सेंसेक्स 200 अंक चढ़कर 84,870 पर कारोबार कर रहा:निफ्टी 26,000 के पार; मीडिया, मेटल और ऑयल एंड गैस शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी
हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन आज यानी बुधवार, 31 दिसंबर को सेंसेक्स 200 अंक चढ़कर 84,870 पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी में 70 अंक की तेजी है, ये 26,000 के ऊपर है। सेंसेक्स के 30 में से 25 शेयरों में तेजी है। निफ्टी के 50 शेयरों में से 40 ऊपर कारोबार कर रहे हैं। NSE के सभी सेक्टर्स में तेजी है। मीडिया, मेटल ऑयल एंड गैस सेक्टर सबसे ऊपर हैं। ग्लोबल मार्केट में मिलाजुला कारोबार घरेलू निवेशकों ने ₹6,160 करोड़ के शेयर्स खरीदे कल बाजार में फ्लैट कारोबार रहा था हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन आज यानी 30 दिसंबर को शेयर बाजार में फ्लैट कारोबार रहा। सेंसेक्स 20 अंक गिरकर 84,675 पर बंद हुआ है। निफ्टी में 3 अंक की मामूली गिरावट रही, ये 25,938 पर बंद हुआ है। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 17 में गिरावट रही। निफ्टी के 50 में 28 शेयर्स नीचे बंद हुए हैं। NSE के ऑटो, मेटल और बैंकिंग सेक्टोरल इंडेक्स में तेजी रही। वहीं मीडिया, रियल्टी सेक्टर में बिकवाली देखने को मिली है।
70 लाख से ज्यादा लोगों का ITR अब भी पेंडिंग:रिटर्न भरने आ आज आखिरी दिन; डेडलाइन चूके तो 25%-70% तक ज्यादा टैक्स भरना पड़ेगा
2025-26 के लिए रिवाइज्ड या बिलेटेड रिटर्न भरने के लिए अब कुछ घंटों का समय बचा है। आज यानी 31 दिसंबर के बाद आप अपनी तरफ से रिटर्न में कोई बदलाव नहीं कर पाएंगे। फिलहाल देश में 70 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स ऐसे हैं जिनका रिटर्न अभी तक प्रोसेस नहीं हुआ है। इनमें बड़ी संख्या उन लोगों की है जिनका रिफंड फंसा हुआ है। विभाग की ओर से कई टैक्सपेयर्स को फॉर्म-16 और ITR में अंतर होने के अलर्ट भी भेजे गए हैं। नियम के मुताबिक, 31 दिसंबर की डेडलाइन खत्म होते ही टैक्सपेयर के पास से वॉलेंटरी रिवीजन यानी स्वैच्छिक सुधार का ऑप्शन खत्म हो जाएगा। इसके बाद आप अपनी मर्जी से कोई कटौती या छूट क्लेम नहीं कर पाएंगे। अगर विभाग को कोई गड़बड़ी मिलती है, तो वह सीधे नोटिस या डिमांड जारी करेगा। डेडलाइन चूके तो भरना पड़ सकता है 25% से 70% तक ज्यादा टैक्स चैंबर ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स के डायरेक्ट टैक्स कमेटी के चेयरमैन सीए विराज मेहता के मुताबिक, अगर आप 31 दिसंबर तक रिटर्न रिवाइज नहीं करते हैं, तो बाद में आपके पास सिर्फ 'अपडेटेड रिटर्न' (u/s 139(8A)) का विकल्प बचेगा। यह सुविधा 4 साल तक मिलती है, लेकिन इसमें आपको भारी पेनाल्टी देनी होगी। पहले साल में 25%, दूसरे में 50%, और चौथे साल तक यह पेनाल्टी 70% तक जा सकती है। इसके अलावा ब्याज अलग से देना होगा। 8.5 करोड़ रिटर्न में से 7.8 करोड़ प्रोसेस हुए डिपार्टमेंट के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक, 28 दिसंबर तक लगभग 8.5 करोड़ ITR फाइल और वेरीफाई किए जा चुके हैं। इनमें से करीब 7.8 करोड़ रिटर्न प्रोसेस हो चुके हैं, लेकिन 70 लाख से ज्यादा रिटर्न अब भी सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) में पेंडिंग हैं। इस साल अब तक 21 लाख से ज्यादा रिवाइज्ड रिटर्न फाइल किए जा चुके हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिन लोगों के रिफंड फंसे हैं, उनमें से ज्यादातर मामलों में विभाग ने डेटा में गड़बड़ी या पॉलिटिकल डोनेशन जैसे दावों पर सवाल उठाए हैं। क्या देरी होने पर रिफंड डूब जाएगा? नहीं, रिफंड कहीं नहीं जाता। 31 दिसंबर की तारीख सिर्फ रिटर्न सुधारने के लिए है, रिफंड मिलने के लिए नहीं। अगर आपका रिटर्न सही है और विभाग की वजह से प्रोसेसिंग में देरी हो रही है, तो विभाग आपको रिफंड के साथ ब्याज भी देगा। लेकिन अगर रिटर्न में कोई गड़बड़ी पाई गई और आपने उसे 31 दिसंबर तक ठीक नहीं किया, तो रिफंड तब तक फ्रीज रहेगा जब तक विभाग का समाधान नहीं हो जाता। मिसमैच इग्नोर किया तो 200% तक पेनल्टी सिंघानिया एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर रोहित जैन के अनुसार, अगर विभाग ने आपको मिसमैच का अलर्ट भेजा है और आपने उसे नजरअंदाज कर दिया, तो 31 दिसंबर के बाद आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। विभाग इसे इनकम छिपाने का मामला मान सकता है। ऐसे में सेक्शन 270A के तहत टैक्स चोरी की रकम का 50% से लेकर 200% तक पेनल्टी लगाई जा सकती है। सरकार के पास प्रोसेसिंग के लिए कितना समय? टैक्स एक्सपर्ट गोपाल बोहरा के अनुसार, CPC के पास रिटर्न फाइल करने वाले साल के खत्म होने के बाद 9 महीने का समय होता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने जुलाई 2025 में रिटर्न भरा है, तो विभाग के पास उसे प्रोसेस करने के लिए 31 मार्च 2026 तक का समय है। हालांकि, रिफंड जारी करने की कोई निश्चित समय सीमा नहीं है, लेकिन आमतौर पर प्रोसेसिंग के एक हफ्ते के भीतर पैसा खाते में आ जाता है। देरी होने पर कितना मिलता है ब्याज? इनकम टैक्स कानून के मुताबिक, अगर रिफंड में देरी होती है तो विभाग करदाता को 0.5% प्रति माह की दर से साधारण ब्याज देता है। यह सालाना 6% बैठता है। यह ब्याज उस स्थिति में मिलता है जब देरी विभाग की गलती से हो, न कि टैक्सपेयर द्वारा गलत जानकारी देने की वजह से।
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