Israel पर अधिक दबाव बनाए बिना गाजा युद्ध-विराम का अगला चरण असंभव होगा: Hamas
हमास के एक नेता ने मंगलवार को चेतावनी दी कि जब तक इजराइल पर एक महत्वपूर्ण सीमा मार्ग खोलने, घातक हमलों को रोकने और फलस्तीनी क्षेत्र में अधिक सहायता पहुंचाने के लिए दबाव नहीं डाला जाता, तब तक वह गाजा युद्ध-विराम समझौते के अगले चरण में आगे नहीं बढ़ेगा।
यह चेतावनी ऐसे समय दी गई है, जब इजराइल सरकार ने कहा है कि वह युद्ध-विराम समझौते के अगले और अधिक जटिल चरण में प्रवेश करने के लिए तैयार है। हमास की राजनीतिक शाखा के सदस्य हुसम बदरान ने आगे बढ़ने से पहले “पहले चरण की सभी शर्तों के पूर्ण कार्यान्वयन” का आह्वान किया, जिसमें इजराइल द्वारा नियंत्रित क्षेत्र के हिस्से में फलस्तीनी घरों के निरंतर विध्वंस को रोकना भी शामिल है।
फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 10 अक्टूबर को युद्ध-विराम लागू होने के बाद से गाजा में इजराइल के सैन्य अभियानों के कारण कम से कम 376 फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है।
इजराइल ने भी हमास पर युद्ध-विराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। गाजा में मानवीय संकट जारी रहने के बीच संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता संगठनों ने कहा है कि इस क्षेत्र में पर्याप्त सहायता नहीं पहुंच रही है।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा था कि हमास द्वारा गाजा में बंधक बनाए गए अंतिम व्यक्ति के अवशेष लौटाए जाने के बाद इजराइल और हमास के “बहुत जल्द ही युद्ध-विराम के दूसरे चरण में प्रवेश करने की उम्मीद है।’’
इस बीच, अधिकारियों ने कहा है कि युद्ध-विराम के अगले चरण में गाजा पट्टी के प्रशासन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय निकाय की घोषणा वर्ष के अंत तक होने की उम्मीद है। कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने शनिवार को कहा कि गाजा युद्ध-विराम एक ‘‘महत्वपूर्ण पड़ाव’’ पर पहुंच गया है।
International Court ने सूडानी मिलिशिया नेता को 20 साल की सजा सुनाई
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने मंगलवार को खूंखार सूडानी जंजावीद मिलिशिया के एक नेता को 20 साल से भी अधिक समय पहले दारफुर में हुए विनाशकारी संघर्ष के दौरान किए गए युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए 20 साल कारावास की सजा सुनाई।
पिछले महीने एक सुनवाई में अभियोजकों ने अली मुहम्मद अली अब्द-अल-रहमान को आजीवन कारावास की सजा देने का अनुरोध किया था। उसे अक्टूबर में युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के 27 मामलों में दोषी ठहराया गया था, जिसमें 2003-2004 में सामूहिक रूप से फांसी का आदेश देना और दो कैदियों को कुल्हाड़ी से हमला करके मार डालना शामिल था।
अभियोजक जूलियन निकोल्स ने नवंबर में सजा पर सुनवाई के समय न्यायाधीशों से कहा, ‘‘उसने ये अपराध जानबूझकर, स्वेच्छा से और जैसा कि सबूत दिखाते हैं, पूरी बर्बरता के साथ किए।’’
इस दौरान 76 वर्षीय अली मुहम्मद अब्द-अल-रहमान खड़ा होकर दलीलें सुनता रहा, लेकिन पीठासीन न्यायाधीश जोआना कोर्नर द्वारा सजा सुनाए जाने पर उसने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। उसे अलग-अलग मामलों में आठ वर्ष से लेकर 20 वर्ष तक की सजा सुनाई गई, जिसके बाद अदालत ने उसे 20 वर्ष की संयुक्त सजा सुनाई।
न्यायाधीश ने कहा कि अब्द-अल-रहमान ने न केवल उन हमलों के आदेश दिए, जिनसे सीधे तौर पर अपराध हुए बल्कि उनमें मुख्य रूप से फर कबीले के सदस्यों को निशाना बनाया गया था। उनके मुताबिक, अधिकारियों को फर कबीला पर विद्रोहियों का समर्थन करने का संदेह था। उन्होंने कहा कि रहमान ने अपनी कुल्हाड़ी से कुछ कैदियों पर हमले को व्यक्तिगत रूप से भी अंजाम दिया।
अदालत के अभियोजन कार्यालय ने कहा कि उसके कर्मी सज़ा सुनाए जाने वाले फ़ैसले का अध्ययन करेंगे और यह तय करेंगे कि ‘‘आगे की कार्रवाई की जाए या नहीं।’’ कार्यालय सज़ा के ख़िलाफ़ अपील कर सकता है और आजीवन कारावास की अपनी अपील को दोहरा सकता है।
कार्यालय ने एक लिखित बयान में कहा कि उसने रहमान को दोषी ठहराए गए अपराधों की अत्यधिक गंभीरता के कारण आजीवन कारावास की सजा की मांग की है जिनमें हत्या, बलात्कार, यातना, उत्पीड़न और अन्य अपराध शामिल हैं जो उसने खुद किए थे और इन्हें करने का दूसरों को आदेश दिया था।
बयान के मुताबिक, इसने बच्चों समेत कम से कम 213 लोगों की हत्या, 16 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाओं को भी संज्ञान में लिया। सूडान के दारफुर क्षेत्र में अत्याचारों के लिए आईसीसी द्वारा दोषी ठहराया गया रहमान पहला व्यक्ति है। न्यायाधीशों ने माना कि जंजावीद द्वारा किए गए अपराध विद्रोह को कुचलने की सरकार की योजना का हिस्सा था।
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