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भाई को बचाने के लिए भिड़ा था ऐंजल चकमा:दोस्त बोला- देहरादून पुलिस ने शिकायत नहीं लिखी, माइकल को लाने के लिए कहा गया

देहरादून की जिज्ञासा यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले त्रिपुरा के छात्र ऐंजल चकमा की 17 दिन तक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ने के बाद मौत हो गई। ऐंजल कुछ ही दिनों में हाई पैकेज की नौकरी जॉइन करने वाला था और प्लेसमेंट को लेकर बेहद खुश था। वो पढ़ाई में इतना होशियार था की उसने एक ही दिन में तीन इंटरव्यू पास किए थे। 9 दिसंबर को सेलाकुई थाना क्षेत्र में ऐंजल और उनके छोटे भाई माइकल के साथ मारपीट हुई, जिसमें ऐंजल पर चाकू और कड़ों से कई वार किए गए। आरोप है कि नस्लीय टिप्पणी का विरोध करने पर यह हमला हुआ, हालांकि देहरादून एसएसपी अजय सिंह का कहना है कि फिलहाल पुलिस इस मामले को नस्लीय टिप्पणी से जोड़कर नहीं देख रही। इस पूरे मामले में दैनिक भास्कर एप ने ऐंजल के उस दोस्त ने बातचीत की, जो घटना के बाद से लेकर आखिरी वक्त तक लगातार उसके साथ अस्पताल में मौजूद रहा। दोस्त ने नाम न बताने की शर्त पर कई अहम जानकारियां साझा कीं। उसने बताया कि कैसे पुलिस ने शुरुआत में उन्हें सीरियसली नहीं लिया। घटना वाले दिन थाने में शिकायत तक दर्ज नहीं की गई, जिसके कारण छठे आरोपी को भागने का टाइम मिला। इसके साथ ही उसने ये भी बताया कि आखिर क्यों ऐंजल की मां को शुरुआत में घटना के बारे में कुछ नहीं बताया गया। सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए पूरी बातचीत रिपोर्टर: 9 दिसंबर को पूरी घटना आखिर क्या थी? दोस्त:9 दिसंबर को ऐंजल के छोटे भाई माइकल ने मुझे पूरी घटना के बारे में बताया। माइकल और ऐंजल दोनों मार्केट गए थे। वहां कुछ लोगों ने उन पर कमेंट किया। जब माइकल ने इसका विरोध किया तो लड़कों ने उसे मारना शुरू कर दिया, जिससे उसके सिर में चोट आई।जब ऐंजल ने अपने भाई को पिटते देखा तो वह उसे बचाने के लिए आगे बढ़ा। इसी दौरान लड़कों ने माइकल को छोड़ दिया और ऐंजल को पीटना शुरू कर दिया। उसी वक्त किसी ने ऐंजल पर चाकू से हमला कर दिया। रिपोर्टर: यह घटना 9 दिसंबर को हुई तो क्या आप उसी दिन पुलिस में शिकायत करने गए थे? दोस्त:हां। घटना की जानकारी मिलने के बाद 9 दिसंबर की रात करीब साढ़े आठ से नौ बजे के बीच हम कुछ दोस्त ऐंजल और माइकल को इलाज के लिए अस्पताल में छोड़कर थाने गए थे।लेकिन पुलिस ने हमारी बात को गंभीरता से नहीं लिया। हमसे कहा गया कि जिसके साथ घटना हुई है, उसे साथ लेकर आओ, तभी रिपोर्ट लिखेंगे।माइकल उस वक्त सिर्फ अपने भाई की हालत को लेकर परेशान था। वह करीब ढाई घंटे तक अपने सिर की चोट के साथ घूमता रहा। सिर से खून बह रहा था, लेकिन फिर भी उसकी प्राथमिकता सिर्फ ऐंजल का इलाज थी। रिपोर्टर: 9 दिसंबर को जब से ऐंजल अस्पताल में भर्ती हुए, आप कितने दिन तक उनके साथ रहे? दोस्त:मैं और मेरे कुछ दोस्त 9 दिसंबर से लेकर 26 दिसंबर तक लगातार अस्पताल में रहे। फैमिली आने के बाद भी हम दोनों भाइयों के साथ ही थे।ऐंजल के पिता बीएसएफ में हैं और उस वक्त मणिपुर बॉर्डर पर तैनात थे। उनकी मां अगरतला में अकेली रहती हैं, वो घबरा ना जाएं इसलिए शुरुआत में उन्हें कुछ नहीं बताया। यहां ऐंजल के पास सिर्फ छोटा भाई माइकल था, जो घटना के बाद काफी डर गया था।