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Battle of Begums का चैप्टर क्लोज! एक हुईं दुनिया से रुखसत, एक सत्ता से दूर, 34 साल की लड़ाई में तिल-तिल तबाह होता रहा बांग्लादेश

एक बेहद ही लोकप्रिय कहावत है कि एक म्यान में दो तलवारें हरगिज नहीं रह सकती। एक नजर दौराने पर आपको पता चलेगा कि बांग्लादेश की पूरी राजनीति इसी मुहावरे के ईर्द-गिर्द घूमती नजर आ जाएगी। 1971 में पाकिस्तान के अस्तित्व से अलग होकर नए राष्ट्र के रूप में उभरे बांग्लादेश का इतिहास ही विद्रोह और रक्तपात से पटा पड़ा है और तख्ता पलट से भरे इस मुल्क के इतिहास के केंद्र में हैं दो महिलाएं शेख हसीना और खालिदा जिया और इनकी दुश्मनी को बैटल्स ऑफ बेगम्स कहा जाता रहा। बांग्लादेश की राजनीति इन्हीं दोनों कद्दावर महिलाओं के बीच घूमती रही। शेख हसीना बांग्लादेश के संस्थापक और बंगबंधु कहे जाने वाले पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं जबकि खालिदा जिया पूर्व सैन्य अधिकारी और राष्ट्रपति जय उर रहमान की बेगम थीं। दोनों का ही संबंध रसूखदार परिवारों से रहा है। अपने-अपने परिवारों की सियासत को इन्होंने आगे बढ़ाया। बांग्लादेश की राजनीति में दोनों नेताओं की लड़ाई को बैटल ऑफ बेगम्स नाम दिया गया था। ये दोनों महिलाएं दशकों तक केंद्रीय भूमिका में रहीं। देश ने उनके बीच कभी सहयोग तो कभी तीखी दुश्मनी के दौर भी देखे। आज, जब इनमें से एक का जीवन समाप्त हो गया है, तब दूसरी ने सार्वजनिक रूप से उनके योगदान को स्वीकार किया है।

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जो जीता वो सिकंदर, जो हारा वो जेल के अंदर

1971 से ही बांग्लादेश की नियति जीतने वाले के नक्शे कदम पर चलती रही है। जो जीतता है वह सब कुछ ले जाता है। जो हारता है उसे जेल की कोठरी देखनी पड़ सकती है। देश से भागना पड़ सकता है या फिर उसकी कब्र भी खोद सकती है। कहानी की शुरुआत 1975 से होती है। इसी बरस शेख हसीना के पिता मुजब उर रहमान की हत्या कर दी गई। उन्हें बंग बंधु के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद वह देश के पहले राष्ट्रपति बने थे। लेकिन उनके राज में हालात बिगड़ गए थे। युद्ध की वजह से खजाना खाली था। सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार फैल रहा था। 1972 में मुजीब ने विद्रोह रोकने के लिए रखी वाहिनी नाम की एक फोर्स बनाई। लेकिन उस फोर्स पर ही हत्या और रेप के इल्जाम लगे। जनता का मोह भंग उनसे होने लगा। फिर तारीख आई 14 अगस्त 1975 बांग्लादेश की फौज के कुछ बागी अफसरों ने मुजीब और उनके परिवार के 18 लोगों की हत्या कर दी। किस्मत से उनकी दो बेटियां शेख हसीना और शेख रिहाना उस वक्त जर्मनी में थी। इसके बाद सत्ता जियाउ रहमान के हाथ में आई। अगले दशक में देश ने एक और सैन्य शासक देखा हुसैन मोहम्मद इरशाद के हाथ में सत्ता गई। इन दोनों सैन्य शासकों ने एक ही एजेंडा चलाया। आवामी लीग का नामोनिशान मिटा दो। उन्होंने उन ताकतों को वापस जिंदा किया जो 1971 में आजादी के खिलाफ थी ताकि आवामी लीग की लोकप्रियता को टक्कर दी जा सके।

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जब दो दुश्मन हुए एक, फिर शुरू हुई बैटल ऑफ द बेगम्स

1990 के दशक के आखिर आखिर तक इरशाद के खिलाफ माहौल बनने लगा था। तब एक दिलचस्प वाकया हुआ। दो जानी दुश्मन एक साथ आ गई। शेख हसीना और खालिदा जिया दोनों ने मिलकर के इरशाद को गद्दी से उतार फेंका। लेकिन यह दोस्ती बस मतलब भर की थी। दोनों जब ताकतवर हुई तो 1991 से एक नया दौर शुरू हुआ जिसे बेगमों की जंग कहा जाता है। बैटल ऑफ द बेगम्स। एक ही ढर्रा था जो गद्दी पर बैठेगा वो सामने वाले का धंधा बंद करवा देगा। 1991 में खालिदा जीती। 1996 में हसीना जीती। 2001 में फिर खालिदा जिया जीत गई। 2006 आते-आते सड़कों पर खून खराबा शुरू हो गया था। जब नेताओं से बात नहीं संभली तो फौज ने कहा कि अब हम संभालेंगे। 2007 में इमरजेंसी लगा दी गई और हसीना खालिदा दोनों को जेल में डाल दिया गया। फिर 2008 में चुनाव हुए। शेख हसीना ने ऐसी वापसी की कि अगले 15 साल तक गद्दी पर बनी रहीं। इस दौरान जमात के नेताओं को फांसी हुई। 2018 में खालिदा जिया जेल गई।

शेख हसीना ने निधन पर क्या कहा?

