सप्ताह की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में हलचल देखने को मिली। कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को तेजी दर्ज की गई, जिसकी बड़ी वजह अमेरिका द्वारा वेनेजुएला के तट के पास अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में एक तेल टैंकर को रोके जाने की कार्रवाई और रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ा लगातार बना तनाव माना जा रहा है। बता दें कि इन दोनों घटनाओं ने वैश्विक आपूर्ति में बाधा की आशंकाओं को फिर से हवा दी।
मौजूद जानकारी के अनुसार, ब्रेंट क्रूड वायदा 1.31 डॉलर यानी करीब 2.17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) में 1.25 डॉलर या लगभग 2.2 प्रतिशत की तेजी देखी गई और यह 57.77 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करता दिखा।
गौरतलब है कि वैश्विक कच्चे तेल की कुल आपूर्ति में वेनेजुएला की हिस्सेदारी करीब 1 प्रतिशत ही है, लेकिन वहां से जुड़ी किसी भी कार्रवाई का मनोवैज्ञानिक असर बाजार पर साफ दिखता है। हालांकि अमेरिका और ओपेक प्लस समूह के देशों से बढ़ती आपूर्ति ने अब तक अन्य क्षेत्रों में संभावित आपूर्ति बाधाओं की चिंताओं को काफी हद तक संतुलित किया है। इसी वजह से 2025 की दूसरी छमाही में ब्रेंट की कीमतें लंबे समय तक 65 डॉलर के आसपास बनी रहीं, लेकिन बीते एक महीने में ओवरसप्लाई की आशंकाओं के चलते दबाव भी देखा गया।
कमोडिटी बाजार पर नजर रखने वाली विश्लेषक जून गोह का कहना है कि सामान्य तौर पर बाजार का रुख भले ही कमजोर बना हुआ हो, लेकिन वेनेजुएला के पास घटनाक्रम और रूस-यूक्रेन तनाव ने तेल कीमतों को सहारा दिया है। बता दें कि अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने वेनेजुएला के नजदीक अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में एक तेल टैंकर का पीछा शुरू किया है, जो अगर सफल रहा तो दो हफ्तों से भी कम समय में इस तरह की तीसरी कार्रवाई होगी।
इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रतिबंधित वेनेजुएलाई तेल टैंकरों पर “पूर्ण और सख्त” नाकेबंदी की घोषणा के बाद बाजार में तेजी का माहौल बना है। इसी क्रम में भूमध्य सागर में यूक्रेन के ड्रोन हमले से जुड़े एक रूसी शैडो फ्लीट पोत की खबरों ने भी निवेशकों की चिंताओं को बढ़ाया है।
हालांकि यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पिछले सप्ताह ब्रेंट और WTI दोनों में करीब 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इस बीच कूटनीतिक मोर्चे पर अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने बताया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के प्रयासों के तहत अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के अधिकारियों के बीच हालिया बातचीत में आपसी रुख को करीब लाने पर जोर दिया गया है।
हालांकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शीर्ष विदेश नीति सलाहकार का कहना है कि यूरोपीय देशों और यूक्रेन द्वारा अमेरिकी प्रस्तावों में किए गए बदलावों से शांति की संभावनाएं फिलहाल बेहतर नहीं हुई हैं, जिससे भू-राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है और तेल बाजार पर इसका असर आगे भी देखने को मिल सकता है।
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बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया ने भारत की टी20 वर्ल्ड कप टीम का ऐलान किया, चर्चा पूरी तरह एक नाम पर टिक गई। जिस शुभमन गिल को आने वाले समय में ऑल-फॉर्मेट लीडर के तौर पर देखा जा रहा था, उनका 15 सदस्यीय टीम से बाहर होना सबको चौंका गया। बता दें कि टीम में संजू सैमसन की ओपनिंग में वापसी हुई, जबकि हाल ही में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी फाइनल में शतक लगाने वाले ईशान किशन को बैकअप विकेटकीपर के तौर पर शामिल किया गया।
मौजूद जानकारी के अनुसार, चयन के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाकी खिलाड़ियों से ज़्यादा गिल की गैरमौजूदगी पर सवाल उठे। इसकी वजह यह भी रही कि बीते कुछ महीनों से संकेत मिल रहे थे कि 25 वर्षीय गिल को टी20 फॉर्मेट में भविष्य के कप्तान के रूप में तैयार किया जा रहा है। उन्हें पहले ही वनडे और टेस्ट में नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है। कप्तान सूर्यकुमार यादव भी इस दौरान फॉर्म से जूझते दिखे हैं, लेकिन चर्चा का केंद्र गिल ही बने रहे।
गौरतलब है कि टी20 क्रिकेट में गिल का रिकॉर्ड काफी मजबूत रहा है। पिछले छह आईपीएल सीज़न में वह हर बार 400 से ज्यादा रन बना चुके हैं और हाल के तीन सीज़न में उनका स्ट्राइक रेट 135 से ऊपर रहा है। साल 2023 में उन्होंने 890 रन बनाकर ऑरेंज कैप जीती थी, जबकि आईपीएल 2025 में गुजरात टाइटंस की कप्तानी करते हुए 650 रन, छह अर्धशतकों और करीब 156 के स्ट्राइक रेट के साथ उनका प्रदर्शन प्रभावशाली रहा।
इसके बावजूद, रिपोर्ट के मुताबिक समस्या उनके रोल को लेकर रही। चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट ने उन्हें टॉप ऑर्डर में एक ऐसे बल्लेबाज़ के रूप में देखा था जो पारी को संभाल सके, ठीक वैसे ही जैसे विराट कोहली बड़े टूर्नामेंट्स में करते रहे हैं। इसी योजना के तहत संजू सैमसन को कई बार अपने पसंदीदा स्थान से नीचे बल्लेबाज़ी करनी पड़ी और गिल को प्लेइंग इलेवन में निरंतर मौके दिए गए।
हालांकि, टीम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गिल पावर हिटिंग और स्थिरता के बीच सही संतुलन नहीं बना पाए। वापसी के बाद 15 पारियों में उनके बल्ले से सिर्फ 291 रन निकले और कोई अर्धशतक नहीं आया। वहीं कप्तान सूर्यकुमार यादव के भी फॉर्म में न होने से बाकी बल्लेबाज़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा और टीम की रन गति प्रभावित हुई।
ऐसे में चयनकर्ताओं ने वर्ल्ड कप से पहले सख्त फैसला लिया और संकेत दे दिया कि मौजूदा सेटअप में प्रदर्शन ही प्राथमिकता है, नाम या भविष्य की योजना नहीं, और यही संदेश शुभमन गिल के बाहर होने से साफ तौर पर सामने आया।
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