बांग्लादेशी रॉक संगीतकार जेम्स का संगीत कार्यक्रम आयोजकों द्वारा बाहरी लोगों के हमले के रूप में वर्णित घटना के बाद रद्द कर दिया गया। बीडीन्यूज़24 के अनुसार, फरीदपुर जिला स्कूल में निर्धारित कार्यक्रम उस समय हिंसक हो गया जब कुछ लोगों को प्रवेश से मना कर दिया गया और उन्होंने जबरन कार्यक्रम स्थल में घुसने की कोशिश की और मंच पर ईंट-पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कम से कम 25 लोग घायल हुए, जिनमें 15 से 20 छात्र शामिल हैं। यह संगीत कार्यक्रम फरीदपुर जिला स्कूल की 185वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा था और दो दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन रात 9 बजे होना था। आयोजकों का कहना है कि कार्यक्रम शुरू होने से कुछ ही क्षण पहले, एक समूह ने कार्यक्रम स्थल में जबरन घुसने की कोशिश की।
इसके बाद भीड़ ने मंच पर ईंट-पत्थर फेंकने शुरू कर दिए, जिसके बाद छात्रों के विरोध के चलते मंच को पीछे हटना पड़ा, डेलीस्टार ने यह रिपोर्ट दी। रात 10 बजे तक, आयोजन समिति के संयोजक मुस्तफिजुर रहमान शमीम ने फरीदपुर के उपायुक्त के निर्देशानुसार गायक के कार्यक्रम को रद्द करने की घोषणा की। जेम्स के संगीत कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हमने सभी तैयारियां पूरी कर ली थीं। लेकिन हमें समझ नहीं आ रहा कि यह हमला क्यों, किस कारण से और किसने किया, यह बात वर्षगांठ प्रचार और मीडिया उपसमिति के प्रमुख राजिबुल हसन खान ने कही। उन्होंने यह भी बताया कि अराजकता के कारण कम से कम 15 से 20 छात्र घायल हो गए।
लेखिका तस्लीमा नसरीन ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मैहर घराना के कलाकार सिराज अली खान निर्धारित कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ होने के बाद ढाका में प्रस्तुति दिए बिना ही भारत लौट गए। हाल ही में, उस्ताद राशिद खान के बेटे अरमान खान ने भी संगीत कलाकारों के लिए भीड़ द्वारा बनाए गए अपमानजनक और असुरक्षित माहौल का हवाला देते हुए ढाका के प्रस्तुति निमंत्रण को ठुकरा दिया। कुछ दिन पहले सिराज अली खान ढाका आए थे... उन्होंने ढाका में कोई कार्यक्रम किए बिना ही भारत लौट गए। उन्होंने कहा कि जब तक कलाकार, संगीत और सांस्कृतिक संस्थान सुरक्षित नहीं हो जाते, तब तक वे बांग्लादेश नहीं आएंगे।
तस्लीमा नसरीन ने अपने फेसबुक अकाउंट पर यह जानकारी दी। दो दिन पहले उस्ताद राशिद खान के बेटे अरमान खान ने भी ढाका का निमंत्रण ठुकरा दिया था। उन्होंने भी साफ कर दिया था कि वे बांग्लादेश में कदम नहीं रखना चाहते।
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दो देशों की लड़ाई में हिंदू के देवी देवताओं को निशाना बनाया जा रहा है। जमीन जीतने की सनक में लोगों की मान्यताओं, उनके विश्वास का भी सम्मान नहीं किया जा रहा। भगवानों की मूर्तियां तोड़ी जा रही है, ध्वस्त की जा रही है। जिसे देखकर अब भारत भड़क उठा है। भारत ने इसे तुरंत बंद करने का आदेश देते हुए चेतावनी दी है। जिसे देखकर पूरी दुनिया चौंक गई है। विदेश में लगी भगवान विष्णु की 30 फीट ऊंची प्रतिमा को जमीन पर गिरा दिया जाता है। बिना यह ख्याल के कि यह सिर्फ एक प्रतिमा या मूर्ति नहीं यह करोड़ों सनातनियों का आस्था और विश्वास का प्रतीक है। और जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया तो खतरनाक बवाल कट गया।
भारत ने हिंदू देवता के हुए इस अपमान पर जबरदस्त एक्शन लिया है। भारत ने अपने एक्शन से दुनिया को बहुत बड़ा संदेश भी दिया है। दरअसल थाईलैंड और कंबोडिया की बॉर्डर पर थाई सेना ने भगवान विष्णु की एक मूर्ति तोड़ दी। रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड की सेना ने कंबोडिया में घुसकर हिंदू देवता भगवान विष्णु की मूर्ति को गिरा दिया है। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों में भारी नाराजगी पैदा हो गई है। घटना सोमवार 22 दिसंबर की बताई जा रही है। पूरी दुनिया में इस घटना को देखकर लोग गुस्से में हैं और भड़क उठे हैं। नई दिल्ली ने कहा कि इस तरह के अपमानजनक कृत्यों से दुनिया भर में अनुयायियों की भावनाएं आहत होती हैं, साथ ही उसने थाईलैंड और कंबोडिया दोनों से संवाद और कूटनीति के माध्यम से अपने सीमा विवाद को हल करने का आग्रह किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा हमें हाल ही में निर्मित एक हिंदू धार्मिक देवता की मूर्ति को ध्वस्त किए जाने की खबरें मिली हैं, जो थाई-कंबोडिया सीमा विवाद से प्रभावित क्षेत्र में स्थित थी। भारत ने इस घटना पर कड़ी चिंता जाहिर की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हिंदू और बौद्ध देवता पूरे क्षेत्र में गहरी श्रद्धा के साथ पूजे जाते हैं और यह साझा सभ्यतागत विरासत का हिस्सा हैं। किसी भी तरह के क्षेत्रीय दावे हों, लेकिन इस तरह के अपमानजनक कृत्य दुनिया भर के श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करते हैं और ऐसा नहीं होना चाहिए। बता दें कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पिछले 6 महीने से प्रीही विहार मंदिर के इलाके को लेकर विवाद चल रहा है। जून में दोनों देशों के बीच जंग भी हुई थी। हालांकि ट्रंप की मध्यस्थता के बाद सीज फायर हो गया था। लेकिन दिसंबर में एक बार फिर यह विवाद भड़क गया और अब तक के संघर्ष में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 10 लाख से ज्यादा को पलायन करना पड़ा है। यह तोड़फोड़ धार्मिक दुश्मनी नहीं बल्कि क्षेत्रीय दावों के कारण हुई है।
यह मूर्ति साल 2013 में कंबोडिया सेना ने उस जमीन पर लगाई थी जिसे थाईलैंड अपना इलाका मानता है। यह उबो की प्रांत के चौंग आन मा इलाके में एक किसानों के पास की स्थित जगह बताई जा रही है। थाई सेना के लिए मूर्ति को नष्ट करना उस जमीन पर थाई संप्रभुता को जाहिर करने के बारे में था। जब उनकी सेना ने उस इलाके पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लिया तो उस दौरान उन्होंने बुलडोजर से यह कारवाई की। कंबोडिया सरकार के प्रवक्ता कीम ने कहा कि यह मूर्ति एनसेस इलाके में हमारे इलाके के अंदर थी।
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