Responsive Scrollable Menu

‘सालों बाद लौटे माही और पार्थ की कहानी’:प्रेम, संघर्ष और परिवार की उलझनों के बीच उम्मीद और हौसले को उजागर करता नया शो ‘सहर’

कलर्स टीवी पर प्रसारित नया शो ‘सहर होने को है’ उन सामाजिक मान्यताओं और सोच को उजागर करता है, जो मजहब के नाम पर बेटियों को आगे बढ़ने से रोकती हैं। शो की कहानी और इसके सामाजिक संदेश पर चर्चा करने के लिए दैनिक भास्कर ने कलाकारों से विशेष बातचीत की। इस अवसर पर पार्थ समथान, माही विज, वकार शेख, अपूर्व अग्निहोत्री और ऋषिता कोठारी ने अपने किरदारों के साथ ही शो द्वारा दिए जाने वाले संदेश पर विस्तार से अपनी बात रखी है। ‘सहर होने को है’ में वकार शेख, आपका किरदार क्या होने वाला है? क्या ये आपके बाकी रोल्स से अलग होगा? वकार शेख- जी बिल्कुल। ये किरदार जो मैं इस शो में निभा रहा हूं, वह बड़ा ही अनअपॉलोजेटिकली डार्क किस्म का रोल है। बचपन से जिन हालात में वो पला-बढ़ा है, उसका नेचर भी वैसा ही हो गया है। अपने हिसाब से चलता है और किसी बात का मलाल नहीं रखता। ‘सहर होने को है’ सीरियल से लोगों को किस तरह का मैसेज मिलेगा? पार्थ समथान- मैं कहूंगा कि छोटे शहरों में नेरो-माइंडेड लोग रहते हैं, जिनकी सोच छोटी होती है। कभी वो अल्लाह तो कभी भगवान का नाम लेकर दूसरे को आगे बढ़ने से रोकते हैं। उन लोगों तक ये कहानी पहुंचाना ज़रूरी है।शो में दिखाया गया है कि एक परिवार में अब्बू-अम्मी की आपस में बनती नहीं है और मां अपनी बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती है। शो में मां की उसी स्ट्रगल को दिखाया गया है कि कैसे वह खुद नहीं कर पाई, लेकिन अपनी बेटी के सपने पूरे करने में उसकी मदद करती है। आपका शो ‘सहर होने को है’ टीआरपी की लाइन में कितना आगे जाने की संभावना आपको लगती है? पार्थ समथान: हम इस शो के जरिए कोशिश करेंगे कि लोगों को कुछ अलग और फ्रेश पेयरिंग दें। टीआरपी की रेस में न भागें, और अगर कुछ ऊपर-नीचे हुआ भी तो अपनी स्टोरी में उस चक्कर में बदलाव न करें। उम्मीद है कि लोगों को ये दुनिया पसंद आएगी। ‘सहर होने को है’ सीरियल में लखनऊ दर्शाया गया है, जो वाकई में काफी खूबसूरत सेट बना है। इस पर क्या कहेंगे? वकार शेख- जी बिल्कुल, एक खूबसूरत सेट तैयार किया गया है, जो आपको लखनऊ की याद दिलाता है और अंदर तक ले जाता है। इस सेट को तैयार करने के लिए बहुत अच्छा आर्टवर्क हुआ है। मुंबई में बैठे-बैठे आप लखनऊ का दीदार कर लेते हैं। अपूर्व अग्निहोत्री- लखनऊ का सेट इस शो के लिए तैयार किया गया है। मार्केट का सेट अगर आप देखेंगे तो ऐसा लगेगा जैसे आप लखनऊ पहुंच चुके हैं। दो-तीन दिन पहले हमने वहां एक क़व्वाली का सीन शूट किया था। आर्ट डायरेक्शन ने बहुत अच्छा काम किया है। छोटी-छोटी बारीकियों का यहाँ ख्याल रखा गया है। माही विज, शो में आप एक मां का किरदार निभा रही हैं। ये रोल आपके लिए कितना चैलेंजिंग था? माही विज- जी, जो भी शूटिंग हुई है, हर सीन दिल छू लेने वाला है। हर किसी को ये कहानी टच करेगी। मैं इस स्टोरी से बड़ा रिलेट करती हूं मुझे भी रियल लाइफ में कई बंदिशों को तोड़कर यहां तक आना पड़ा। मेरे परिवार वाले नहीं चाहते थे कि मैं इंडस्ट्री में काम करूं, लेकिन मेरी मां मेरी स्ट्रेंथ बनीं और उन्हीं की वजह से मैं यहां तक पहुंची हूं। अब ‘सहर’ शो में मैं एक मां बनी हूं और मैं यही चाहती हूं कि मेरी बेटी अपना सपना पूरा करे। शो की लीड, सहर का किरदार आप निभा रही हैं। क्या कहेंगी अपने किरदार के बारे में? ऋषिता कोठारी - मैं शो में सहर का रोल निभा रही हूं, जो सबसे ज्यादा अपनी मां से प्यार करती है। वह अपनी मां के वो सपने पूरे करना चाहती है जो वे नहीं कर पाईं। सहर बड़ी ही होपफुल लड़की है, जो बस पढ़ना चाहती है। अपनी मां को एक अच्छी जिंदगी देना चाहती है। मां-बेटी की जिंदगी में बहुत सारे चैलेंजिस आएंगे, जो आप आगे देखेंगे। आपको शो में एक डॉक्टर की भूमिका निभाते हुए देखेंगे। कितना चैलेंजिंग था यह रोल? अपूर्व अग्निहोत्री- ये मेरा अब तक का सबसे चैलेंजिंग रोल है जो मैं निभा रहा हूं। शो में मैं एक डॉक्टर होने के साथ ही एक हीलर भी हूं। इसकी प्रोफेशनल लाइफ बहुत अच्छी है, वहीं पर्सनल लाइफ काफी खराब चल रही है।डेली सोप में अब तक आपने ऐसा मल्टी-लेयर्ड कैरेक्टर नहीं देखा होगा।