ऐसे में हमने तय किया कि इलाज के पूरे दौरान हम दोनों भाइयों के साथ रहेंगे। रिपोर्टर: इलाज के दौरान क्या ऐंजल ने आपसे घटना के बारे में कुछ बताया? दोस्त:हां, थोड़ी-बहुत बातचीत हुई थी। हमने उससे पूछा था कि माइकल ने तो सिर्फ एक-दो लोगों को ही देखा था, लेकिन तुमने सभी को देखा होगा, तो क्या हुआ था। इस पर ऐंजल ने वही बातें दोहराईं, जो माइकल पहले ही हमें और पुलिस को बता चुका था। रिपोर्टर: नस्लीय टिप्पणी की बात सामने आई है, क्या विवाद की वजह वही थी? दोस्त:बिल्कुल। ऐंजल ऐसा लड़का नहीं था जो कभी किसी झगड़े में पड़े। अगर कहीं लड़ाई होती भी थी तो वह वहां से हट जाता था। उसे लड़ाई-झगड़ा बिल्कुल पसंद नहीं था और शराब के नशे में रहने वाले लोगों से वह हमेशा दूरी बनाकर रखता था। रिपोर्टर: सुनने में आया है कि ऐंजल की अच्छी नौकरी भी लग चुकी थी? दोस्त:हां, यह बिल्कुल सही है। कुछ दिन पहले उसका कैंपस सिलेक्शन मोथरोवाला स्थित डी-कैथलॉन में हुआ था, लेकिन सैलरी कम होने की वजह से उसने वह ऑफर छोड़ दिया।इसके बाद उसने दो और जगह इंटरव्यू दिए, दोनों में सिलेक्शन हुआ। आखिरी इंटरव्यू में हाई पैकेज मिलने वाला था और वही जॉइन करने वाला था। इसको लेकर वह बहुत खुश था। रिपोर्टर: 10 दिसंबर को माइकल जब शिकायत देने गया, तब क्या आप लोग साथ थे? क्या पुलिस अस्पताल आई थी? दोस्त:10 दिसंबर की सुबह हम अस्पताल में ही थे, लेकिन दोपहर बाद हमारे एग्जाम थे। जब हम एग्जाम देने गए, उसी दौरान माइकल थाने गया।हमने उससे कहा था कि अगर कोई दिक्कत हो तो तुरंत फोन करे, हम एग्जाम छोड़कर आ जाएंगे।इसी दौरान शायद इलाके का कोई लड़का पुलिस स्टेशन गया था और संभव है कि पुलिस उसी समय अस्पताल भी आई हो। रिपोर्टर: आपने अस्पताल में ऐंजल की हालत देखी थी, उसे कहां-कहां चोट लगी थी? दोस्त:चोटें बहुत ज्यादा थीं। सिर के पीछे गहरी चोट थी, जो कड़ा लगने से आई थी। गले और पेट पर भी चोट के निशान थे।इसके अलावा हाथ-पैर समेत शरीर के कई हिस्सों पर कट और जख्म थे। रिपोर्टर: अस्पताल में परिवार से कौन-कौन पहुंचा? दोस्त:अस्पताल में सिर्फ उसके पिता आए थे। उसकी मां को शुरू में घटना की पूरी जानकारी नहीं दी गई थी।हम सब दोस्तों ने मिलकर उन्हें भरोसा दिलाया कि हालत ठीक है। दो-तीन दिन बाद उसके पिता मणिपुर से पहुंचे। स्पाइन सर्जरी के बाद भी हम उन्हें यही कहते रहे कि स्थिति संभली हुई है। रिपोर्टर: घटना के बाद प्रदर्शन भी हुआ, नॉर्थ ईस्ट के छात्रों में कैसा माहौल है? दोस्त:हम सबने मिलकर ऐंजल के लिए कैंडल मार्च निकाला था। अभी कॉलेजों में छुट्टियां हैं। लेकिन जो उसके साथ हुआ, वही पूरे देश में नॉर्थ ईस्ट के छात्रों के साथ होता है। उन्हें अलग नजर से देखा जाता है, नस्लीय टिप्पणियां की जाती हैं।ऐं जल हमारा दोस्त था। हमने कभी उसे अलग नहीं माना। वह हमेशा हमारे साथ हंसी-मजाक करता था। रिपोर्टर: पढ़ाई में ऐंजल कैसा था? दोस्त:वह पढ़ाई में बहुत तेज था। बिना किसी खास तैयारी के तीन इंटरव्यू क्लियर कर चुका था। इतना ही नहीं, एग्जाम के वक्त वह हमें पढ़ाने में भी मदद करता था। उसका रिवीजन सिस्टम बहुत स्ट्रॉन्ग था। ----------------- ये खबरें भी पढ़ें... उत्तराखंड में चाइनीज बताकर त्रिपुरा के छात्र की हत्या मामला:मौत के चौथे दिन CM धामी ने छात्र के पिता से बात की, ₹4 लाख का चेक भेजा देहरादून में पढ़ाई कर रहे त्रिपुरा के छात्र ऐंजल चकमा की हत्या के मामले में अब उत्तराखंड सरकार पूरी तरह एक्टिव मोड में आ गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार सुबह ऐंजल चकमा के पिता तरुण प्रसाद चकमा से फोन पर बात कर घटना पर गहरा दुख जताया और न्याय का भरोसा दिलाया। (पढ़ें पूरी खबर) देहरादून में ऐंजल चकमा पर हमले से पहले का CCTV:दोनों भाई ठेके के बाहर दिखे; मुख्य आरोपी पर ₹10 लाख का इनाम घोषित ऐंजल चकमा पर हुए हमले से पहले के 3 CCTV सामने आए हैं। एक वीडियो में ऐंजल चकमा अपने भाई माइकल चकमा के साथ शराब ठेके के बाहर घूमता दिखाई दे रहा है। दूसरा वीडियो मारपीट से जुड़ा है, जिसमें आरोपी ऐंजल चकमा और उसके भाई को पीटते हुए नजर आ रहे हैं। हालाकि ये वीडियो ज्यादा क्लियर नहीं है। तीसरा वीडियो आरोपियों का है, जिसमें वह ठेके से शराब खरीदते हुए दिख रहे हैं। (पढ़ें पूरी खबर)

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देहरादून से मसूरी 20 मिनट में पहुंचेंगे टूरिस्ट:जाम के झंझट से मिलेगा छुटकारा, फ्रांस की टेक्नोलॉजी से तैयार हो रहा रोपवे

पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले उत्तराखंड के मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन मसूरी का सफर अब देहरादून से मात्र 20 मिनट में पूरा हो जाएगा। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (UTDB) टूरिस्टों की सुविधा के लिए देहरादून से मसूरी के बीच फ्रांस की टेक्नोलॉजी पर आधारित ऑटोमैटिक रोपवे का निर्माण करा रहा है। इससे ना केवल टूरिस्टों को जाम से छुटकारा मिलेगा, बल्कि अब वो दून से मसूरी के बीच हवाई सफर भी कर सकेंगे। फिलहाल रोपवे का काम 50% से ज्यादा पूरा हो चुका है। निर्माणाधीन एजेंसी का दावा है कि दिसंबर 2026 तक ये पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा और मार्च 2027 से टूरिस्ट रोपवे से मसूरी पहुंचने लगेंगे। 2024 में शुरू हुआ था निर्माण देहरादून से मसूरी के बीच लगातार बढ़ती टूरिस्ट की संख्या और भयानक जाम को देखते हुए UTDB ने 2023 में दून-मसूरी रोपवे का खाका खींचा। कैबिनेट और केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद जनवरी 2024 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप PPP मोड के तहत मसूरी स्काइवार कंपनी ने 300 करोड़ रुपए की लागत से दून-मसूरी रोप-वे परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया। पुरकुल से गांधी चौक के बीच होगी यात्रा रोपवे का एक सिरा देहरादून से 15 किलोमीटर दूर पुरकुल गांव में बनाया जा रहा है। जबकि दूसरा सिरा मसूरी के गांधी चौक में बनेगा। टूरिस्टों को रोपवे से मसूरी जाने के लिए पुरकुल पहुंचना होगा। पुरकुल में रोपवे के लोअर टर्मिनल प्वाइंट LTP का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। जबकि गांधी चौक में अपर टर्मिनल प्वाइंट UTP का कार्य निर्माणाधीन है। ट्यूबलर ट्यूब लगाने के लिए 20 टावर तैयार पुरकुल से गांधी चौक के बीच रोपवे मार्ग पर 26 टावर बनेंगे, जिसमें से 20 टावरों का फाउंडेशन कार्य पूरा होने के बाद उनमें एंकर-बाेल्ट लग चुके हैं। अब इनमें स्टील के ट्यूबलर ट्यूब लगाए जाएंगे। शेष छह टावरों का फाउंडेशन कार्य चल रहा है। पुरकुल में पार्किंग और रिफ्रेशमेंट की सुविधा मिलेगी पुरकुल में टूरिस्टों की सुविधा के लिए पांच मंजिला पार्किंग और रिफ्रेशमेंट सेंटर बनाया जा रहा है। पार्किंग में एक हजार से अधिक वाहनों को खड़ा करने की क्षमता होगी। यहां पर्यटक अपने वाहनों को पार्क कर सकेंगे। साथ ही रिफ्रेशमेंट सेंटर में खाने, पीने, शौचालय और मनोरंजन की व्यवस्था होगी। 