दुबई में खेले गए अंडर-19 एशिया कप 2025 के फाइनल ने भारत-पाकिस्तान जूनियर क्रिकेट की प्रतिद्वंद्विता को एक नया अध्याय दे दिया है। रविवार को हुए खिताबी मुकाबले में पाकिस्तान अंडर-19 टीम ने भारत को 191 रन से हराकर टूर्नामेंट अपने नाम किया और मैदान पर जश्न का माहौल बन गया।
बता दें कि टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला भारत के लिए भारी पड़ा। मौजूद जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान के ओपनर समीर मिन्हास ने शुरुआत से ही भारतीय गेंदबाजों पर दबाव बना दिया। उन्होंने 113 गेंदों पर 172 रन की यादगार पारी खेली, जिसमें 17 चौके और 9 छक्के शामिल रहे। इससे पहले उन्होंने ग्रुप स्टेज में भी 177 रन बनाए थे, और फाइनल में भी उनका बल्ला उसी लय में चलता दिखा। मिन्हास की इस पारी की बदौलत पाकिस्तान ने 50 ओवर में 8 विकेट पर 347 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया।
गौरतलब है कि भारतीय गेंदबाजों को विकेट से खास मदद नहीं मिली और स्पिन आक्रमण भी असरदार साबित नहीं हो सका। हालांकि, डेथ ओवर्स में भारत ने कुछ वापसी की कोशिश जरूर की, लेकिन तब तक पाकिस्तान मजबूत स्थिति में पहुंच चुका था।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही। टीम के शीर्ष तीन बल्लेबाज कप्तान आयुष म्हात्रे, वैभव सूर्यवंशी और आरोन जॉर्ज पांच ओवर के भीतर पवेलियन लौट गए। मौजूद जानकारी के अनुसार, अब्दुल सुभान, मोहम्मद सैय्यम और अली रज़ा की तिकड़ी ने भारतीय बल्लेबाजी क्रम को पूरी तरह बिखेर दिया। भारत की पूरी टीम 26.2 ओवर में 156 रन पर सिमट गई।
दीपेश देवेंद्रन और कुछ निचले क्रम के बल्लेबाजों ने संघर्ष जरूर किया, लेकिन जीत की उम्मीद पहले ही खत्म हो चुकी थी। इस तरह पाकिस्तान ने 191 रन की बड़ी जीत दर्ज कर अंडर-19 एशिया कप 2025 का खिताब अपने नाम किया।
मैच के बाद समीर मिन्हास को प्लेयर ऑफ द मैच और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट दोनों पुरस्कार मिले। पुरस्कार वितरण समारोह में एशियन क्रिकेट काउंसिल के चेयरमैन मोहसिन नक़वी ने पाकिस्तान टीम को ट्रॉफी सौंपी, जिसके बाद खिलाड़ियों ने जमकर जश्न मनाया।
भारतीय कप्तान आयुष म्हात्रे ने हार के बाद कहा कि टीम ने पहले गेंदबाजी का फैसला सोच-समझकर लिया था, लेकिन यह उनका ऑफ-डे साबित हुआ। उन्होंने माना कि गेंदबाजी में लाइन-लेंथ बेहतर हो सकती थी और पाकिस्तान के बल्लेबाजों ने हालात का पूरा फायदा उठाया है।
गौरतलब है कि ग्रुप स्टेज में भारत ने पाकिस्तान को हराया था, लेकिन फाइनल में पाकिस्तान ने जबरदस्त वापसी करते हुए दबाव के बड़े मुकाबले में खुद को साबित किया है। यह पाकिस्तान का दूसरा अंडर-19 एशिया कप खिताब है और इस जीत ने उनकी युवा टीम के आत्मविश्वास को नई ऊंचाई दी है, वहीं भारत के लिए यह हार आगे की तैयारियों को लेकर कई सबक छोड़ गई है।
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टीम इंडिया के टी20 सेट-अप में इन दिनों काफी हलचल देखने को मिल रही है। बुधवार सुबह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चौथे टी20 मैच से पहले चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर का अचानक लखनऊ जाना और उसी दिन शाम तक उपकप्तान शुभमन गिल के बाहर होने की खबर ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मौजूद जानकारी के अनुसार, गिल को चौथे मैच से ठीक पहले दाहिने पैर में इम्पैक्ट इंजरी हुई, जिसके चलते वह बाकी बचे टी20 मुकाबलों से बाहर हो गए।
