नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को राहत:दिल्ली कोर्ट ने ED की शिकायत खारिज की, कहा- मामला FIR नहीं, बल्कि निजी आरोप से जुड़ा
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सोनिया गांधी और 5 अन्य के खिलाफ संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायत खारिज कर दी। राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला किसी FIR नहीं, बल्कि एक निजी शिकायत पर आधारित है। इसलिए ED की ओर से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दायर शिकायत विचार योग्य नहीं है। नेशनल हेराल्ड मामला BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी की एक शिकायत से जुड़ा है। स्वामी ने सोनिया, राहुल और अन्य कांग्रेस नेताओं पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) कंपनी की ₹2,000 करोड़ की संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया है। इस मामले में सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, यंग इंडियन, डोटेक्स मर्चेंडाइज और सुनील भंडारी भी आरोपी है। क्या है नेशनल हेराल्ड केस BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया, राहुल और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। आरोप के मुताबिक, कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड ऑर्गेनाइजेशन नाम की संस्था बनाई, जिसकी अधिकतर हिस्सेदारी गांधी परिवार के पास है। यंग इंडियन के जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली AJL का अवैध अधिग्रहण कर लिया। स्वामी का आरोप था कि ये सब दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की ₹2000 करोड़ की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था। आरोप है मुताबिक, ₹2000 करोड़ की कंपनी को केवल ₹50 लाख में खरीदा गया। सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया, राहुल समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी। आरोपियों में से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज की अब मौत हो चुकी है। साल 2022 : सोनिया-राहुल से घंटों पूछताछ हुई थी नेशनल हेराल्ड मामले में ED ने साल 2022 में राहुल गांधी और सोनिया गांधी को अपने दफ्तर कई बार बुलाकर पूछताछ की है। ED ने 13 जून 2022 से 17 जून 2022 तक राहुल से लगातार 5 दिनों तक, कई चरणों में करीब 50 घंटे पूछताछ की थी। सोनिया गांधी से 21 जुलाई 2022 से पूछताछ शुरू हुई। 3 दिन के दौरा, कई चरणों में 12 घंटे पूछताछ हुई थी। ED ने इस दौरान उनसे 100 से ज्यादा सवाल किए। अप्रैल में ED ने ₹661 करोड़ की संपत्तियां जब्त करने का नोटिस जारी किया था ED ने अप्रैल में एक बयान में कहा कि उसने 661 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों को कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किया है। ED ने PMLA एक्ट की धारा 8 और नियम 5(1) के अनुसार संबंधित संपत्ति रजिस्ट्रार को दस्तावेज सौंपे थे। ED ने कब्जे में लिए जाने वाली संपत्तियां खाली करने की मांग की थी। इन अचल संपत्तियों के अलावा ED ने AJL के 90.2 करोड़ रुपए के शेयरों को नवंबर 2023 में अपराध से की गई कमाई को सुरक्षित करने और आरोपी को इसे नष्ट करने से रोकने के लिए कुर्क किया था। ED ने मुंबई के बांद्रा में हेराल्ड हाउस की 7वीं, 8वीं और 9वीं मंजिल पर स्थित जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को भी नोटिस दिया गया, कि वह हर महीने किराया ED के निदेशक के पक्ष में ट्रांसफर करे। 29 नवंबर : कोर्ट का फैसला तीसरी बार टला नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट को यह तय करना है कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED की चार्जशीट पर संज्ञान लें या नहीं। हालांकि शनिवार यानी 29 नवंबर को फैसला तीसरी बार टल गया है। कोर्ट ने 14 जुलाई को बहस पूरी होने के बाद फैसला 29 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रखा था। इसके बाद 8 अगस्त और 29 नवंबर को फैसला टला। अब कोर्ट 16 दिसंबर को फैसला सुनाएगी।
