ICICI प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी का IPO आज यानी 12 दिसंबर के ओपन हो गया है। इश्यू के जरिए कंपनी 9.9% हिस्सेदारी बेच रही है, जिसके बदले उसे 10,600 करोड़ रुपए मिलेंगे। कंपनी ने शेयरों का प्राइस बैंड 2,061 से 2,165 रुपए तय किया है। निवेशक 16 दिसंबर तक बोली लगा सकेंगे। यह पूरा इश्यू ऑफर फॉर सेल है। यानी कंपनी कोई नया शेयर जारी नहीं कर रही है। इसकी मौजूदा जॉइंट वेंचर पार्टनर ब्रिटेन की कंपनी प्रूडेंशियल कॉरपोरेशन होल्डिंग्स अपनी 4.89 करोड़ शेयर बेच रही है। IPO की ओपनिंग से पहले कंपनी ने 149 एंकर इनवेस्टर्स से 3,022 करोड़ रुपए जुटाए। प्री-IPO राउंड में कंपनी ने 4,815 करोड़ रुपए जुटाए एसेट मैनेजमेंट मार्केट में अकेले 13.3% हिस्सेदारी वाली कंपनी ने IPO से पहले राउंड में (प्री-IPO) 4,815 करोड़ रुपए जुटाए। इस प्री-राउंड में कंपनी ने 2,165 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 2,22,40,841 इक्विटी शेयर प्राइवेट प्लेसमेंट से जारी किए। प्रशांत जैन, झुनझुनवाला फैमिली, मनीष चोकानी, मधुसूदन केला समेत 26 मार्की इन्वेस्टर ICICI प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्री-IPO राउंड में शामिल हुए। मार्की इन्वेस्टरों ने प्री-IPO राउंड में करीब 4,815 करोड़ रुपए डाले हैं। इसमें लूनेट कैपिटल राकेश झुनझुनवाला का एस्टेट, द रीजेंट्स ऑफ द यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया- IIFL एसेट मैनेजमेंट, सर्व इन्वेस्टमेंट्स, 3P इंडिया इक्विटी फंड, PI अपॉर्चुनिटीज़ फंड-II, 360One फंड्स, DSP इंडिया फंड, व्हाइटओक कैपिटल इंडिया अपॉर्चुनिटीज़ फंड, HCL कैपिटल, मनीष चोकानी और मधुसूदन केला जैसे बड़े नाम शामिल हुए। ICICI बैंक ने 2% हिस्सेदारी खरीदी प्री-IPO राउंड में इंश्योरेंस कंपनियों ने भी हिस्सा लिया। इसमें SBI लाइफ, HDFC लाइफ, कोटक लाइफ इंश्योरेंस, आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस, बजाज लाइफ इंश्योरेंस, टाटा AIG जनरल इंश्योरेंस और गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस। इसके अलावा, केडारा कैपिटल पब्लिक मार्केट्स फंड, TIMF होल्डिंग्स, मालाबार इंडिया फंड और क्लैरस कैपिटल शामिल हुए। वहीं, ICICI बैंक ने 2,140 करोड़ रुपए लगाकर कंपनी में अतिरिक्त 2% हिस्सेदारी खरीदी। रिटेल इनवेस्टर्स कितना पैसा लगा सकते हैं? इस IPO के लिए रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 6 शेयर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं। यदि आप IPO के अपर प्राइस बैंड ₹2,165 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते हैं, तो आपको ₹12,990 का इन्वेस्टमेंट करना होगा। वहीं रिटेल इनवेस्टर्स IPO के मैक्सिमम 15 लॉट यानी 90 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते हैं। जिसके लिए इनवेस्टर्स को मैक्सिमम ₹1,94,850 का इन्वेस्टमेंट करना होगा। 10% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व कंपनी के इश्यू का 50% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व रखा गया है। इसके अलावा 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व है। 1993 में हुई थी कंपनी की शुरुआत ICICI प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी की शुरुआत 1993 में हुई थी। कंपनी कुल 143 इन्वेस्टमेंट स्कीम्स ऑफर करती है। इसके पास 10.87 लाख करोड़ रुपए के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) मौजूद हैं। IPO क्या होता है? जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर या नए शेयर इश्यू करके पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है। ------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... 2026 में 192 कंपनियां IPO से ₹2.5 लाख करोड़ जुटाएंगी: इस साल 1.77 लाख करोड़ पहुंचा; नए साल में NSE, जियो, फोनपे जैसी कंपनियों की लिस्टिंग IPO यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग के मामले में 18 साल बाद 2025 में बना रिकॉर्ड अगले ही साल 2026 में टूटने के पूरे आसार हैं। इस साल अब तक करीब 100 कंपनियों ने मेनबोर्ड आईपीओ से रिकॉर्ड 1.77 लाख करोड़ रुपए जुटाए। यह 2007 के बाद सबसे ज्यादा है। पर 2026 में 192 कंपनियां 2.56 लाख करोड़ रुपए जुटा सकती हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे...