Continue reading on the app

‘लोग क्या कहेंगे के चक्कर में फंसी रही’:महिमा चौधरी बोलीं-  ‘दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी’ में सामाजिक दबाव वर्सेस  मर्यादा-नैतिकता की जंग दिखेगी

एक्ट्रेस महिमा चौधरी की फिल्म ‘दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी’ सेकंड चांस की थीम पर आधारित है। इस फिल्म में समाज का दबाव और मर्यादा-नैतिकता के बीच की जंग दिखाई गई है। हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान एक्ट्रेस ने बताया कि लोग क्या कहेंगे वाली सोच आज भी हमें कई चीजें करने से रोक देती है। ऐसी मुश्किल व्यक्त में सच्चाई का सामना कैसे करें, यह बात फिल्म में दिखाई गई है। पेश है महिमा चौधरी से हुई बातचीत के कुछ प्रमुख अंश.. सवाल: जब फिल्म ‘दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी’ का पोस्टर आया तो लोगों को लगा कि आपने सच में संजय मिश्रा से शादी कर ली। आप क्या कहना चाहेंगी? जवाब: मुझे ढेर सारे मैसेज आए। मुझे लगता है लोगों को पता ही नहीं था कि फिल्म बन रही है। किसी को खबर ही नहीं थी। तो जब उन्होंने वो फोटो देखी, तो सोचा ये कोई न्यूज है, प्रमोशन नहीं। सवाल: फोटो शूट के समय आप जिस अंदाज में पैपराजी से बात रह रही थी और लोग मिठाई खाकर जा रहे थे, उस समय सिचुएशन तो बहुत कमाल की थी। क्या कहना चाहेंगी? जवाब: असल में वो बहुत नॉर्मल बात थी। हम फोटोशूट कर रहे थे, तभी उन्होंने कहा, "दो मिनट के लिए बाहर आ जाइए, धूप में फोटो खिंचवा लो।" मैं तो चेंज करने वाली थी अगले पोस्टर के लिए, जो दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे वाला गेटअप था। लेकिन उन्होंने कहा, "नहीं मैम, लाइट चली जाएगी, ऐसे ही आ जाइए।" हम सोच रहे थे ऐसा कैसे, प्रकाश में जाकर शादी हो गई क्या? नेक्स्ट डे सब कांग्रेचुलेशंस भेज रहे थे, जैसे क्या बधाई दे रहे हो? वो तो बस हो गया। सवाल: इस फिल्म की शूटिंग ज्यादातर बनारस में हुई है, क्या की क्या चीजें आपको खास लगीं? जवाब: मुझे ब्लू लस्सी का वो स्टॉल याद है, और हमारा फेवरेट डोसा वाला, जो दशाश्वमेध घाट से पहले वाले इलाके में है। हम लोग तो होटल में ही रुके थे, लेकिन संजय जी ने बिल्कुल घाट के किनारे पर ही एक कमरा लिया था। वे वहीं पर खुद खाना बनाते थे और पानी के बिल्कुल पास रहते थे, क्योंकि उन्हें ऐसे ही रहना अच्छा लगता है। सवाल: फिल्म में सेकंड चांस की थीम पर समाज का दबाव और आपकी मर्यादा-नैतिकता के बीच की जंग दिखाई गई है। इस किरदार को निभाते हुए आपने इसे अपनी रियल लाइफ से कैसे कनेक्ट किया? जवाब: सोशल मीडिया पर सब यही कह रहे हैं कि जो भी करो, खुश रहो। अगर दूसरी इनिंग्स मिले या कोई चीज न चले, तो कोशिश मत छोड़ो। फिर से ट्राई करो, उम्मीद बनाए रखो। उम्मीद ही जिंदगी का सबसे बड़ा ड्राइवर है। जिस दिन उम्मीद खो दी, तो सब खत्म। बचपन में एक कहानी सुनी थी न? एक लड़की बीमार है, वो कहती है कि जब आखिरी पत्ता गिर जाएगा, तब मर जाऊंगी। सर्दी आ जाती है, लेकिन एक पत्ता नहीं गिरता। वो उसी उम्मीद से जी जाती है। वो पत्ता पेंटर ने दीवार पर बना कर लटकाया था। जिंदगी भी वैसी ही है। हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए। ये उम्मीद आस्था से मिलती है। इसलिए बुजुर्ग कहते हैं, घर से निकलने से पहले भगवान के सामने हाथ जोड़ लो। मैं आजकल यही करती हूं। हर काम से पहले कहती हूं, "भगवान, आप संभाल लेना।" सबकी जिंदगी में ये उम्मीद का जज्बा होना चाहिए। सवाल: अक्सर हम सोचते रहते हैं कि लोग क्या कहेंगे। क्या आपके साथ भी ऐसा कभी हुआ? आपने उससे कैसे पार पाया? जवाब: मैं रोज ये चीज झेलती हूं। मैं कोशिश करती हूं कि मैं ये मानूं कि हमें ये नहीं सोचना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे, लेकिन सच ये है कि हमारे अंदर ये बात बैठी हुई है। फिर भी हम कई बार सोचते नहीं, बस कहते हैं, रहने दो, ऐसे ही ये मसला सॉल्व कर लेते हैं, नहीं तो लोग बेवजह बातें करेंगे, गलत सोचेंगे। यही वाली सोच आज भी हमें कई चीजें करने से रोक देती है। जैसे कि इस फिल्म के डायरेक्टर सिद्धांत ने मुझे एक अनजान नंबर से मैसेज किया कि "दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी" नाम की फिल्म बना रहे हैं। टाइटल ही मुझे बहुत इंटरेस्टिंग लगा। जब उन्होंने पूरी कहानी सुनाई, तो मैंने पूछा कि दुर्लभ प्रसाद कौन है? तो बोले-संजय मिश्रा जी। फिर उन्होंने मेरा इंट्रो बताया कि आपका इंट्रोडक्शन ऐसा होगा कि आप सिगरेट पी रही हो और शराब की बोतल खरीद रही हो। वहीं पर मेरे दिमाग में फिर से "लोग क्या कहेंगे" वाला सवाल आ गया। मैं अभी-अभी अपने ट्रीटमेंट से निकली हूं, मैं अब एक बच्चे की मां हूं। हम एक्टर्स अपने आपको बहुत सीरियसली लेने लगते हैं कि नहीं, मुझे अपनी ऐसी इमेज नहीं बनानी कि लोग सोचें मैं इन चीजों को बढ़ावा दे रही हूं। मुझे ऐसी टॉक्सिक (नुकसानदायक) आदतों को ग्लैमराइज नहीं करना था। तो मैंने उनसे पूछा कि क्या कोई और तरीका हो सकता है मेरा इंट्रो दिखाने का? तो उन्होंने कहा- नहीं मैम, मजा ही इसमें है, कि वो लोग आपके जैसे कैरेक्टर के लिए बहुत सुशील, सीधी-सादी लड़की ढूंढ रहे हैं। लोग क्या कहेंगे" के चक्कर में मैं बहुत दिनों तक फंसी रही, फैसला नहीं कर पा रही थी। फिर मैंने सिद्धांत से रिक्वेस्ट की कि देखिए, जो भी स्मोकर होता है, वो हमेशा यही बोलता है कि बस अब छोड़ रहा हूं, बस ये काम निपट जाए, बस ये टेंशन खत्म हो जाए। न्यू ईयर के बाद, हर किसी की यही कहानी होती है। तो मैंने कहा कि ऐसे दिखाना कि मेरा कैरेक्टर भी सिगरेट छोड़ने की कोशिश कर रहा है और पिक्चर के एंड तक वो छोड़ भी दे, ताकि लोग मुझे देखकर मोटिवेट हों और मेरी भी ये आदत छूट जाए। तो हमने वही फिल्म में रखा।

