अमेरिका में जेफ्री एप्स्टीन से जुड़े दस्तावेजों को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई। हफ्ते के अंत में अमेरिकी न्याय विभाग ने एप्स्टीन और उसकी सहयोगी घिसलेन मैक्सवेल के सेक्स ट्रैफिकिंग मामलों से जुड़े हजारों अतिरिक्त दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं।
बता दें कि यह खुलासा एप्स्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट के तहत किया गया है, जिस पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नवंबर में हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, इन दस्तावेजों में बड़े पैमाने पर की गई काट-छांट और कुछ फाइलों के अचानक गायब हो जाने से पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए।
मौजूद जानकारी के अनुसार, जारी किए गए कई दस्तावेजों में नाम, बयान और तस्वीरें आंशिक या पूरी तरह से ब्लैकआउट की गई हैं। अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतनी भारी रेडैक्शन से सच सामने आने की उम्मीद कमजोर पड़ती है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कम से कम 16 फाइलें पहले जारी होने के बाद वेबसाइट से हटा ली गईं, जिनमें एक तस्वीर ऐसी भी थी जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप नजर आ रहे थे।
गौरतलब है कि यह कानून सरकार को एप्स्टीन से जुड़े सभी गैर-गोपनीय रिकॉर्ड सार्वजनिक करने के लिए बाध्य करता है। इससे पहले 2024 की शुरुआत में करीब 950 पन्नों के दस्तावेज सामने आए थे। ताजा दस्तावेजों में यह पुष्टि हुई है कि 1996 में ही एफबीआई को एप्स्टीन के कथित अपराधों की जानकारी मिल गई थी, लेकिन उस समय ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पीड़िता मारिया फार्मर ने बाद में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह खुलासा उनके लिए न्याय जैसा महसूस होता है।
नई फाइलों में ग्रैंड जूरी के बयान भी शामिल हैं, जिनमें कई लड़कियों और युवतियों ने एप्स्टीन द्वारा पैसे देकर यौन शोषण कराने के आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सबसे कम उम्र की पीड़िता 14 साल की थी। कुछ बयानों में यह भी सामने आया है कि पीड़िताओं से अन्य लड़कियों को लाने के लिए कहा जाता था और इसके बदले पैसे दिए जाते थे।
इन दस्तावेजों के साथ कई तस्वीरें भी जारी की गई हैं, जिनमें एप्स्टीन के साथ कई प्रभावशाली और चर्चित हस्तियां नजर आती हैं। इनमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू, अभिनेता केविन स्पेसी, उद्योगपति रिचर्ड ब्रैनसन और पॉप स्टार्स माइकल जैक्सन व मिक जैगर शामिल हैं। हालांकि न्याय विभाग ने इन तस्वीरों के संदर्भ या परिस्थितियों पर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी।
डोनाल्ड ट्रंप की बात करें तो उनका नाम या तस्वीरें बहुत सीमित रूप में ही फाइलों में दिखाई देती हैं, और वे पहले से सार्वजनिक तस्वीरों जैसी ही बताई जा रही हैं। एक दस्तावेज में यह आरोप जरूर दर्ज है कि एप्स्टीन एक नाबालिग लड़की को ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित रिसॉर्ट में ले गया था, लेकिन उस शिकायत में ट्रंप पर सीधे तौर पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया है कि मौजूदा प्रशासन अब तक का सबसे पारदर्शी प्रशासन है।
इस बीच, डेमोक्रेट सांसदों ने आरोप लगाया है कि कुछ खास तस्वीरों को जानबूझकर हटाया गया है और सच्चाई को छुपाया जा रहा है। न्याय विभाग का कहना है कि पीड़ितों की पहचान, चल रही जांच और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सूचनाओं की वजह से रेडैक्शन जरूरी है।
हालांकि विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि आने वाले दिनों में और दस्तावेज जारी किए जाएंगे। इसके बावजूद कई सांसदों और पीड़ितों के वकीलों का मानना है कि कानून की भावना के अनुरूप पूरी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस या अदालत के जरिए आगे और खुलासे हो पाते हैं या नहीं, लेकिन फिलहाल एप्स्टीन फाइल्स को लेकर अमेरिका की सियासत और न्याय व्यवस्था दोनों सवालों के घेरे में हैं।
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सप्ताह की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में हलचल देखने को मिली। कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को तेजी दर्ज की गई, जिसकी बड़ी वजह अमेरिका द्वारा वेनेजुएला के तट के पास अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में एक तेल टैंकर को रोके जाने की कार्रवाई और रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ा लगातार बना तनाव माना जा रहा है। बता दें कि इन दोनों घटनाओं ने वैश्विक आपूर्ति में बाधा की आशंकाओं को फिर से हवा दी।
मौजूद जानकारी के अनुसार, ब्रेंट क्रूड वायदा 1.31 डॉलर यानी करीब 2.17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) में 1.25 डॉलर या लगभग 2.2 प्रतिशत की तेजी देखी गई और यह 57.77 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करता दिखा।
गौरतलब है कि वैश्विक कच्चे तेल की कुल आपूर्ति में वेनेजुएला की हिस्सेदारी करीब 1 प्रतिशत ही है, लेकिन वहां से जुड़ी किसी भी कार्रवाई का मनोवैज्ञानिक असर बाजार पर साफ दिखता है। हालांकि अमेरिका और ओपेक प्लस समूह के देशों से बढ़ती आपूर्ति ने अब तक अन्य क्षेत्रों में संभावित आपूर्ति बाधाओं की चिंताओं को काफी हद तक संतुलित किया है। इसी वजह से 2025 की दूसरी छमाही में ब्रेंट की कीमतें लंबे समय तक 65 डॉलर के आसपास बनी रहीं, लेकिन बीते एक महीने में ओवरसप्लाई की आशंकाओं के चलते दबाव भी देखा गया।
कमोडिटी बाजार पर नजर रखने वाली विश्लेषक जून गोह का कहना है कि सामान्य तौर पर बाजार का रुख भले ही कमजोर बना हुआ हो, लेकिन वेनेजुएला के पास घटनाक्रम और रूस-यूक्रेन तनाव ने तेल कीमतों को सहारा दिया है। बता दें कि अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने वेनेजुएला के नजदीक अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में एक तेल टैंकर का पीछा शुरू किया है, जो अगर सफल रहा तो दो हफ्तों से भी कम समय में इस तरह की तीसरी कार्रवाई होगी।
इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रतिबंधित वेनेजुएलाई तेल टैंकरों पर “पूर्ण और सख्त” नाकेबंदी की घोषणा के बाद बाजार में तेजी का माहौल बना है। इसी क्रम में भूमध्य सागर में यूक्रेन के ड्रोन हमले से जुड़े एक रूसी शैडो फ्लीट पोत की खबरों ने भी निवेशकों की चिंताओं को बढ़ाया है।
हालांकि यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पिछले सप्ताह ब्रेंट और WTI दोनों में करीब 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इस बीच कूटनीतिक मोर्चे पर अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने बताया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के प्रयासों के तहत अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के अधिकारियों के बीच हालिया बातचीत में आपसी रुख को करीब लाने पर जोर दिया गया है।
हालांकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शीर्ष विदेश नीति सलाहकार का कहना है कि यूरोपीय देशों और यूक्रेन द्वारा अमेरिकी प्रस्तावों में किए गए बदलावों से शांति की संभावनाएं फिलहाल बेहतर नहीं हुई हैं, जिससे भू-राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है और तेल बाजार पर इसका असर आगे भी देखने को मिल सकता है।
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