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देश में वोट बैंक की राजनीतिक के समक्ष पर्यावरण प्रदूषण जैसे मुद्दे हाशिए पर धकेले जाते रहे हैं। राजनीतिक दल इसे समस्या तो मानते हैं किन्तु इसके स्थायी निदान के लिए न तो कोई कार्ययोजना है और न ही इच्छाशक्ति। देश की राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी परियोजना क्षेत्र भीषण प्रदूषण की मार झेल रहा है। यही वजह है कि प्रदूषण की भयावहता तमाम क्षेत्रों में तरक्की को मुंह चिढ़ा रही है। सरकारों और राजनीतिक दलों की बला से प्रदूषण प्रभावित इन क्षेत्रों के करोड़ों लोगों बेशक तिल—तिल करके मरते रहें। इसके विपरीत नेताओं का सरोकार सिर्फ चुनाव जीतने भर तक सीमित रह गया है। सत्तारुढ़ और विपक्षी दल इस मुद्दे पर चिंता जताने तक सीमित हैं। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में विपक्ष के कुछ सांसदों ने अपने चेहरों पर मॉस्क लगाया और प्रदूषण के खिलाफ नारे लिखे तख्खियां और बैनर लेकर प्रदर्शन किया। विपक्षी सांसदों का नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया। एक बैनर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर थी जिस पर लिखा था 'मौसम का मजा लीजिए'।
सरकारी नजरिए से देखें तो राजधानी दिल्ली और आस—पास के क्षेत्रों में प्रदूषण लाइलाज समस्या बन चुका है। हर साल सर्दी का मौसम आते ही दिल्ली का इलाका गैस चैंबर बन जाता है। इस बात से सत्तारुढ़ और विपक्षी दल अनजान नहीं हैं। इसके बावजूद कोरी बयानबाजी के अलावा लोगों को उनके हाल पर छोड़ रखा है। दिल्ली का औसत एक्यूआई लेवल 377 तक दर्ज हो चुका है। ऐसे में लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन की समस्या देखने को मिल रही है। आनंद विहार, बवाना, चांदनी चौक जहांगीर पुरी, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और नेहरू नगर में एक्यूआई लेवल 400 के पार तक पहुंच गया। दिल्ली की हवा में घुला जहर कम कब होगा। इस सवाल का जवाब इस समय शायद किसी के पास नहीं है। शायद इसीलिए डॉक्टरों ने साफ कह दिया है कि बच्चों की सेहत ठीक रखना चाहते हैं, तो कुछ दिनों के लिए दिल्ली छोड़ दीजिए।
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दिल्ली में एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट के लिए डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में प्रदूषण के बड़े कारण ट्रांसपोर्ट, पराली है। गाड़ियों से फैले प्रदूषण का हिस्सा 18.42% था। आंकड़ों के हिसाब से 16.31% प्रदूषण के अन्य सोर्स हैं, जिसमें आतिशबाजी, डीजल जनरेटर जैसे सोर्स शामिल है। शादियों के सीजन की वजह से आतिशबाजी हो भी रही हैं। अगले तीन दिन इन अन्य सोर्स का प्रदूषण का हिस्सा और बढ़कर 43.4% तक जाने का अनुमान है। दिल्ली में एक्यूआई 400 तक के खतरानक स्तर को छू चुका है, जो वायु प्रदूषण की गंभीर हालत दिखाता है। वहीं मुंबई में भी ये 200 के करीब पहुंच गया था, जिसके बाद वहां ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप 4) लागू किया गया। हालांकि दिल्ली में अभी ग्रैप 4 लागू नहीं किया गया। उल्टे दिल्ली एनसीआर में 26 नवंबर को ग्रैप 3 की पाबंदियां भी वापस ले ली गई थीं। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने शहर में निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी। देवनार, मलाड, बोरीवली, अंधेरी ईस्ट, नेवी नगर, पवई और मुलुंड जैसे इलाकों में प्रदूषण की खराब स्थिति के बाद ये फैसला लिया गया था।
दिल्ली में प्रदूषण पराली जलने, वाहनों के धुएं और कारखानों से निकलने वाला कार्बन उत्सर्जन जिम्मेदार है। हवाओं की रफ्तार धीमी पड़ने से हालात और खराब हो जाते हैं। हालांकि मुंबई और अन्य समुद्री इलाकों में प्रदूषण की स्थिति बेहतर रहती है, क्योंकि वहां हवा चलने के कारण प्रदूषणकारी तत्व शहर से दूर चले जाते हैं। मुंबई में मेट्रो, फ्लाईओवर जैसे बड़े निर्माण कार्य, वाहनों की बढ़ती तादाद और कचरा जलाने जैसी वजहों से हालत बिगड़ी है। मुंबई जैसे समुद्री इलाकों में एक्यूआई बढ़ना खतरे की घंटी है। मुंबई में ग्रैप-4 की पाबंदियों के बाद एक्यूआई 150 से नीचे आ गया, जबकि दिल्ली की हवा में अब भी दम घुट रहा है। मुंबई की हवा अब सांस लेने लायक हो गई है। यहां कई जगह एक्यूआई लेवल 100 के आसपास हो गई। हालांकि, दिल्ली में एक्यूआई लेवल अब भी कई जगह 400 के पार है। हवा की गति बढ़ने और पानी छिड़काव जैसे उपायों से मुंबई में हवा की गति बढ़ने और पानी छिड़काव जैसे उपायों से मुंबई में एक्यूआई स्तर 150 से नीचे आने में मदद मिली।