बांग्लादेश की निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मंगलवार को बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके निधन को देश के राजनीतिक जीवन के लिए एक बड़ी क्षति बताया। अवामी लीग ने अपने एक्स अकाउंट पर हसीना का शोक संदेश साझा किया। बयान में कहा गया मैं बीएनपी अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।

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27 नवंबर को ही बिगड़ गई थी हालत

27 नवंबर को उनकी हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल के कोरोनरी केयर यूनिट (सीसीयू) में स्थानांतरित कर दिया गया। जिया के इलाज की देखरेख कर रहे चिकित्सा बोर्ड के सदस्य प्रोफेसर हुसैन ने उनकी हालत को बेहद नाजुक बताया था। जिया कई जटिल और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त थीं, जिनमें यकृत व गुर्दे की समस्याएं, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गठिया और संक्रमण संबंधी समस्याएं शामिल थीं। 

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Shafali Verma की ICC T20I रैंकिंग में बड़ी छलांग, टॉप-6 में हुई एंट्री

भारतीय स्टार बल्लेबाज शेफाली वर्मा को मंगलवार को आईसीसी द्वारा जारी नवीनतम महिला टी20 अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाजी रैंकिंग में महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला है, क्योंकि वह छठे स्थान पर पहुंच गई हैं। श्रीलंका के खिलाफ घरेलू मैदान पर चल रही पांच मैचों की टी20 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला में शानदार प्रदर्शन के बाद, दाएं हाथ की इस बल्लेबाज ने महिला टी20 अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाजी रैंकिंग में चार पायदान ऊपर चढ़कर छठा स्थान हासिल किया है।
 

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21 वर्षीय वर्मा श्रीलंका के खिलाफ पांच मैचों की टी20 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला में सबसे अधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी हैं। चार मैचों में, भारतीय सलामी बल्लेबाज ने 118 के आश्चर्यजनक औसत से 236 रन बनाए हैं, जिसमें तीन अर्धशतक शामिल हैं। वर्मा इस टी20 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला में 200 रन का आंकड़ा पार करने वाली एकमात्र खिलाड़ी हैं। उनकी साथी खिलाड़ी और विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋचा घोष भी सात पायदान ऊपर चढ़कर अद्यतन सूची में संयुक्त रूप से 20वें स्थान पर पहुंच गईं। यह उपलब्धि उन्होंने तिरुवनंतपुरम में श्रीलंका के खिलाफ चौथे टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में खेली गई नाबाद 40 रन की पारी के बाद हासिल की।

ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बेथ मूनी 794 रेटिंग अंकों के साथ शीर्ष पर बनी हुई हैं। वेस्टइंडीज की हेले मैथ्यूज 774 रेटिंग अंकों के साथ उनके बाद दूसरे स्थान पर हैं। भारतीय सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना, जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ चौथे टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान 10,000 अंतरराष्ट्रीय रन का आंकड़ा पार किया, 767 रेटिंग अंकों के साथ तीसरे स्थान पर हैं। आईसीसी महिला टी20 अंतरराष्ट्रीय गेंदबाजी रैंकिंग में भारतीय तेज गेंदबाज रेणुका सिंह और स्पिनर श्री चरानी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है।
 

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दाएं हाथ की तेज गेंदबाज रेणुका, जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में चार विकेट लिए, आठ पायदान ऊपर चढ़कर गेंदबाजों की अद्यतन सूची में संयुक्त रूप से छठे स्थान पर पहुंच गईं। श्रीलंका के खिलाफ चल रही टी20 सीरीज में चार विकेट लेने वाली बाएं हाथ की स्पिनर चरानी गेंदबाजी रैंकिंग में 17 पायदान ऊपर चढ़कर 52वें स्थान पर पहुंच गई हैं। भारतीय ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा 738 की रेटिंग के साथ शीर्ष स्थान पर बरकरार हैं। इसके अलावा, अनुभवी ऑलराउंडर को महिला टी20 क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज बनने के लिए श्रीलंका के खिलाफ आगामी पांचवें टी20 मैच में एक और विकेट की जरूरत है। फिलहाल, दीप्ति के नाम 151 विकेट हैं, जो ऑस्ट्रेलिया की मेगन शट के 151 विकेट के बराबर हैं।

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  Sports

अर्जुन को ब्रॉन्ज, वर्ल्ड नंबर 1 कार्लसन ने रिकॉर्ड नौवीं बार जीता खिताब

Arjun Erigaisi Settles For Bronze: मैग्नस कार्लसन ने दोहा में रिकॉर्ड नौवीं बार वर्ल्ड ब्लिट्ज खिताब जीता. भारत के 22 साल के अर्जुन एरिगैसी ने कांस्य पदक हासिल किया. उन्होंने विश्वनाथन आनंद के बाद ओपन कैटेगरी में पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बनने का गौरव हासिल किया. Wed, 31 Dec 2025 05:44:27 +0530

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