दिल्ली में गरीबों को 5 रुपये में पौष्टिक और भरपेट खाना मिलेगा, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 45 'अटल कैंटीन' का किया उद्घाटन
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में 'अटल कैंटीन' का उद्घाटन किया। दिल्ली भर में फैली इन कैंटीनों का मकसद गरीबों को सब्सिडी वाला खाना देना है। उद्घाटन समारोह में बोलते हुए गुप्ता ने कहा कि सरकार के चुनावी वादे के तहत 45 अटल कैंटीन का उद्घाटन किया जा रहा है, जबकि बाकी 55 पर काम जल्द ही पूरा हो जाएगा।
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दिल्ली में अटल कैंटीन में मात्र पांच रुपये में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी के श्रमिकों, गरीबों और अन्य जरूरतमंद लोगों को किफायती दरों में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना के संचालन और प्रबंधन के लिए 104.24 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यहां एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि प्रत्येक अटल कैंटीन हर दिन लगभग 1,000 लोगों को भोजन उपलब्ध कराएगी, जिससे पूरे दिल्ली में प्रतिदिन एक लाख से अधिक लोग लाभान्वित होंगे।
विद्युत एवं आवास और शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ लाजपत नगर के नेहरू नगर में ‘अपना बाजार’ के पास स्थित अटल कैंटीन का उद्घाटन किया। गुप्ता ने मंत्रियों और अन्य लोगों के साथ अटल कैंटीन में भोजन किया तथा अधिकारियों को भोजन की गुणवत्ता तथा स्वच्छता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
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इस अवसर पर मनोहर लाल ने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर दिल्ली भर में शुरू की गई अटल कैंटीन सेवा, सुशासन और मानवीय संवेदनशीलता के आदर्शों से प्रेरित एक ऐतिहासिक पहल का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सेवा, सुशासन और गरीबों के कल्याण पर केंद्रित दृष्टिकोण के अनुरूप, यह पहल सुनिश्चित करेगी कि दिल्ली में कोई भी भूखा न रहे। गुप्ता ने इस योजना को गरीब और मेहनती नागरिकों के लिए सम्मान तथा आत्मनिर्भरता का जीवन सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने बताया कि दिल्ली भर में 100 अटल कैंटीन स्थापित की जा रही हैं।
इनमें से 45 कैंटीन का बृहस्पतिवार को वर्चुअल उद्घाटन किया गया, जबकि शेष 55 अगले 15 से 20 दिनों के भीतर शुरू हो जाएंगी। प्रत्येक लाभार्थी को मात्र पांच रुपये प्रति प्लेट की मामूली कीमत पर ताजा पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि दिल्ली सरकार प्रति भोजन 25 रुपये वहन कर रही है।
इस योजना के तहत दिल्ली भर में 100 अटल कैंटीन स्थापित की जा रही हैं। प्रत्येक कैंटीन में दिन में दो बार भोजन परोसा जाएगा। दोपहर के भोजन का समय पूर्वाह्न 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर दो बजे तक और रात्रि भोजन का समय शाम छह बजकर 30 मिनट से रात नौ बजे तक निर्धारित किया गया है।
पश्चिम बंगाल : यादवपुर विश्वविद्यालय में धार्मिक भेदभाव के आरोप वाले पोस्टर लेकर पहुंचे छात्र
पश्चिम बंगाल के यादवपुर विश्वविद्यालय में वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान कुलपति से प्रशस्ति पत्र और प्रमाण पत्र प्राप्त करते समय दो छात्रों के ‘‘यादवपुर विश्वविद्यालय में ‘इस्लामोफोबिया’ के लिए कोई जगह नहीं है’’ लिखा पोस्टर प्रदर्शित करने के बाद विवाद खड़ा हो गया। दीक्षांत समारोह के बाद छात्रों ने संवाददाताओं को बताया कि सोमवार को अंग्रेजी की सेमेस्टर परीक्षा के दौरान एक निरीक्षक ने सिर पर स्कार्फ पहनी तृतीय वर्ष की स्नातक छात्रा से उसकी सहपाठी का हिजाब आंशिक रूप से हटाने में मदद करने के लिए कहा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं वह वायरलेस हेडफोन का इस्तेमाल तो नहीं कर रही है। हालांकि, जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।
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छात्रों ने बताया, “हमने अपनी कनिष्ठ सहपाठी के साथ हुए ऐसे व्यवहार का विरोध किया, जिससे उसकी भावनाओं को ठेस पहुंची। हमने कोई हंगामा नहीं किया, लेकिन हमारा मानना है कि विश्वविद्यालय जैसे उदार और धर्मनिरपेक्ष संस्थान में ऐसा व्यवहार अकल्पनीय है।” स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के एक नेता ने इस विरोध से खुद को अलग करते हुए कहा, “उन्होंने जो किया, वह पूरी तरह से उनका निजी फैसला था।” हालांकि, संकाय सदस्यों ने विश्वविद्यालय में धार्मिक भेदभाव के आरोपों को खारिज किया। अंग्रेजी विभाग के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने बृहस्पतिवार को कहा, “हम ‘इस्लामोफोबिया’ (इस्लाम के प्रति पूर्वाग्रह) के आरोपों का खंडन करते हैं। परीक्षा के दौरान नकल करने की कोशिश करते हुए कई छात्र पकड़े गए, जिसके बाद निगरानी बढ़ा दी गई। अगर किसी का भी व्यवहार संदिग्ध लगा, तो दोबारा जांच की गई।
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पिछले सप्ताह कम से कम चार परीक्षार्थी हेडफोन का इस्तेमाल करते हुए पकड़े गए, जिनमें से कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक नहीं रखता था।” प्रोफेसर ने कहा, “उस दिन ‘हुडी’ पहने एक छात्रा को परीक्षा पर्यवेक्षण ड्यूटी पर तैनात शोधार्थियों ने हेडफोन का इस्तेमाल करते हुए पकड़ा था।
तीसरे वर्ष की एक अन्य छात्रा ने उससे सहयोग करने का अनुरोध किया और उसे बगल के एक कमरे में ले जाया गया, जहां कोई और मौजूद नहीं था। छात्रा से जानकारी मिलने के बाद परीक्षा बिना किसी आपत्ति के संपन्न हुई।” प्रोफेसर ने स्पष्ट किया, “हिजाब पहनी दो अन्य छात्राओं की जांच नहीं की गई, जिनमें से एक दिव्यांग थी। विश्वविद्यालय पर ‘इस्लामोफोबिया’ जैसे आरोप लगाना अनुचित है। अगर शिक्षकों को इस तरह निशाना बनाया जाता है, तो उनके लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना असंभव हो जाएगा।
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