चिदंबरम बोले- बिलों के हिंदी शब्द गैर-हिंदी भाषियों का अपमान:75 साल की परंपरा से किसी को दिक्कत नहीं हुई, अब बदलाव क्यों
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सरकार की तरफ से संसद में पेश होने वाले बिलों के टाइटल में हिंदी शब्दों के इस्तेमाल की बढ़ती प्रथा की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव गैर-हिंदी भाषी लोगों का अपमान है। चिदंबरम ने कहा कि गैर-हिंदी भाषी लोग ऐसे बिल/एक्ट को नहीं पहचान सकते जिनके टाइटल अंग्रेजी अक्षरों में लिखे हिंदी शब्दों में हों। वे उनका उच्चारण भी नहीं कर सकते। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को मनरेगा के नाम ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025’ पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा- यह बदलाव गैर-हिंदी भाषी लोगों और उन राज्यों का अपमान है जिनकी आधिकारिक भाषा हिंदी के अलावा कोई और है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पूछा- 75 साल की प्रथा में बदलाव जरूरी क्यों राज्यसभा सांसद चिदंबरम ने सरकार से सवाल किया कि- अभी तक यह प्रथा थी कि बिल का टाइटल अंग्रेजी वर्जन में अंग्रेजी शब्दों में और हिंदी वर्जन में हिंदी शब्दों में लिखा जाता था। 75 साल की इस प्रथा में किसी को दिक्कत नहीं हुई, तो सरकार को बदलाव क्यों करना चाहिए? पिछली सरकारों ने इस वादे को दोहराया है कि अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा बनी रहेगी। मुझे डर है कि यह वादा टूट जाएगा। क्या है जी राम जी, जिसके नाम पर विवाद मोदी सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) को खत्म कर नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने जा रही है। इसे मौजूदा शीतकालीन सत्र में चर्चा के लिए सूचीबद्ध भी किया गया है। नए बिल में कहा गया है कि इसका उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप ग्रामीण विकास का नया ढांचा तैयार करना है। काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी। बिल से जुड़े 5 सवाल और उनके जवाब... जवाबः MGNREGA पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। नया बिल साफ तौर पर 2005 के MGNREGA कानून को रद्द (Repeal) करने की बात करता है। यानी नया कानून लागू होने के बाद सिर्फ VB-G RAM G ही लागू रहेगा। जवाबः नया कानून संसद से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू होगा। बिल के मुताबिक, कानून लागू होने के 6 महीने के भीतर राज्यों को अपनी नई योजना बनानी होगी। राज्यों को नए सिस्टम के तहत नया पंजीकरण/पहचान व्यवस्था लागू करनी होगी, जो डिजिटल और बायोमेट्रिक आधारित होगी। जवाबः बिल में मजदूरी की तय राशि का साफ उल्लेख नहीं है। इसका मतलब है कि मजदूरी दरें केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग तय करेंगी, जैसे अभी MGNREGA में होता है। फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि मजदूरी बढ़ेगी या नहीं। जवाबः 125 दिन का रोजगार गारंटी के रूप में दिया जाएगा, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। जैसे परिवार ग्रामीण क्षेत्र का होना चाहिए, वयस्क सदस्य बिना कौशल वाला श्रम करने को तैयार हों और काम सरकार द्वारा तय सार्वजनिक कार्यों में ही मिलेगा। यानी यह अपने-आप नहीं, बल्कि काम मांगने पर मिलेगा। जवाबः नया बिल इस स्थिति को ध्यान में रखकर लाया गया है। राज्य सरकारों को अधिकार होगा कि वे बोवाई और कटाई के समय कुछ अवधि के लिए इन कामों को अस्थायी रूप से रोक सकें, ताकि खेतों में मजदूरों की कमी न हो, किसान और मजदूर दोनों को नुकसान न पहुंचे। इसका मतलब है कि उस समय मजदूर खेती में काम कर सकेंगे, और सरकारी काम बाद में दिए जाएंगे।
होम
पॉलिटिक्स
बिजनेस
ऑटोमोबाइल
जॉब
गैजेट
लाइफस्टाइल
फोटो गैलरी
Others 



















