जेप्टो ₹11,000 करोड़ का IPO लाएगी:सेबी को कॉन्फिडेंशियल रूट से पेपर्स जमा किए; अगले साल लिस्टिंग की तैयारी
क्विक कॉमर्स कंपनी जेप्टो अगले साल 11 हजार करोड़ रुपए का IPO लाएगी। कंपनी ने अपना इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग लाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के पास शुरुआती दस्तावेज जमा कर दिए हैं। खास बात यह है कि कंपनी ने आईपीओ के लिए कॉन्फिडेंशियल रूट चुना है। जेप्टो के इस कदम से क्विक कॉमर्स सेक्टर में कंपटीशन बढ़ेगा और ग्राहकों को ज्यादा ऑप्शन मिलेगा। ये IPO मेन बोर्ड पर होगा। अगर सब ठीक रहा, तो जेप्टो जोमैटो और स्विगी के बाद क्विक कॉमर्स सेक्टर की तीसरी लिस्टेड कंपनी बनेगी। जोमैटो 2021 में लिस्ट हुई थी, जबकि स्विगी ने नवंबर 2024 में डेब्यू किया था। DRHP फाइल करने का मतलब कॉन्फिडेंशियल रूट से DRHP फाइल करने का फायदा यह है कि कंपनी पहले SEBI के साथ डॉक्यूमेंट्स शेयर करती है, लेकिन पब्लिक के सामने ज्यादा डिटेल्स नहीं आती। इससे कंपनी को फीडबैक मिलता है और जरूरी बदलाव करने का मौका मिलता है। जेप्टो ने प्री-फाइलिंग का काम पूरा कर लिया है, उम्मीद है कल स्टेकहोल्डर्स को इस बारे में इन्फॉर्म करेगी। IPO से 11,000 करोड़ रुपए जुटाएगी जेप्टो रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेप्टो का IPO करीब 11,000 करोड़ रुपए का हो सकता है। इसमें फ्रेश शेयर्स के साथ-साथ मौजूदा इनवेस्टर्स का ऑफर फॉर सेल (OFS) भी शामिल होगा। जुटाए गए पैसे का बड़ा हिस्सा कंपनी अपने क्विक कॉमर्स बिजनेस को विस्तार करने में खर्च करेगी। क्योंकि कंपनी का इस सेक्टर के बड़े प्लेयर्स- ब्लिंकिट, स्विगी इंस्टामार्ट, बिग बास्केट और फ्लिपकार्ट मिनट्स के साथ कॉम्पिटिशन है। ₹63,000 करोड़ है जेप्टो का वैल्यूएशन जेप्टो के साथ काम कर रहे बैंकर्स में एक्सिस बैंक, मोतीलाल ओसवाल इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स, मॉर्गन स्टैनली, HSBC और गोल्डमैन सैक्स की इंडियन यूनिट्स शामिल हैं। कंपनी की लेटेस्ट वैल्यूएशन 7 बिलियन डॉलर (करीब ₹63,000 करोड़) है, जो इस साल अक्टूबर में 450 मिलियन डॉलर (₹4,200 करोड़) फंडिंग राउंड के बाद आई थी। 2020 में हुई थी जेप्टो की शुरुआत जेप्टो बेंगलुरु बेस्ड कंपनी है। इसकी शुरुआत 2020 में हुई थी। इसके फाउंडर्स आदित पालिचा और कैवल्य वोहरा हैं। महज 5-6 साल में कंपनी की ग्रोथ काफी बेहतर रही है। अब कंपनी के पास अच्छा कैश रिजर्व भी है। फंडिंग की बात करें तो 2023 में कंपनी ने जून में ₹6,000 करोड़, अगस्त में ₹3,050 करोड़ और नवंबर में ₹3,100 करोड़ जुटाए थे। इस साल अक्टूबर में ₹4,042 करोड़ फंड रेज किया जिसका राउंड US पेंशन फंड ने लीड किया। -------------------------- ये खबर भी पढ़ें... मीशो ने पहले दिन 53.23% रिटर्न दिया: IPO की लिस्टिंग 50% प्रीमियम पर हुई; एकस लिमिटेड पहले दिन 22% चढ़कर बंद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मीशो के IPO की 10 दिसंबर शेयर बाजार (BSE-NSE) में लिस्टिंग 50% प्रीमियम के साथ 167 रुपए पर हुई। दिनभर के कारोबार के बाद ये 59.09 (53.23%) ऊपर 170.09 रुपए पर बंद हुआ। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
राजस्थान के डॉक्टर ने 50 की उम्र में उठाया 442Kg:बोले- स्टेरॉयड नहीं, देसी घी-दूध की बॉडी है; आर्म्स रेसलिंग में भी कई मेडल जीते
