इंडिगो एयरलाइंस की मोनोपॉली की जांच होगी:एविएशन सेक्टर में करीब 65% हिस्सेदारी, रोजाना 2,200 फ्लाइट उड़ती हैं
भारत के एविएशन सेक्टर में इंडिगो एयरलाइंस की मोनोपॉली यानी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी की जांच होगी। देश में निष्पक्ष कारोबार पर नजर रखने वाली संस्था कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) जांच कर रही है कि क्या देश की सबसे बड़ी एयरलाइन ने प्रतिस्पर्धा के नियमों का उल्लंघन किया है। इंडिगो संकट कॉम्पिटिशन एक्ट की धारा 4 का खुला उल्लंघन माना जा रहा है। इसके मुताबिक कोई कंपनी अपनी धाक के बल पर बेजा कीमत नहीं वसूल सकती और सेवाओं को मनमाने ढंग से संचालित कर उपभोक्ताओं को ब्लैकमेल नहीं कर सकती। आयोग अंदरूनी तौर पर इंडिगो की मोनोपॉली वाली स्थिति, खास रूट्स पर दबदबे और गलत इस्तेमाल जैसे कई पहलुओं पर गौर कर रहा है। किराया बढ़ाने का मामला अगर साबित होता है तो आयोग जांच का आदेश देगा। 4 दिन पहले डीजीसीए ने निगरानी से जुड़े नियम बदले थे चार दिन पहले इंडिगो के फ्लाइट ऑपरेशंस में आई दिक्कतों के बाद तकनीकी खामियों की निगरानी का पूरा ढांचा तत्काल प्रभाव से बदल दिया गया है। उड़ानों में लगातार देरी, कैंसिलेशन और हालिया सुरक्षा घटनाओं ने डीजीसीए को डिफेक्ट रिपोर्टिंग सिस्टम को जड़ से सख्त करने के लिए मजबूर किया है। 12 पेज के नए आदेश के मुताबिक अब किसी भी निर्धारित उड़ान में तकनीकी कारण से 15 मिनट या उससे ज्यादा की देरी होती है तो उसकी जांच अनिवार्य होगी। कंपनी को बताना होगा कि देरी क्यों हुई? उसे कैसे ठीक किया गया? दोबारा न होने के लिए क्या उपाय किए? ये ऐसे प्रावधान हैं, जो पहले लागू नहीं थे। कंपनी को किसी भी ‘मेजर डिफेक्ट’ की सूचना तुरंत डीजीसीए को फोन पर देनी होगी। 72 घंटे में विस्तार से रिपोर्ट भेजनी होगी। डिफेक्ट तीन बार दोहराए जाने पर उसे ‘रिपीटेटिव डिफेक्ट’ माना जाएगा और उस पर अलग से विशेष जांच शुरू होगी। डीजीसीए ने यह सख्ती इसलिए की क्योंकि अब तक डिफेक्ट रिपोर्टिंग व्यवस्था कमजोर थी। अभी तक 15 मिनट की देरी की जांच जैसी व्यवस्था नहीं थी और रिपीट डिफेक्ट की परिभाषा भी नहीं थी। इंडिगो संकट सामने आने के बाद नियम सख्त बने डीजीसीए की तरफ से नए प्रावधान इंडिगो संकट के सामने आने के बाद आए हैं। दरअसल, इंडिगो में क्रू मेंबर्स की कर्मी के चलते पिछले 8 दिनों में 5000 से ज्यादा फ्लाइट कैंसिल हुईं थीं। 360 डिग्री स्कैन होगा, स्पॉट इंस्पेक्शन अनिवार्य देशभर में फ्लाइट में देरी, भीड़भाड़, स्टाफ की कमी और ऑपरेशनल बाधाओं की बढ़ती घटनाओं के बीच डीजीसीए ने निगरानी व्यवस्था पूरी तरह बदलने का आदेश दिया है। अब डीजीसीए की सभी निरीक्षण टीमें एयरपोर्ट्स पर नियमित निरीक्षण यात्रा के दौरान अनिवार्य रूप से 7 घंटे तक रुकेंगी और ऑपरेशनल तैयारियों का वास्तविक समय में आकलन करेंगी। आदेश तत्काल लागू किया गया है। डीजीसीए ने नई निगरानी व्यवस्था के लिए 32 बिंदुओं वाली विशेष स्पेशल एयरपोर्ट इंस्पेक्शन चेकलिस्ट भी अनिवार्य की है, जिसे हर निरीक्षण टीम को भरकर 48 घंटे में मुख्यालय भेजना होगा। डीजीसीए ने पहली बार इतने व्यापक और ऑन-द-ग्राउंड निरीक्षण तंत्र को मानकीकृत प्रक्रिया के रूप में लागू किया है। इसे एयरपोर्ट ऑपरेटरों और एयरलाइंस दोनों के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी। चेकिंग में ये देखना होगा... नए प्रोटोकॉल के तहत लाइसेंसिंग कंप्लायंस, प्रशिक्षण रिकॉर्ड, ड्यूटी रोस्टर, थकान प्रबंधन, स्टाफ की उपलब्धता, ग्राउंड हैंडलिंग ऑपरेशंस, सेफ्टी मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस), जोखिम आकलन, रैंप सुरक्षा और इमरजेंसी रिस्पांस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की विस्तृत जांच होगी। भीड़ नियंत्रण, चेक-इन व सुरक्षा कतारों का प्रबंधन, हेल्प डेस्क, सूचना प्रसार, पीने का पानी, बैठने की व्यवस्था, बैगेज डिलीवरी और विशेष जरूरतों वाले यात्रियों की सहायता जैसी सेवाओं का मौके पर आकलन किया जाएगा। डीजीसीए के वे नए नियम, जिससे इंडिगो में स्टाफ की कमी हुई ---------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... इंडिगो संकट- एयरलाइन ने अबतक ₹610 करोड़ रिफंड किए:देशभर में यात्रियों को 3 हजार बैगेज भी लौटाए इंडिगो ऑपरेशन संकट के बीच रविवार शाम तक एयरलाइन ने यात्रियों को ₹610 करोड़ का रिफंड कर दिया है। इसके साथ ही कंपनी ने देशभर में यात्रियों के 3 हजार से ज्यादा बैगेज भी लौटाए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने रविवार शाम इसकी जानकारी दी। पूरी खबर पढ़ें...
नवजोत कौर के कैप्टन-मान से तीखे सवाल:माफिया को सरंक्षण क्यों दे रहे सीएम? सिद्धू की फाइल रोक पंजाब की तरक्की रोकी
पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और सीएम भगवंत मान के तीखो हमलों के बाद अब डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने फ्रंट पर आकर मोर्चा संभाल लिया है। नवजोत कौर ने सरकार से लेकर विपक्ष तक, सभी को कटघरे में खड़ा कर दिया है। नवजोत कौर ने सीएम मान से पूछा कि वो माइनिंग और शराब माफिया को शरण क्यों दे रहे हैं? वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने सिद्धू की फाइलें रोक रखी हैं, ऐसा क्यों किया। उन्होंने कहा कैप्टन के सीएम रहते हुए पंजाब के विकास के लिए कई अहम प्रोजेक्ट रोके गए, ये पंजाब के विकास के लिए काफी अहम थे। उन्होंने कहा कि मेरे इतने सवाल हैं, जो 100 ट्वीट में भी नहीं आ सकते। अब पढ़िए नवजोत कौर ने कौन-से ट्वीट किए... बादल व कैप्टन ने पंजाब को कर्ज में डुबोया नवजोत कौर सिद्धू ने एक पोस्टर भी जारी किया है। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह की फोटो लगाई है। नवजोत कौर सिद्धू ने उसमें लिखा है कि 1997 में पंजाब पर 12 हजार करोड़ का कर्ज था, जो 25 साल में 3 लाख करोड़ हो गया। इस दौरान दोनों परिवारों की संपत्ति अरबों में हो गई। कैप्टन के बयान के बाद मैदान में आईं नवजोत कौर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने एक हालिया बयान में कहा था कि सिद्धू दंपत्ति का कोई स्टैंड नहीं है। उन्हें कोई सीरियसली नहीं लेता है। इसके अलावा उन्होंने नवजोत कौर सिद्धू के ₹500 करोड़ वाले बयान पर कहा कि वो सिर्फ नॉनसेंस बातें कर रहे हैं। अभी मुझ पर कह रही हैं कि मैंने ट्रक भरकर पंजाब का खजाना बाहर भेज दिया। मैं पूछता हूं कि क्या तुम बैठी थी वहां। ये लोग बिना वजह और बेमतलब बोलते हैं। सिद्धू दंपत्ति से कैप्टन का 36 का आंकड़ा नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच तल्खी काफी पुरानी है। कैप्टन सरकार में नवजोत सिंह सिद्धू नंबर 2 के मंत्री थे। सिद्धू उस समय सीएम पद की रेस में थे। तब से ही कैप्टन से उनकी नाराजगी है। इसके बाद सिद्धू ने कांग्रेस में कैप्टन के खिलाफ लॉबी खड़ी की और सरकार में रहते हुए कैप्टन सरकार के खिलाफ बयान देने शुरू कर दिए। कैप्टन को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद से हटा दिया, मगर सिद्धू फिर भी सीएम नहीं बन सके। उनकी जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया।
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