International Court ने सूडानी मिलिशिया नेता को 20 साल की सजा सुनाई
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने मंगलवार को खूंखार सूडानी जंजावीद मिलिशिया के एक नेता को 20 साल से भी अधिक समय पहले दारफुर में हुए विनाशकारी संघर्ष के दौरान किए गए युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए 20 साल कारावास की सजा सुनाई।
पिछले महीने एक सुनवाई में अभियोजकों ने अली मुहम्मद अली अब्द-अल-रहमान को आजीवन कारावास की सजा देने का अनुरोध किया था। उसे अक्टूबर में युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के 27 मामलों में दोषी ठहराया गया था, जिसमें 2003-2004 में सामूहिक रूप से फांसी का आदेश देना और दो कैदियों को कुल्हाड़ी से हमला करके मार डालना शामिल था।
अभियोजक जूलियन निकोल्स ने नवंबर में सजा पर सुनवाई के समय न्यायाधीशों से कहा, ‘‘उसने ये अपराध जानबूझकर, स्वेच्छा से और जैसा कि सबूत दिखाते हैं, पूरी बर्बरता के साथ किए।’’
इस दौरान 76 वर्षीय अली मुहम्मद अब्द-अल-रहमान खड़ा होकर दलीलें सुनता रहा, लेकिन पीठासीन न्यायाधीश जोआना कोर्नर द्वारा सजा सुनाए जाने पर उसने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। उसे अलग-अलग मामलों में आठ वर्ष से लेकर 20 वर्ष तक की सजा सुनाई गई, जिसके बाद अदालत ने उसे 20 वर्ष की संयुक्त सजा सुनाई।
न्यायाधीश ने कहा कि अब्द-अल-रहमान ने न केवल उन हमलों के आदेश दिए, जिनसे सीधे तौर पर अपराध हुए बल्कि उनमें मुख्य रूप से फर कबीले के सदस्यों को निशाना बनाया गया था। उनके मुताबिक, अधिकारियों को फर कबीला पर विद्रोहियों का समर्थन करने का संदेह था। उन्होंने कहा कि रहमान ने अपनी कुल्हाड़ी से कुछ कैदियों पर हमले को व्यक्तिगत रूप से भी अंजाम दिया।
अदालत के अभियोजन कार्यालय ने कहा कि उसके कर्मी सज़ा सुनाए जाने वाले फ़ैसले का अध्ययन करेंगे और यह तय करेंगे कि ‘‘आगे की कार्रवाई की जाए या नहीं।’’ कार्यालय सज़ा के ख़िलाफ़ अपील कर सकता है और आजीवन कारावास की अपनी अपील को दोहरा सकता है।
कार्यालय ने एक लिखित बयान में कहा कि उसने रहमान को दोषी ठहराए गए अपराधों की अत्यधिक गंभीरता के कारण आजीवन कारावास की सजा की मांग की है जिनमें हत्या, बलात्कार, यातना, उत्पीड़न और अन्य अपराध शामिल हैं जो उसने खुद किए थे और इन्हें करने का दूसरों को आदेश दिया था।
बयान के मुताबिक, इसने बच्चों समेत कम से कम 213 लोगों की हत्या, 16 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाओं को भी संज्ञान में लिया। सूडान के दारफुर क्षेत्र में अत्याचारों के लिए आईसीसी द्वारा दोषी ठहराया गया रहमान पहला व्यक्ति है। न्यायाधीशों ने माना कि जंजावीद द्वारा किए गए अपराध विद्रोह को कुचलने की सरकार की योजना का हिस्सा था।
जुनून और जोश के बिना खिलाड़ी के तौर पर आगे नहीं बढ़ सकते Sachin Tendulkar
महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने मंगलवार को कहा कि युवा खिलाड़ी जुनून और जोश के बिना आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने युवाओं को ‘मुश्किल चुनौतियों का सामना करने’ और दूसरों के लिए मिसाल कायम करने की सलाह दी।
तेंदुलकर ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्हें क्रिकेट से इतना अधिक लगाव था कि वह इस खेल में आगे बढ़ने के लिए हर संभव प्रयास करने को भी तैयार रहते थे। उन्होंने कहा कि वह गर्मी की छुट्टियों में लगभग दो महीने तक रोजाना 12 घंटे तक अभ्यास करते थे।
तेंदुलकर ने ‘इंडियन स्ट्रीट प्रीमियर लीग (आईएसपीएल)’ के तीसरे सत्र की नीलामी से पहले कहा, ‘‘मैंने क्रिकेट खेलना इसलिए शुरू किया क्योंकि मुझमें जुनून था। मुझे इस खेल से बेइंतहा प्यार था और मैं बस भारत के लिए खेलना चाहता था। मैं इसके लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार था।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘मेरे जीवन में कई पड़ाव आए। इसमें स्कूल क्रिकेट भी था और मैं कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार था। एक दौर ऐसा भी था जब मैंने अपनी गर्मी की छुट्टियों में लगातार 55 दिनों तक 12 घंटे अभ्यास किया और आखिरकार मैं बीमार पड़ गया। अगर जुनून और जोश नहीं है, तो आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे।’’
तेंदुलकर ने कहा कि एक खिलाड़ी के विकास के लिए कई चीजों का एक साथ आना जरूरी है, लेकिन सही समय पर अच्छा प्रदर्शन करना भी जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘ आपको आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत, योजना, उसे लागू करने की क्षमता, सही मार्गदर्शन और अनुशासन की जरूरत होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ कई चीजें एक साथ आती है और फिर जब मौका मिलता है तो आपको मैदान पर उतरकर अच्छा प्रदर्शन करना होता है और इसी तरह आप अगले स्तर पर पहुंचते हैं।’’ मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि उम्मीदें उन खिलाड़ियों से अधिक होती है जिन्होंने अतीत में मिसाल कायम की है। इससे हालांकि किसी को भी परेशान नहीं होना चाहिए।
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