50 साल की उम्र में राजस्थान के एक डॉक्टर ने कमाल कर दिया। उन्होंने इस उम्र में 442 किलो की पावर लिफ्टिंग कर इतिहास रचा है। नवंबर में श्रीलंका में हुए वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग के टूर्नामेंट में उन्होंने चाहने वालों को चौंका दिया। तीन अलग-अलग कैटेगरी में 3 गोल्ड मेडल जीते। अभी तक डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल लेवल पर दर्जनों अवॉर्ड और मेडल जीत चुके डॉ. दीपक सिंह भरतपुर के राज बहादुर मेमोरियल (RBM) गवर्नमेंट हॉस्पिटल में टीबी वार्ड के विभागाध्यक्ष (एचओडी) हैं। दिनभर मरीजों से घिरे रहते हैं। परिवार में पत्नी के अलावा 2 बच्चे हैं। सरकारी नौकरी और फैमिली के सभी दायित्व को पूरा करते हुए टाइम मैनेज किया और हर शौक को जिंदा रखा। डॉ. दीपक का कहना है कि यह सक्सेस देसी खाने से हासिल की है। देसी घी और दूध से बनी बॉडी है, जिसमें सबकुछ वेज है। नॉनवेज बिल्कुल भी नहीं। आर्मी में जाना सपना था, सिलेक्शन मेडिकल कॉलेज में हुआ डॉक्टर दीपक सिंह बताते हैं- मेरे पिता महेंद्र सिंह भी बच्चों के डॉक्टर रहे हैं। मां सुमन कुमारी गृहिणी हैं। मेरा सपना था कि आर्मी में जाऊं। इसलिए शुरुआती पढ़ाई में NCC लिया था। साल 1995 में मेरा सिलेक्शन उदयपुर मेडिकल कॉलेज में हो गया। उसके बाद आर्मी में जाना सिर्फ सपना ही बनकर रह गया। मेडिकल कॉलेज में सिलेक्शन के बाद गेम्स खेलना शुरू किया। सभी तरह के गेम्स में हिस्सा लिया और अलग पहचान बनने लगी। साल 2019 में पहली बार टूर्नामेंट में हिस्सा लिया दीपक बताते हैं- कॉलेज में पढ़ाई के दौरान धीरे-धीरे बॉडी बनाने का शौक लगा। इसके लिए जिम जॉइन किया। रेगुलर जिम करते हुए आर्म्स रेसलिंग करने लगा। साल 2019 में पहली बार भरतपुर में हुए एक टूर्नामेंट में भाग लिया। इसमें डिस्ट्रिक्ट और स्टेट में गोल्ड मेडल जीता, जबकि नेशनल में ब्रॉन्ज मेडल मिला। इससे हौसला बढ़ा और खेल जारी रखा। सरकारी नौकरी लग चुकी थी, लेकिन खेल और एक्सरसाइज नहीं छोड़ी। नौकरी के साथ खेलों में भी हिस्सा लेता रहा। 4 साल का ब्रेक लेकर फिर वापसी की दीपक के अनुसार- साल 2019 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में जाने का मौका मिला, लेकिन कोरोना की वजह से जा नहीं पाए। साल 2020 में फिर से महाराष्ट्र के अमरावती में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में जाने का मौका मिला। इसमें हिस्सा लिया और सिल्वर मेडल जीता। साल 2020 के बाद गवर्नमेंट और फैमिली दोनों की जिम्मेदारी बढ़ गई। इसके कारण 4 साल के लिए खेल से ब्रेक लिया। फिर वापसी करने का फैसला किया। साल 2024 में रायपुर (छत्तीसगढ़) में नेशनल टूर्नामेंट हुआ। उसमें गोल्ड मेडल जीता। दीपक का कहना है- मैं चाहता था कि इंटरनेशनल टूर्नामेंट में एक बार जरूर हिस्सा लूं। इसलिए इस साल नवंबर में श्रीलंका में पावर लिफ्टिंग टूर्नामेंट में खेला, जहां अलग-अलग कैटेगरी में तीन गोल्ड मेडल हासिल कर देश का नाम रोशन किया। श्रीलंका में भारत की ओर से 120 किलोग्राम भार वर्ग में उतरते हुए डॉ. दीपक सिंह ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए बेंच प्रेस में 122 किलोग्राम, स्क्वाट में 150 किलोग्राम और डेडलिफ्ट में 170 किलोग्राम वजन उठाया। अगस्त में काठमांडू (नेपाल) में एशियन पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 3 स्वर्ण पदक जीते। इसके अलावा ओपन कैटेगरी में 2 रजत और 1 कांस्य पदक भी अपने नाम किए। कुल 442 किलोग्राम भार के साथ उन्होंने तीन कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीते। पिता को देखकर बेटा भी बना आर्म्स रेसलर डॉक्टर दीपक सिंह ने बताया- मेरी शादी साल 2006 में डॉक्टर वत्सना कसाना से हुई। वह भी गवर्नमेंट अधिकारी है। वर्तमान में वे गवर्नमेंट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज भरतपुर में प्राचार्य एवं अधीक्षक हैं। साल 2019 में मिसेज एशिया पेसिफिक और साल 2023 में इंडिया एलीट रह चुकी हैं। वह कई विज्ञापन भी कर चुकी हैं। वत्सना गाजियाबाद की रहने वाली हैं। बड़ा बेटा आदित्य NEET की तैयारी कर रहा है। साथ ही आर्म्स रेसलिंग और बॉडी बिल्डिंग भी करता है। बेटी आराध्या 7वीं क्लास में पढ़ती हैं और ताईक्वांडो में ब्लैक बेल्ट है।





