दुनिया भर में वायु प्रदूषण को मापने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था आईक्यूएआईआर की नवीनतम लाइव रैंकिंग में भारत की राजधानी दिल्ली इस सूची में पहले स्थान पर रही। जबकि दूसरे स्थान पर उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद 251 के एक्यूआइ के साथ दर्ज है। तीसरे नंबर पर पाकिस्तान का लाहौर (एक्यूआइ 215), चौथे पायदान पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका 211, एक्यूआइ के साथ है। भारत का कोलकाता भी 211 के एक्यूआइ के साथ पांचवें स्थान पर है। देश की राजधानी दिल्ली में एयर इमरजेंसी है। राजधानी दिल्ली गैस चैंबर बन गई है। राजधानी दिल्ली हांफ़ रही है, खांस रही है। दिल्ली की हवा ज़हरीली हो गई है। दिल्ली में हर व्यक्ति हर पल अपने फेफड़ों में ज़हर भर रहा है। दिल्ली को डिटॉक्स करने की ज़रूरत है। दिल्ली-एनसीआर इलाके की इन दिनों जैसे बस यही पहचान बन गई है। देश ही नहीं दुनिया भर के अख़बारों-समाचार चैनलों, वेबसाइट्स में दिल्ली की हवा सुर्ख़ियों में है। दिल्ली एनसीआर में इस समय धुंध नहीं बल्कि, हवा में मौजूद धूल के कारण है, वो धूल जो कभी कंस्ट्रक्शन की वजह से कभी पोल्यूशन की वजह से कभी पराली की वजह से घटना हो रही है।
ये लटके हुए कण जो धूल के हैं ये पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे महीन कण इसमें शामिल हैं। इसका मतलब यह है कि एक दिन की दिल्ली की हवा में सांस लेना करीब 50 सिगरेट के पीने के बराबर है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली की हवा का क्या हाल है। रोज पीने-उपयोग करने वाला भूजल भी अब दिल्ली में सुरक्षित नहीं बचा है। केंद्रीय भूमिजल बोर्ड की नई रिपोर्ट बताती है कि इस पानी में यूरेनियम जैसे खतरनाक तत्वों के साथ नाइट्रेट, फ्लोराइड, लेड और ज्यादा नमक तक मिला हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया कि राजधानी के कई हिस्सों से लिए गए भूजल के नमूनों में यूरेनियम की मात्रा सामान्य सीमा से कहीं अधिक पाई गई। यूरेनियम धीरे-धीरे शरीर में जमा होता है और गुर्दों, हड्डियों और शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुँचा सकता है।
रिपोर्ट में साफ हुआ कि पानी में नाइट्रेट, फ्लोराइड, लेड और ज्यादा नमक भी पाया गया है। नाइट्रेट ज़्यादातर गंदे पानी और खाद से जमीन में रिसकर आता है। फ्लोराइड बढ़ने से दाँत और हड्डियाँ कमज़ोर होने लगती हैं। लेड शरीर के दिमागी विकास पर भारी असर डालता है और बच्चों व गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक है। नमक और घुले पदार्थ ज्यादा होने से पानी पीने लायक नहीं रह जाता और पाचन व गुर्दों पर दबाव पड़ता है। दिल्ली में लगातार ज़्यादा गहराई तक बोरिंग होने लगी है, जिससे ऐसे हिस्सों का पानी ऊपर आ रहा है जहाँ मिट्टी में खुद ही खनिज और भारी तत्व मौजूद रहते हैं। दूसरी ओर, सीवर रिसाव, गंदे पानी का जमीन में घुसना और रासायनिक कचरे का सही निस्तारण न होना भी भूजल को ज़हरीला बना रहा है। जमीन रिचार्ज होने की जगह घट गई है और पानी अपना प्राकृतिक संतुलन खो रहा है।
दिल्ली में हवा और पानी दोनों ही गंभीर रूप से प्रदूषित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण के साथ-साथ जल प्रदूषण भी लोगों के लिए बड़ी समस्या बन रहा है। दिल्ली में हर साल सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है और यमुना में झाग भी बनने लगते हैं। कालिंदी कुंज इलाके में यमुना नदी में सफेद झाग दिखाई दिए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह झाग पानी में मौजूद फॉस्फेट, डिटर्जेंट और औद्योगिक अपशिष्टों के कारण बनता है। यह न सिर्फ नदी के पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक है। सवाल यही है कि आखिर देश की राजधानी दिल्ली वायु—जल प्रदूषण को लेकर और कितनी रसातल तक जाएगी। आखिर नेताओं और सरकारों की कुंभकर्णी नींद कब खुलेगी। चुनी हुई सरकारों से उम्मीद की जाती है कि जनहित का ख्याल रखेंगी। इस लिहाज से दिल्ली किसी बुरे सपने से कम नहीं है।
- योगेन्द्र योगी
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