5.5 किलोमीटर में सिमटा सफर देहरादून से मसूरी के सड़क मार्ग का सफर करीब 33 किलोमीटर का है। लेकिन रोपवे से यह सिर्फ 5.5 का रह जाएगा। सड़क मार्ग से दून से मसूरी पहुंचने में साधारणतया 1.5 घंटे लगते हैं। जबकि पर्यटन सीजन में मई से जून के बीच यह सफर तीन घंटे से भी अधिक का हो जाता है। इसके साथ ही टूरिस्टों काे घंटों जाम का सामना करना पड़ता है। 1 घंटे में 1300 पर्यटकों को ले जाएगा रोपवे रोपवे के रोप और केबिन फ्रांस से मंगाए जा रहे हैं। एक केबिन में एक साथ 10 पर्यटकों के बैठने की क्षमता होगी। यह केबिन पूरी तरह से ऑटोमैटिक होंगे। शुरुआत में 55 केबिन आएंगे और भविष्य में केबिन की संख्या बढ़ाई जाएगी। 1 घंटे में करीब 1300 यात्री मसूरी पहुंच सकेंगे। 6 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से दौड़ेंगे केबिन रोपवे के केबिन की अधिकतम रफ्तार छह मीटर प्रति सेकेंड होगी। रोपवे रेस्क्यू मोड से लैस होगा, जिससे केबिन की रफ्तार मौसम के अनुसार नियंत्रित होगी। रोपवे का पूरा संचालन ऑनलाइन होगा। इसके लिए फ्रांस से एक टीम आएगी, जो रोपवे का संचालन करने वाले कर्मचारियों को ट्रेनिंग देगी। रोपवे से पुरकुल की सूरत बदलेगी रोपवे के निर्माण से पुरकुल गांव की भी सूरत बदलेगी। पुरकुल में टूरिस्टों के पहुंचने से स्थानीय लोगों का व्यापार चमकेगा। कई ग्रामीण रोजगार से जुड़ सकेंगे। स्थानीय उत्पादों को बाजार मिल सकेगा। होटल और कैफे व्यवसायियों के व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी। इसके साथ ही पर्यटन विभाग का भी राजस्व बढ़ेगा। पहाड़ों में खूबसूरत नजारों के बीच होगा सफर पर्यटन सीजन में मई से जुलाई के बीच रोज करीब 25 हजार टूरिस्ट देहरादून से मसूरी पहुंचते हैं, जिससे हमेशा ही जाम की स्थिति बनी रहती है। हालांकि रोपवे का निर्माण पूरा होने के बाद यह टूरिस्टों की संख्या में और इजाफा होगा। रोपवे का सफर रोमांच और खूबसूरत नजारों से भरा होगा। पहाड़ों के बीच से गुजर कर पर्यटक सीधे मसूरी की माल रोड पर दस्तक देंगे। बारिश के बीच भी राेपवे का निरंतर संचालन हो सकेगा। जबकि भारी बारिश अक्सर सड़क क्षतिग्रस्त होने से मसूरी मार्ग बंद हो जाता है। सीजन में रोज जाते हैं 25 हजार टूरिस्ट आपदा से हुआ नुकसान देहरादून में 15-16 सितंबर की मध्य रात को आई आपदा से रोपवे साइट को भी काफी नुकसान पहुंचा। बारिश के सैलाब में शटरिंग, पिलर और सड़क बह गई, जिससे निर्माण कर रही एजेंसी को लाखों रुपए का नुकसान हुआ। हालांकि अब स्थिति सामान्य हो चुकी है। UTDB के डायरेक्टर इंफ्रा दीपक खंडूड़ी ने बताया, रोपवे का निर्माण तेजी से चल रहा है। वर्तमान से आधा से अधिक निर्माण पूरा हो चुका है। तय समय सीमा में इस पूरा कर लिया जाएगा। रोपवे के संचालन से मसूरी जाने वाले टूरिस्टों को काफी राहत मिलेगी।

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Deepti Sharma: भारतीय महिला क्रिकेटर दीप्ति शर्मा ने रचा इतिहास, ऐसा कारनामा करने वाली विश्व की पहली खिलाड़ी बनीं

Deepti Sharma: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने श्रीलंका के खिलाफ एक नया कर्तिमान स्थापित कर दिया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की मेगन शट को पीछे छोड़ दिया है। Tue, 30 Dec 2025 23:16:19 +0530

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