हालांकि कागजों पर यह एक सामान्य चोट का मामला लग सकता है, लेकिन टीम इंडिया के भीतर की तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां करती है। बता दें कि टीम प्रबंधन पहले ही टी20 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए शीर्ष क्रम में बदलाव के मूड में था। लगातार रन न बना पाने के चलते गिल को ओपनिंग से हटाने पर विचार चल रहा था और इसी क्रम में संजू सैमसन को अहमदाबाद में होने वाले पांचवें टी20 में फिर से पारी की शुरुआत करते देखा जाएगा।
गौरतलब है कि आईपीएल के बाद से ही टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ता टी20 विश्व कप की तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। उस वक्त गिल को भविष्य का ऑल-फॉर्मेट लीडर मानते हुए उन्हें टी20 टीम में भी स्पष्ट भूमिका दी गई थी। विकेटकीपर बल्लेबाजों को मिडिल ऑर्डर में खिलाने की रणनीति बनाई गई थी, जिसके तहत आईपीएल में भी संजू सैमसन और ऋषभ पंत अपने पसंदीदा स्थान से नीचे बल्लेबाजी करते नजर आए थे।
मौजूद जानकारी के अनुसार, गिल को पिछले आठ महीनों में शायद सबसे ज्यादा स्पष्टता मिली हुई थी कि उन्हें किस फॉर्मेट में कहां बल्लेबाजी करनी है। इसके बावजूद, रन न बनने की स्थिति में टीम मैनेजमेंट ने सख्त रुख अपनाया। मौजूदा हेड कोच गौतम गंभीर के नेतृत्व में टीम प्रबंधन ड्रेसिंग रूम में सुपरस्टार कल्चर को बढ़ावा देने के पक्ष में नहीं है, और गिल का बाहर होना इसी सोच की एक मिसाल माना जा रहा है।
हालांकि, इस फैसले के साथ टीम की रणनीतिक अस्पष्टता भी सामने आई है। गिल को टी20 में ओपनर के तौर पर इस सोच के साथ खिलाया गया था कि वह पारी को संभालते हुए रन गति बनाए रखेंगे, जैसा कि लंबे समय तक विराट कोहली करते आए हैं। लेकिन टीम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, गिल खुद इस दबाव में फंस गए कि उन्हें आक्रामक भी खेलना है और पारी को थामना भी है। इस असमंजस का असर न सिर्फ उनके खेल पर पड़ा, बल्कि टीम की पावर-हिटिंग भी प्रभावित हुई है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि कप्तान सूर्यकुमार यादव और गिल दोनों के फॉर्म में नहीं होने से बाकी बल्लेबाज खुलकर नहीं खेल पाए, जिससे स्ट्राइक रेट पर असर पड़ा है। विकेटकीपर बल्लेबाज के ऊपर बल्लेबाजी करने से अब टीम को अतिरिक्त पावर-हिटिंग का विकल्प मिला है, जिससे संतुलन थोड़ा बेहतर दिख रहा है।
गौरतलब है कि 2024 टी20 विश्व कप के बाद टेस्ट क्रिकेट पर फोकस करने वाले गिल, ऋषभ पंत और यशस्वी जायसवाल भी आगामी टी20 विश्व कप टीम में जगह नहीं बना सके हैं। इसके चलते टीम मैनेजमेंट को लंबे समय बाद ईशान किशन को फिर से योजना में शामिल करना पड़ा है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, अजीत अगरकर और गौतम गंभीर भविष्य के लिए एक स्थिर टीम बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भूमिकाओं को लेकर अब भी तस्वीर साफ नहीं है। चयन से यह भी संकेत मिलते हैं कि भविष्य के नेतृत्व को लेकर बनाई गई योजना फिलहाल पटरी से उतर चुकी है। सूत्रों का कहना है कि टी20 विश्व कप के बाद और भी बड़े फैसले लिए जा सकते हैं और भले ही सूर्यकुमार यादव का टूर्नामेंट अच्छा जाए, नेतृत्व को लेकर नए सिरे से सोच की जा सकती है।
फिलहाल टीम कागजों पर संतुलित जरूर दिखती है, लेकिन खिलाड़ियों को लचीलापन के नाम पर लगातार भूमिका बदलने की चुनौती से गुजरना पड़ रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनवरी में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टी20 सीरीज में क्या टीम प्रबंधन किसी स्थायी योजना पर अंतिम मुहर लगा पाता है या नहीं, यही आने वाले समय में साफ होगा।
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