देशद्रोही रामपाल को सम्मानित करेगी किसान यूनियन:हिसार में भाई और बेटे सम्मान लेने आएंगे, 100 गांवों को न्योता, किसान रत्न से नवाजेंगे
हरियाणा के हिसार में सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल को भारतीय किसान यूनियन किसान रत्न से सम्मानित करने जा रही है। आज यानी रविवार को हिसार के डाया गांव में इसको लेकर बड़ा कार्यक्रम रखा गया है। आसपास के 100 गांवों के ग्रामीणों को निमंत्रण दिया गया है। देशद्रोह के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे रामपाल के भाई महेंद्र सिंह और दोनों बेटे वीरेंद्र और मनोज इस सम्मान को लेंगे। कार्यक्रम में मंच पर रामपाल की मूर्ति लगाई जाएगी। रामपाल के अनुयायी भी बड़ी संख्या में कार्यक्रम में आएंगे। कार्यक्रम के आयोजक भारतीय किसान यूनियन (अमावता) के प्रदेश अध्यक्ष दिलबाग सिंह हुड्डा ने बताया कि रामपाल ने हिसार के 300 बाढ़ग्रस्त गांवों में किसानों की मदद की है, इसलिए सभी ग्रामीण उनको किसान रत्न से सम्मानित करने जा रहे हैं। करोड़ों रुपए रामपाल किसानों के लिए खर्च कर चुके हैं, ऐसे में हम उनका सम्मान कर रहे हैं। 10 दिन पहले किसान मसीहा सम्मान दिया इससे पहले 10 दिसंबर को हिसार के धीरणवास गांव में रामपाल महाराज के सम्मान समारोह में कार्यक्रम किया गया था। इसमें बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे थे। यहां 85 गांवों और 12 खाप पंचायतों ने संयुक्त रूप से रामपाल को किसान मसीहा सम्मान से सम्मानित किया था। रामपाल के स्वागत के लिए 50 से अधिक ट्रैक्टरों का काफिला शामिल हुआ था। रामपाल के कार्यक्रम को लेकर खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट हो गई हैं। हर कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग से लेकर तमाम चीजें गृह विभाग तक पहुंचाई जा रही है। रामपाल की जमानत पर 17 जनवरी को सुनवाई हिसार कोर्ट करीब तीन माह पहले देशद्रोह मामले में रामपाल की जमानत याचिका खारिज कर चुकी है। रामपाल के वकील महेंद्र सिंह नैन और सचिन दास ने इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। इस मामले में 17 जनवरी को अगली सुनवाई होनी है। इस मामले में 980 से अधिक आरोपी हैं। इनमें से रामपाल और हाल ही में गिरफ्तार एक आरोपी जेल में है। रामपाल 4 आपराधिक मामलों से बरी हो चुका है। हाईकोर्ट ने हत्या के दो मामलों में उनकी सजा निलंबित कर दी है। 14 में से 11 केसों में बरी हो चुका रामपाल रामपाल के वकालतनामे पर हस्ताक्षर करने वाले हिसार के एडवोकेट कुलदीप ने बताया कि रामपाल महाराज 2014 से जेल में बंद है। उन पर कुल 14 केस लगे थे। उनमें से 11 केस में वे बरी हो चुके हैं। 2 केस जिनका मुकदमा नंबर 429 और 430 है, उनमें हाईकोर्ट ने उनकी उम्रकैद की सजा को सस्पेंड कर दिया है। अभी देशद्रोह का मुकद्दमा नंबर 428 है। इसमें 1000 से ज्यादा लोग शामिल थे। इनमें अधिकतर की बेल हो चुकी है, मगर अभी तक इस केस में रामपाल ने बेल नहीं लगाई है। संभावना है कि अर्जी लगाने पर बेल मिल जाएगी। हिसार में रामपाल का केस लड़ने वाले उनके वकील महेंद्र सिंह नैन बताते हैं कि उनके पास रामपाल का एक केस है, जो अंडर ट्रायल है। इन मामलों की वजह से सुर्खियों में रह चुका रामपाल 2014 से जेल में बंद है बाबा रामपाल रामपाल की गिरफ्तारी के बाद, उन्हें अदालत में पेश किया गया और कई सालों तक कानूनी लड़ाई चलती रही। 2018 में, हिसार की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वर्तमान में, रामपाल जेल में है, लेकिन उनके अनुयायियों की संख्या अब भी काफी है, जो उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं और उन्हें निर्दोष मानते हैं। एक जूनियर इंजीनियर से लेकर एक विवादास्पद धार्मिक गुरु बनने तक का उनका सफर काफी घटनाओं से भरा रहा है। जेल में होने के बावजूद, उनके अनुयायी अब भी उनकी शिक्षाओं में विश्वास करते हैं और उन्हें आदर देते हैं।
पंजाब का शुभम राजस्थान में जज बना:मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की बीमारी, व्हीलचेयर ही सहारा; 43वें रैंक पाई, हरियाणा से की लॉ की पढ़ाई
