ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बॉन्डी बीच पर हुए भीषण हमले ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। यह हमला यहूदी पर्व हनुक्का के दौरान किया गया, जिसमें 15 से 16 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, मृतकों में एक 10 वर्षीय बच्ची भी शामिल है। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने इस घटना को यहूदी-विरोधी आतंकवादी हमला घोषित किया है। वहीं घटना के कुछ ही घंटों बाद इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार पर बढ़ते यहूदी-विरोध (एंटीसेमिटिज़्म) को लेकर सख्त कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस घटना के बाद कहा कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार की नीतियों, विशेषकर फ़िलिस्तीनी राज्य के समर्थन ने यहूदी-विरोध को हवा दी। उन्होंने कहा, “एंटीसेमिटिज़्म एक कैंसर है, नेता चुप रहते हैं तो यह फैलता है और जब नेता कार्रवाई करते हैं तो पीछे हटता है।”
जवाब में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने कहा कि देश न तो नफरत के आगे झुकेगा और न ही विभाजन के सामने। उन्होंने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा, “कल का दिन हमारे इतिहास का एक काला अध्याय था, लेकिन हम उन कायरों से कहीं अधिक मजबूत हैं जिन्होंने यह कृत्य किया। हम उन्हें हमें बांटने नहीं देंगे।” प्रधानमंत्री अल्बानीज़ ने इस हमले को “शुद्ध बुराई” करार देते हुए सख्त बंदूक कानूनों की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने को तैयार है।
हम आपको बता दें कि पुलिस जांच में सामने आया है कि इस हमले को अंजाम देने वाले हमलावर पिता-पुत्र थे, जो लंबी नाल वाली बंदूकों से लैस थे। 50 वर्षीय पिता की मौके पर ही पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई, जबकि उसका 24 वर्षीय बेटा गंभीर रूप से घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती है। पुलिस के अनुसार, पिता के पास छह वैध हथियार थे, जिनका उपयोग हमले में किया गया। जांच के दौरान हमलावरों की कार से इस्लामिक स्टेट (आईएस) के दो झंडे बरामद किए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया की घरेलू खुफिया एजेंसी ASIO ने पुष्टि की है कि हमलावर बेटा पहले भी एजेंसी के रडार पर रहा था और उसके संबंध सिडनी स्थित आईएस आतंकी नेटवर्क से पाए गए थे।
देखा जाये तो बॉन्डी बीच, जो खुशियों और पारिवारिक उत्सवों का प्रतीक माना जाता था, इस आतंकी हमले के बाद हमेशा के लिए दागदार हो गया है। बॉन्डी बीच पर हुआ यह हमला केवल ऑस्ट्रेलिया पर हमला नहीं है, यह पूरी सभ्य दुनिया के विरुद्ध एक सुनियोजित आतंकवादी चुनौती है। यह हमला हमें एक बार फिर उस कड़वी सच्चाई से रूबरू कराता है, जिसे दुनिया बार-बार अनदेखा करती आई है। यानि आतंकवाद का वैश्विक केंद्र पाकिस्तान है। चाहे न्यूयॉर्क का 9/11 हो, मुंबई का 26/11, लंदन, पेरिस, काबुल, या अब सिडनी, कहीं न कहीं आतंकी विचारधारा की जड़ें पाकिस्तान से पोषित नेटवर्कों से जुड़ती रही हैं। कभी “लोन वुल्फ” का बहाना, कभी “कट्टरपंथी व्यक्ति” की थ्योरी, लेकिन हर जांच अंततः उसी दिशा में इशारा करती है जहां आतंक को न केवल पनाह मिलती है, बल्कि वैचारिक खाद-पानी भी दिया जाता है।
बॉन्डी बीच हमला इसलिए और चिंताजनक है क्योंकि यह यहूदी समुदाय को सीधे निशाना बनाता है। हम आपको बता दें कि एंटीसेमिटिज़्म कोई स्वतःस्फूर्त भावना नहीं, बल्कि वर्षों से चलाए जा रहे कट्टरपंथी प्रचार का परिणाम है। पाकिस्तान में पनपने वाले आतंकी संगठनों, चाहे वह आईएस हो, अल-कायदा हो या उसके वैचारिक सहयोगी, सभी ने यहूदियों, पश्चिमी मूल्यों और लोकतांत्रिक समाज के खिलाफ नफरत को व्यवस्थित रूप से फैलाया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान स्वयं को आतंकवाद का शिकार बताता है, लेकिन उसी धरती पर आतंकी संगठनों को सुरक्षित पनाह, प्रशिक्षण और वैचारिक समर्थन मिलता है। यह दोहरा चरित्र अब दुनिया से छिपा नहीं है। बॉन्डी बीच का हमला इस बात का ताजा प्रमाण है कि आतंकवाद की आग भले ही किसी भी देश में भड़के, उसकी चिंगारी अक्सर पाकिस्तान से ही उड़ती है। अब समय आ गया है कि दुनिया केवल संवेदना व्यक्त करने तक सीमित नहीं रहे। आतंकवाद के “निर्यातक देशों” को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जवाबदेह ठहराया जाए। पाकिस्तान को सिर्फ “चिंता का विषय” नहीं, बल्कि आतंकवाद का केंद्र घोषित करने का नैतिक साहस वैश्विक समुदाय को दिखाना होगा।
बहरहाल, ऑस्ट्रेलिया ने जिस दृढ़ता से कहा है कि वह नफरत और विभाजन के आगे नहीं झुकेगा, वही संकल्प आज पूरी दुनिया को अपनाना होगा। क्योंकि यदि आज बॉन्डी बीच पर हमला हुआ है, तो कल यह किसी और शहर, किसी और देश की बारी हो सकती है। आतंकवाद की इस वैश्विक महामारी का इलाज तभी संभव है, जब उसके स्रोत पर सीधा प्रहार किया जाए और वह स्रोत बार-बार, हर जांच में, पाकिस्तान ही निकलता है।
Continue reading on the app