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Bangladesh की हरकत के बाद इंडियन आर्मी का तगड़ा एक्शन, औकात नापने उतरी सेना की 17 कोर सट्राइकर

बांग्लादेश ने शायद कभी सोचा नहीं था कि भारत को धमकी देने का इतना बड़ा और इतना ठोस जवाब मिलेगाबांग्लादेश के कुछ कट्टरपंथी नेताओं ने यह मान लिया था कि अगर वे भारत को युद्ध की धमकी देंगे, सेवन सिस्टर राज्यों को अलग-थलग करने की बात करेंगे और चिकन नेक कॉरिडोर को बंद करने की गीदड़ भभकी देंगे। तो भारत शांति के नाम पर चुप बैठा रहेगा। लेकिन वो भूल गए यह नया भारत है जो ताकतवर होता है। वह शब्दों से नहीं तैयारियों और एक्शन से जवाब देता है और अब वही हो रहा है। भारत ने 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉप्स को बांग्लादेश सीमा पर भेज दिया। जिसके बाद बांग्लादेश की सेना में घबराहट है। नेताओं के चेहरे से मुस्कान गायब है और ढाका में चिंता की लकीरें साफ दिख रही।

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दरअसल पिछले कुछ समय से आपने देखा होगा कि बांग्लादेश के कुछ नेता अपनी घरेलू राजनीति चमकाने के लिए भारत विरोधी बयान दे रहे थे। कोई कह रहा था सेवन सिस्टर को भारत से अलग-थलग कर देंगे। कोई धमकी दे रहा था कि भारत का चिकन नेक बंद कर देंगे। लेकिन सच्चाई क्या है? यह बयान बांग्लादेश की डोमेस्टिक पॉलिटिक्स का थिएटर था। जनता को भड़काने का तरीका था। मीडिया में सुर्खियां बटोरने की कोशिश थी। लेकिन इन नेताओं ने एक गलती कर दी। उन्होंने मान लिया कि भारत सिर्फ बयान सुनेगा एक्शन नहीं लेगा। अब तक भारत मिजोरम, दक्षिण असम भारत बांग्लादेश सीमा को अपेक्षाकृत सेकेंडरी फ्रंट मानता था। यहां फोकस था बॉर्डर मैनेजमेंट, स्मगलिंग कंट्रोल और सीमित मिलिट्री प्रेजेंस का।

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लेकिन बांग्लादेश पे राजनीतिक कट्टरता भारत विरोधी बयान और अस्थिरता ने भारत को मजबूर कर दिया रणनीति बदलने पर और इसी बदलाव का सबसे बड़ा संकेत है 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉप्स की एंट्री। दरअसल ये कोई सामान्य सैन यूनिट नहीं है। 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉब्स भारत की सबसे घातक और सबसे आक्रामक ऑफेंसिव माउंटेन वॉरफेयर फोर्स है। इसका मतलब साफ है कि यह डिफेंस के लिए नहीं बल्कि तेज और निर्णायक हमले के लिए बनाई गई है। इस कॉप्स की खासियत है हाई इंटे सिटी ऑपरेशन, क्विक रिएक्शन क्षमता, पहाड़ी इलाकों में गहरी घुसपैठ को रोकना, रॉकेट आर्टली सपोर्ट और भारी गोला बारूद के साथ तैनाती। अब यही फोर्स बांग्लादेश की सीमा के सर्वे और ऑपरेशन तैयारी के लिए भेज दी गई है।

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सूत्रों के मुताबिक मिजोरम और सिलचर सीमा क्षेत्र में तीन बटालियन कमांड ज़ोन बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा रॉकेट आर्टली हैवी इम्यूनिशन फॉरवर्ड लॉजिस्टिक बेस तैनात किए जा रहे हैं। मतलब साफ है अब भारत बांग्लादेश सीमा को फुल फ्रिज ऑपरेशनल थिएटर मानकर चल रहा है। यानी वही मॉडल जो पाकिस्तान बॉर्डर पर अपनाया गया। अब यहां भी लागू होगा। बांग्लादेश की सेना इस स्थिति को अच्छे समझती है। उसकी घबराहट के तीन बड़े कारण हैं पहले नेताओं की गैर जिम्मेदाराना बयानबाजीबांग्लादेशी सेना जानती है कि राजनीतिक बयान उन्हें भारत के सामने खड़ा कर रहे हैं। 

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Prabhasakshi NewsRoom: Bangladesh के बिगड़ते हालात को देखकर Sheikh Hasina ने Muhammad Yunus पर जमकर निकाली भड़ास

बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर खून और खौफ के साये में है। छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने देश की अंतरिम सत्ता व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस हत्या को कानून व्यवस्था के पूर्ण पतन का प्रतीक बताते हुए अंतरिम सरकार और उसके मुखिया मुहम्मद युनूस पर तीखा हमला बोला है। शेख हसीना ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि यह हत्या कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि उस अराजकता का परिणाम है जो उनकी सरकार हटने के बाद तेजी से बढ़ रही है। उनके अनुसार हिंसा अब सामान्य व्यवहार बन चुकी है और अंतरिम प्रशासन या तो इसे नकार रहा है या रोकने में पूरी तरह विफल है। उन्होंने चेताया कि इस स्थिति से न केवल बांग्लादेश अंदर से अस्थिर हो रहा है, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर भी बुरा असर पड़ रहा है, विशेष रूप से भारत के साथ।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों का मुद्दा भी जोरदार ढंग से उठाया। मयमनसिंह जिले में 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या और फिर शव जलाए जाने की घटना को उन्होंने अंतरिम सरकार की नाकामी बताया। हसीना के अनुसार ऐसे कृत्य यह दिखाते हैं कि राज्य अपने नागरिकों की रक्षा करने में अक्षम हो चुका है। हसीना ने आरोप लगाया कि मौजूदा सत्ता संरचना में उग्रवादी तत्व खुलेआम हावी हो गए हैं। उनके अनुसार भारत विरोधी भावनाएं जानबूझ कर भड़काई जा रही हैं, राजनयिक ठिकानों और मीडिया संस्थानों पर हमले हो रहे हैं और दोषियों को दंड की बजाय संरक्षण मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिम सरकार ने सजायाफ्ता आतंकियों को रिहा किया है और कट्टरपंथी समूहों को सार्वजनिक जीवन में स्थान दिया है, जो बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष परंपरा के लिए गंभीर खतरा है।

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विदेश नीति पर भी शेख हसीना ने सवाल उठाए। उनका कहना है कि पाकिस्तान के साथ जल्दबाजी में नजदीकी बढ़ाना और पुराने सहयोगियों को नाराज करना उस सरकार के लिए अनुचित है, जिसे जनता का जनादेश ही प्राप्त नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा कि अंतरिम प्रशासन को ऐसी दीर्घकालिक रणनीतिक दिशा तय करने का कोई अधिकार नहीं है।

देखा जाये तो अंतरिम सरकार की सबसे बड़ विफलता यह है कि उसने सत्ता संभालते ही राज्य की बुनियादी जिम्मेदारी को त्याग दिया। कानून व्यवस्था का मतलब केवल पुलिस तैनात करना नहीं होता, बल्कि यह स्पष्ट संदेश देना होता है कि हिंसा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। आज बांग्लादेश में यह संदेश गायब है। नतीजा यह है कि बंदूकधारी, भीड़ और कट्टरपंथी खुद को सत्ता का असली मालिक समझने लगे हैं।
अल्पसंख्यकों पर हमले किसी भी समाज का नैतिक आईना होते हैं। जब हिंदू युवक को भीड़ जला देती है और सरकार खामोश रहती है, तो यह केवल एक समुदाय पर हमला नहीं रहता, यह संविधान और सभ्यता पर हमला बन जाता है। ऐसी घटनाएं यह बताती हैं कि कट्टरता अब हाशिये पर नहीं, बल्कि केंद्र में पहुंच रही है।

भारत के साथ संबंधों को लेकर फैलती कटुता भी चिंता का विषय है। भारत और बांग्लादेश के रिश्ते केवल कूटनीतिक समझौतों पर आधारित नहीं रहे, वह साझा इतिहास, सुरक्षा और विकास की जरूरतों से गुथे हैं। इन्हें कमजोर करना किसी तात्कालिक राजनीतिक संतोष का साधन हो सकता है, लेकिन दीर्घकाल में इसका खामियाजा बांग्लादेश को ही भुगतना पड़ेगा। सबसे खतरनाक संकेत यह है कि अंतरिम सत्ता के इर्द गिर्द उग्रवादी शक्तियां वैधता का चोला पहनने की कोशिश कर रही हैं। जब अनुभवहीन नेतृत्व कट्टर ताकतों के सहारे शासन चलाता है, तो लोकतंत्र केवल नाम का रह जाता है।

बहरहाल, बांग्लादेश आज चौराहे पर खडा है। शरीफ उस्मान हादी की मौत चेतावनी है कि अगर समय रहते दिशा नहीं बदली गई, तो यह चौराहा जल्द ही खंडहर में बदल सकता है।

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पाकिस्तान की T20 World Cup टीम में होगी सरफराज अहमद की एंट्री? PCB अध्यक्ष मोहसिन नकवी से स्पेशल डिमांड

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