Continue reading on the app

  Sports

महिला WC फाइनल की स्टार शेफाली का जलवा बरकरार, ICC ने दिया सबसे बड़ा उपहार

ICC best players of the month for November: शेफाली वर्मा ने महिला विश्व कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 87 रन बनाकर आईसीसी नवंबर माह का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पुरस्कार जीता, साइमन हार्मर को पुरुष वर्ग में सम्मान मिला. Mon, 15 Dec 2025 23:29:51 +0530

  Videos
See all

Sydney Terror Attack : ईरान-इज़राइल युद्ध शुरू? | Netanyahu | Ali Khamenei | Australia | N18G #tmktech #vivo #v29pro
2025-12-16T00:00:16+00:00

MANREGA Name Change | MGNREGA नाम बदलने पर Samajwadi Party Chief Akhilesh Yadav ने BJP पर कसा तंज #tmktech #vivo #v29pro
2025-12-16T00:13:04+00:00

Bhaiyaji Kahin with Prateek Trivedi LIVE : Vote Chori | Rahul Gandhi | Parliament | Congress | BJP #tmktech #vivo #v29pro
2025-12-16T00:02:21+00:00

Sawal Public Ka : 'कब्र खोदने' वाले बयान पर सवाल, TMC प्रवक्ता हुए डिबेट में मौन ! | Hindi Debate #tmktech #vivo #v29pro
2025-12-16T00:00:48+00:00
Editor Choice
See all
Photo Gallery
See all
World News
See all
Top publishers