पंजाब के लुधियाना के शुभम सिंगला राजस्थान में जज बनेंगे। उन्होंने 19 दिसंबर को राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विसेज का एग्जाम पास किया है। जिसमें उन्हें 43वीं रैंक मिली। यह उनका दूसरा अटेंप्ट था। शुभम सिंगला की कामयाबी इसलिए अहम है क्योंकि वह लिम्ब-गर्डल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी(LGMD) जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से वह व्हीलचेयर पर आ गए लेकिन मजबूत इरादे नहीं छोड़े। शुभम ने हरियाणा के हिसार से LLB की पढ़ाई की। अब वह लुधियाना से लॉ में मास्टर डिग्री कर रहे हैं। शुभम ने कहा कि जल्द ही उन्हें राजस्थान में नियुक्ति मिल जाएगी। बीमारी से लड़ते शुभम सिंगला की जज बनने की कहानी... लोग कमेंट करते, परिवार ने साथ दिया शुभम ने बताया कि सोसाइटी में बहुत तरह के लोग होते हैं। कुछ लोग अगर उन्हें देखकर कमेंट करते भी थे तो कभी उस चीज की परवाह नहीं की। उसका कहना है कि अगर कोई आपके बारे में गलत सोचता है तो वो उसके मानसिक स्तर को दर्शाता है। शुभम ने बताया कि वो जॉइंट फैमिली में रहता था। उसकी मां, पिता, दादी, भाई, बहनें व अन्य सभी सदस्यों ने उसके हर कदम पर साथ दिया। सभी उसे प्रोत्साहित करते रहे जिसका नतीजा यह हुआ कि वो आज अपना सपना पूरा कर सका है। मस्कुलर-डिस्ट्रॉफी का इलाज नहीं, खुद को कमजोर न समझें शुभम सिंगला का कहना है कि उसे पता है कि उसको जो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी डिजीज है यह जेनेटिक है और इसका कोई इलाज नहीं है। उसने बताया कि उसकी यह प्रॉब्लम कभी उसकी मेहनत के आड़े नहीं आई और न ही इसकी वजह से वो अपने लक्ष्य से विचलित हुआ। शुभम का कहना है कि जो बच्चे किसी भी तरह से शारीरिक तौर पर डिसएबल हैं वो अपने आप को अलग न समझें। वो दूसरे बच्चों के साथ बराबर का कंपीटिशन लड़ें और खुद को उनके साबित करें। ऐसी कोई बाधा नहीं है जिसे वो पार नहीं कर सकते हैं। अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उसके हिसाब से चलें। 15 साल के सभी इंटरनेशनल क्रिकेट मैचों का पल-पल याद शुभम के पिता राज सिंगला ने बताया कि इसे बचपन से ही क्रिकेट का बहुत शौक था। उनके पिता भी क्रिकेट मैच देखते थे। जब वो बाहर जाते थे और घर आकर शुभम को पूछते थे कि आज मैच में क्या क्या हुआ। वहीं से उसने क्रिकेट के हर मैच को बारीकी से देखा और एक एक पल को अपने माइंड में सेव कर दिया। आज भी उसे हर मैच के एक एक पल की जानकारी है। शुभम सिंगला ने बताया कि उन्हें क्रिकेट से बहुत प्यार है। क्रिकेट खेलना उनका शौक रहा है। विराट कोहली उनके फेवरेट प्लेयर हैं और आज भी जब विराट खेलते हैं तो उनका मैच जरूर देखता हूं। उस बीमारी के बारे में जानिए, जो शुभम को हुई... जेनेटिक्स एक्सपर्ट के मुताबिक जन्म के समय बच्चा बिल्कुल स्वस्थ रहता है। लेकिन, 2-3 साल की उम्र में लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। हाथ-पैर अपने आप मुड़ने लगते हैं। रीढ़ की हड्डी सिकुड़ने लगती है। कंधा झुकना लगता है। चलना-फिरना बंद हो जाता है। 5 से 10 साल की उम्र में जाते-जाते मरीज बेड और व्हील चेयर पर आ जाता है। हालत ऐसी होती है कि अपने हाथ से मुंह पर बैठी मक्खी भी नहीं उड़ा सकते। DMD का पता तब चलता है जब बच्चे को चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है। जबकि, ये दिक्कत मां के गर्भ में होती है। ये बीमारी माता-पिता से बच्चे में ट्रांसफर नहीं होती। गर्भ में गैमिटोजेनेसिस या जाइगोट (जब शुक्राणु और अंडाणु मिलते हैं तो जाइगोट बनता है) बनने के दौरान काेई जीन टूट गया तो ही ये रोग होता है। ज्यादातर केस में डिस्ट्रॉफी जीन के टूटने से ऐसा होता है। डिस्ट्रॉफी जीन में 79 एग्जॉन होते हैं। जब इसके अंदर एक या एक से अधिक एग्जॉन टूट जाते हैं तो डिस्ट्रॉफी प्रोटीन सही से नहीं बनती। इसी से मांस-पेशियों के विकास में दिक्कतें आ जाती हैं।
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