द्वापर युग से आज तक बरकरार चोट के निशान, आखिर कब, कैसे लगी थीं मां को ये खरोंच
Vindhyachal Dham Mystery: विंध्याचल धाम में मां विंध्यवासिनी की प्रतिमा पर मौजूद चोट जैसे निशान कंस द्वारा की गई मार का प्रतीक माने जाते हैं. यह धाम सिद्धपीठ माना जाता है जहां मां का साक्षात निवास है और यहां की गई प्रार्थना को पूरा होने वाली मानी जाती है.
रूस क्यों 25 दिसंबर को नहीं मनाता क्रिसमस? किस दिन मनाने की है परंपरा?
Russia Christmas Date : दुनिया के ज्यादातर देशों में जैसे ही 25 दिसंबर आता है, चर्च की घंटियां बजने लगती हैं, बाजार रोशनी से भर जाते हैं और परिवार एक-दूसरे को उपहार देते नजर आते हैं. लेकिन रूस में उस दिन माहौल कुछ अलग रहता है. वहां न तो बड़ा उत्सव दिखता है और न ही सड़कों पर खास हलचल. इसकी वजह यह है कि रूस में क्रिसमस 25 दिसंबर को नहीं, बल्कि 7 जनवरी को मनाया जाता है. पहली नजर में यह केवल तारीख का फर्क लग सकता है, लेकिन इसके पीछे आस्था, इतिहास और परंपरा की लंबी कहानी छिपी है. रूस ने समय के साथ बहुत कुछ बदला है, लेकिन धार्मिक परंपराओं के मामले में उसने पुरानी राह को छोड़ा नहीं. जब बाकी दुनिया आगे बढ़ी, रूस का चर्च वहीं ठहरा रहा. यही ठहराव आज के रूस में क्रिसमस को एक अलग पहचान देता है. यहां यह दिन शोरगुल और खरीदारी से दूर, शांत माहौल और आत्मिक भावनाओं के साथ मनाया जाता है.
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