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खबर हटके- शादी के बाद जल्दी बच्चा होने पर जुर्माना:महिला पुलिस के लिए हाई-टेक हिजाब लॉन्च; कबूतर को दाना खिलाने पर मिली सजा

चीन के एक गांव में जल्दी बच्चा पैदा होने पर जुर्माने लगाने का नियम लागू किया गया है। वहीं ब्रिटेन में महिला पुलिस के लिए हाई-टेक हिजाब लॉन्च हुआ है। उधर एक शख्स को कोर्ट ने कबूतर को दाना खिलाने पर सजा सुनाई है। तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ… ************* रिसर्च सहयोग: किशन कुमार खबर हटके को और बेहतर बनाने के लिए हमें आपका फीडबैक चाहिए। इसके लिए यहां क्लिक करें...

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2025 में ओपन सफारी बना उत्तराखंड:आमदखोर बने भालू-गुलदार, वन्यजीव विशेषज्ञों ने बताया आखिर क्यों कर्फ्यू जैसे हालात

उत्तराखंड में अब अगर आप सड़क पर चलते हैं तो भालू, गुलदार या हाथी आपको कभी भी दिख सकते हैं। जंगलों से निकलकर जंगली जानवर गांव, कस्बों और शहरों तक पहुंच गए हैं और राज्य मानो एक ओपन सफारी में तब्दील हो गया है। हालात इतने गंभीर हैं कि गढ़वाल के सांसद अनिल बलूनी ने संसद में खुद स्वीकार किया कि पहाड़ पर कर्फ्यू जैसे हालात बन गए हैं। सांसद के इस बयान से भी समझा जा सकता है कि इस साल जंगली जानवरों का आंतक कैसे अपने चर्म पर है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2025 में अब तक 547 हमले दर्ज हो चुके हैं, जो 2024 की तुलना में 31 प्रतिशत ज्यादा हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार आबादी का तेजी से फैलना और जंगलों के पारंपरिक मार्गों में रुकावटें इस बढ़ते खतरे की मुख्य वजह हैं। आंकड़ों में बढ़ता संकट, जंगलों तक सीमित नहीं जानवर सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, उत्तराखंड में जंगली जानवरों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। साल 2020 में जहां मानवों पर 324 हमले दर्ज हुए थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 410 तक पहुंच गई। 2025 में अब तक 544 हमले सामने आ चुके हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इन हमलों की खास बात यह रही कि जंगली जानवर सिर्फ जंगलों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि स्कूलों, रिहायशी इलाकों, खेतों और सड़कों के आसपास भी नजर आए। कई मामलों में लोगों की जान गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। क्यों बढ़ रहा है मानव-वन्यजीव संघर्ष वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, जंगलों के नजदीक तक सघन आबादी का विस्तार मानव- वन्यजीव संघर्ष की सबसे बड़ी वजह बन रहा है। जंगलों से सटे इलाकों में तेजी से बस्तियां बसने और सड़क व अन्य निर्माण कार्य बढ़ने से वन्यजीवों के पारंपरिक कॉरिडोर बाधित हुए हैं। इसके अलावा, सुरक्षित इलाकों तक मानव गतिविधियों के बढ़ने से जानवरों का प्राकृतिक व्यवहार बदला है। भोजन और सुरक्षित ठिकानों की तलाश में वे अब इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सरकार ने माना गंभीर चुनौती, मुख्यमंत्री के बड़े ऐलान राज्य सरकार ने मानव–वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चुनौती से निपटने के लिए कई अहम कदम उठाने की घोषणा की है। इसके तहत राज्य के संवेदनशील इलाकों में चरणबद्ध और योजनाबद्ध तरीके से सोलर फेंसिंग और सेंसर बेस्ड अलर्ट सिस्टम स्थापित किया जाएगा, ताकि समय रहते लोगों को खतरे की जानकारी मिल सके। इसके साथ ही, वन्यजीवों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए हर जिले में आधुनिक वन्यजीव बंध्याकरण (नसबंदी) केंद्र खोले जाएंगे। मानव–वन्यजीव संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में वन्यजीवों के रेस्क्यू और पुनर्वास के लिए रिहैबिलिटेशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिनके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम 10 नाली और मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम 1 एकड़ भूमि आरक्षित की जाएगी। वन विभाग को संसाधन और अधिकार वन विभाग को और मजबूत करने के लिए राज्य सरकार ने अतिरिक्त संसाधन देने का फैसला किया है। जाल, पिंजरे, ट्रेंक्युलाइजेशन गन और अन्य जरूरी उपकरणों की उपलब्धता के लिए 5 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा, मानव–वन्यजीव संघर्ष की प्रभावी रोकथाम के लिए केंद्रीय वन्यजीव अधिनियम के सुसंगत प्रावधानों में बदलाव कर रेंजर स्तर के अधिकारियों को अधिक अधिकार देने की तैयारी है। जरूरत के अनुसार नियमों में संशोधन किए जाएंगे, ताकि मौके पर ही त्वरित कार्रवाई संभव हो सके। इस मामले में राज्य सरकार ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से भी सहयोग मांगा है। विभाग हर स्तर पर कर रहा प्रयास राज्य के पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ रंजन मिश्रा ने बताया कि वन्यजीवों के बढ़ते हमलों को रोकने के लिए विभाग हर स्तर पर प्रयास कर रहा है। नए उपकरणों की खरीद, मैनपावर बढ़ाने और फील्ड अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जनसहयोग और जागरूकता भी बेहद जरूरी है, इसके लिए लोगों को सतर्क किया जा रहा है। खासतौर पर भालुओं के हमलों को लेकर विभाग ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए हैं। हमला, मौत या नुकसान पर सरकारी मुआवजा उत्तराखंड में जंगली जानवरों के हमलों में मृत्यु, घायल या दिव्यांग होने पर सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता है। बाघ, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, जंगली हाथी, भालू, लकड़बघा, जंगली सुअर, मगरमच्छ, घड़ियाल के हमले या सांप के काटने से मृत्यु होने पर 10 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाती है। इसके अलावा पालतू पशुओं के मारे जाने, फसलों को नुकसान और जंगली हाथियों द्वारा मकानों को क्षति पहुंचाने पर भी मुआवजे का प्रावधान है। हाल ही में आपदा प्रबंधन विभाग ने वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण के लिए 15 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। जैव विविधता का गढ़ है उत्तराखंड उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट और राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से लेकर नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व तक, घने जंगल और अल्पाइन घास के मैदान अनगिनत प्रजातियों के लिए सुरक्षित आश्रय हैं। राज्य में 6 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्यजीव अभयारण्य, 4 संरक्षण रिजर्व और 1 जीवमंडल रिजर्व मौजूद हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, राज्य में 102 स्तनधारी, 600 पक्षी, 19 उभयचर, 70 सरीसृप और 124 मछलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें बाघ, एशियाई हाथी, गुलदार, कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ और मोनाल जैसी विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियां भी शामिल हैं।

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  Sports

Vijay Hazare Trophy में विराट कोहली से भी आगे ये 5 धुरंधर, जमकर बना रहे रन

Vijay Hazare Trophy 2025-26: विजय हजारे ट्रॉफी 2025-26 में पहले दो राउंड के मुकाबले पूरे हो चुके हैं. इस दौरान कई बल्लेबाज अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे. दिग्गज विराट कोहली भी सालों बाद इस टूर्नामेंट में उतरे, लेकिन 5 युवा खिलाड़ियों ने उनसे भी ज्यादा रन बनाए. Sat, 27 Dec 2025 10:30:03 +0530

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