्सर वास्तविकता से अलग-थलग और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करके की जाती हैं, और अंतरराष्ट्रीय चर्चाओं में अक्सर व्यापक संदर्भ को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
लावरोव ने आगे कहा कि कई देश, सार्वजनिक रूप से एक-चीन नीति के प्रति प्रतिबद्धता जताने के बावजूद, व्यवहार में यथास्थिति बनाए रखने का समर्थन करते हैं। उन्होंने इस दृष्टिकोण को चीन के राष्ट्रीय एकीकरण के सिद्धांत से उनकी असहमति बताया। इस पृष्ठभूमि में लावरोव ने कहा कि ताइवान का उपयोग बीजिंग के विरुद्ध सैन्य-रणनीतिक प्रतिरोध के साधन के रूप में तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पश्चिमी देश ताइवान के वित्तीय संसाधनों और तकनीकी क्षमताओं का लाभ उठाना चाहते हैं, जिसमें ताइपे को महंगे अमेरिकी हथियारों की बिक्री भी शामिल है।
मॉस्को के दीर्घकालिक रुख को दोहराते हुए, लावरोव ने याद दिलाया कि ताइवान मुद्दे पर चीन के प्रति रूस का समर्थन जुलाई 2001 में मॉस्को और बीजिंग के बीच हस्ताक्षरित सद्भावना और मैत्रीपूर्ण सहयोग संधि में निहित है।
उन्होंने कहा कि संधि के मूल सिद्धांतों में से एक राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में पारस्परिक समर्थन है।
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इजराइल में अचानक एक ऐसा बवाल शुरू हुआ है जो यहूदियों के लिए तबाही का कारण बन सकता है। इजराइल के कई रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों, पत्रकारों और हजारों लोगों ने अपनी ही सरकार से एक बहुत बड़ी मांग की है। इन सभी ने एक ही स्वर में कहा है कि हमें पाकिस्तान को रोकना होगा। पाकिस्तानियों को हमारी जमीन पर कदम रखने से रोकना होगा। हजारों इजराइलियों का मानना है कि डॉनल्ड ट्रंप ने अपने फायदे के चक्कर में पाकिस्तान जैसा वायरस इजराइल पर छोड़ दिया है। दरअसल इजराइल के लोगों ने कहा है कि गाज़ा में पाकिस्तानी सैनिकों की एंट्री नहीं होनी चाहिए। इजराइली एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह ऐसी चूक होगी जिसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
इजराइल के लोगों ने अपनी सरकार से कहा है कि हमें पाकिस्तानियों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। आप जानते हैं कि डॉनल्ड ट्रंप के गाज़ा पीस प्लान के तहत गाज़ा में एक इंटरनेशनल स्टेबिलाइजेशन फोर्स की तैनाती होनी है। इस फोर्स में कई देशों के सैनिक शामिल होंगे। इस इंटरनेशनल फोर्स का काम गाज़ा में हमास को रोकना और शांति समझौते के तहत गाज़ा में शांति और पुनर्निर्माण के कार्यों की रक्षा करना होगा। इसी फोर्स में इंडोनेशिया और पाकिस्तानी सैनिक भी शामिल होने हैं। हालांकि शामिल तो तुर्की के सैनिक भी होने थे लेकिन इजराइल ने पहले ही साफ मना कर दिया कि हमें इंटरनेशनल स्टेबलाइजेशन फोर्स में तुर्की के सैनिक नहीं चाहिए क्योंकि हमें उन पर भरोसा नहीं है।
मगर इजराइल के पूर्व सैन्य अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तानी सैनिकों को भी गाज़ा बुलाना घातक साबित हो सकता है। इन लोगों ने कहा है कि जिस तरह से तुर्की को ब्लॉक किया गया है। उसी तरह से पाकिस्तान को भी ब्लॉक करना होगा। इजरायली एक्सपर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी सैनिक कभी भी ईमानदारी और वफादारी से हमास को नहीं रोकेंगे बल्कि हमास को मजबूत करने का काम करेंगे। इजरायली एक्सपर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी सैनिक गाज़ा में बैठकर हमास की जगह इजराइल के सैनिकों पर ही हमला करेंगे।
इजरायली सैनिकों की मूवमेंट के बारे में पहले से ही हमास के आतंकियों को जानकारी दे देंगे। इजराइली लोगों का मानना है कि पाकिस्तानी सैनिक गाज़ा में पहुंच गए तो एक बड़ा खतरा इजराइल के दरवाजे पर आकर बैठ जाएगा। क्योंकि पाकिस्तान इकलौता मुस्लिम देश है जिसके पास न्यूक्लियर हथियार हैं। इजराइल को एक जायज डर सता रहा है कि पाकिस्तान अपने न्यूक्लियर हथियार हमारे दुश्मनों को दे सकता है।
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