बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद भी पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर हमलों का सिलसिला थम नहीं रहा है। ताजा मामले में, ढाका स्थित 'ग्लोबल टीवी' के दफ्तर में कुछ युवकों ने घुसकर तोड़फोड़ और आगजनी की धमकी दी है। हमलावरों ने न्यूज हेड नाज़नीन मुन्नी को तुरंत नौकरी से हटाने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हफ्ते की शुरुआत में 7-8 युवक 'ग्लोबल टीवी' के तेजगांव स्थित दफ्तर पहुंचे। उन्होंने खुद को 'भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन' का सदस्य बताया। इन युवकों ने न्यूज हेड नाज़नीन मुन्नी पर 'अवामी लीग' (शेख हसीना की पार्टी) का समर्थक होने का आरोप लगाया और मैनेजमेंट को उन्हें हटाने की चेतावनी दी।
प्रोथोम आलो जैसा हाल कर देंगे
नाज़नीन मुन्नी ने सोशल मीडिया पर इस घटना का खुलासा करते हुए बताया कि हमलावरों ने सीधे तौर पर कहा, 'अगर मुन्नी को नहीं हटाया गया, तो हम दफ्तर में आग लगा देंगे। याद रहे, प्रोथोम आलो और द डेली स्टार (बांग्लादेश के बड़े अखबार) भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाए।'
बता दें कि 21 दिसंबर को भीड़ ने बांग्लादेश के प्रमुख अखबारों 'प्रोथोम आलो' और 'द डेली स्टार' के दफ्तरों में भीषण तोड़फोड़ और आगजनी की थी।
विवाद की वजह
यह तनाव भारत विरोधी युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद और बढ़ गया है। हमलावरों का आरोप है कि ग्लोबल टीवी ने हादी की मौत को पर्याप्त कवरेज नहीं दी। उस्मान हादी अपनी भारत विरोधी बयानबाजी के लिए मशहूर थे और हाल ही में एक हमले में लगी चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी।
नाज़नीन मुन्नी का पक्ष
मुन्नी ने अवामी लीग से किसी भी जुड़ाव के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, 'मैनेजमेंट ने शुरू में मुझे चुप रहने और ऑफिस न आने की सलाह दी थी, लेकिन मैं चुप नहीं रहूंगी। वे बार-बार धमकियां दे रहे हैं जो पूरी तरह गलत है। मेरे खिलाफ एक भी सबूत नहीं है कि मैं किसी पार्टी से जुड़ी हूं।'
छात्र संगठन की सफाई
दूसरी तरफ, 'भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन' के अध्यक्ष रिफात राशिद ने इस घटना में संगठन की किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अगर उनके नाम पर कोई दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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पूर्वी लद्दाख में LAC पर सेनाओं की वापसी के बाद भले ही सीमा पर शांति की उम्मीद जगी हो, लेकिन अमेरिकी रक्षा विभाग की एक ताजा रिपोर्ट ने भविष्य के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अरुणाचल प्रदेश को ताइवान की तरह ही अपने 'मुख्य हितों' में शामिल कर लिया है।
2049 का लक्ष्य
अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन 2049 तक 'महान पुनरुत्थान' (Great Rejuvenation) के अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहता है। इसके तहत, चीन अरुणाचल प्रदेश, ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर अपना पूर्ण दावा ठोक रहा है।
बीजिंग का लक्ष्य 2049 तक एक ऐसी 'विश्व स्तरीय सेना' तैयार करना है जो वैश्विक स्तर पर किसी भी युद्ध को 'लड़ने और जीतने' में सक्षम हो।
मैकमोहन रेखा पर विवाद
चीन अरुणाचल प्रदेश को 'दक्षिण तिब्बत' कहता है। वह 1914 में अंग्रेजों द्वारा खींची गई मैकमोहन रेखा को स्वीकार नहीं करता। चीन की नजर विशेष रूप से तवांग पर है। पहले उसका दावा सिर्फ तवांग तक सीमित था, लेकिन अब उसने पूरे अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र घोषित कर दिया है।
भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन समय-समय पर अरुणाचल के विभिन्न स्थानों के लिए 'चीनी नामों' की फर्जी लिस्ट जारी करता रहता है।
हालिया विवाद
हाल की कुछ घटनाओं ने इस तनाव को और हवा दी है। पिछले महीने, लंदन से जापान जा रही अरुणाचल की रहने वाली प्रेमा थोंगडोक को शंघाई एयरपोर्ट पर 18 घंटे हिरासत में रखा गया। चीनी अधिकारियों का दावा था कि उनके पासपोर्ट पर जन्मस्थान 'अरुणाचल' होना उसे 'अमान्य' बनाता है।
हाल ही में एक यूट्यूबर को चीन में सिर्फ इसलिए हिरासत में लिया गया क्योंकि उसने अपने वीडियो में अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग बताया था।
अमेरिका का रुख
पूर्व राजनयिक महेश सचदेव के अनुसार, यह पहली बार है जब अमेरिका ने लद्दाख के बजाय अरुणाचल प्रदेश पर चीन की चालों पर खुलकर बात की है। यह दर्शाता है कि अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चीन की विस्तारवादी नीति को गंभीरता से लिया जा रहा है।
भारत का रुख स्पष्ट
भारत सरकार ने बार-बार दोहराया है कि अरुणाचल प्रदेश था, है और हमेशा देश का अटूट हिस्सा रहेगा।
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