भारत-ओमान के बीच आज फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन होगा:सुल्तान तारिक से मिलेंगे मोदी, द्विपक्षीय बैठक होगी; प्रवासी भारतीयों को भी संबोधित करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक से मस्कट में मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। इस दौरान भारत और ओमान के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर साइन भी किए जाएंगे। समझौते से भारत के टेक्सटाइल, फुटवियर, ऑटोमोबाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, रिन्युएबल एनर्जी और ऑटो कंपोनेंट्स जैसे सेक्टर्स को सीधा फायदा होगा। समझौते पर बातचीत नवंबर 2023 में शुरू हुई थी। पीएम मोदी बुधवार शाम को ओमान की राजधानी मस्कट पहुंचे थे। एयरपोर्ट पर ओमान के रक्षा मामलों के उप प्रधानमंत्री सैयद शिहाब बिन तारिक अल सईद ने मोदी का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने औपचारिक बातचीत भी की। रात में सईद ने पीएम मोदी के लिए डिनर भी रखा। मोदी के ओमान पहुंचने की तस्वीरें... ओमान के कच्चे तेल का चौथा बड़ा खरीदार भारत भारत ओमान के कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा खरीदार और गैर-तेल उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा बाजार भी है। 2023 में भारत ने लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का कच्चा तेल खरीदा था। भारत और ओमान के बीच आर्थिक और कारोबारी रिश्ते लगातार बढ़े हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 8.947 रहा। इससे पहले 2022-23 में यह 12.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। भारत से ओमान को चावल, मशीनरी, जहाज, विमान के पुर्जे, एल्यूमीनियम उत्पाद, खाद्य सामग्री, फल-सब्जियां, मसाले, चाय-कॉफी और मांस जैसे सामान निर्यात होते हैं। वहीं ओमान से भारत को कच्चा तेल, ईंधन, यूरिया, केमिकल्स, प्लास्टिक, सीमेंट और एल्यूमीनियम का निर्यात किया जाता है। ओमान एकमात्र खाड़ी देश जिससे भारत का लॉजिस्टिक एग्रीमेंट ओमान अकेला खाड़ी देश है जिसके साथ भारत ने लॉजिस्टिक एक्सेस एग्रीमेंट किया है। दोनों देशों के बीच यह समझौता 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओमान यात्रा के दौरान था। इसके तहत भारतीय नौसेना और वायुसेना को ओमान के रणनीतिक बंदरगाहों और सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल कर सकती है। इस समझौते का सबसे अहम पहलू ओमान के दुकम पोर्ट तक भारत की लॉजिस्टिक पहुंच है। दुकम पोर्ट अरब सागर और हिंद महासागर के बेहद अहम समुद्री रास्ते पर स्थित है। एग्रीमेंट के बाद भारतीय नौसेना अपने जहाजों और सैन्य विमानों के लिए ईंधन, मरम्मत और सप्लाई जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकती है। भारत ने यह समझौता क्षेत्रीय सुरक्षा मजबूत करने, समुद्री मार्गों की निगरानी और हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी रणनीतिक मौजूदगी बढ़ाने के लिए किया। इससे भारत को खाड़ी क्षेत्र में एक भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार मिला। ओमान मिडिल ईस्ट का सबसे न्यूट्रल देश ओमान को मिडिल ईस्ट का सबसे न्यूट्रल (तटस्थ) देश कहा जाता है। उसकी विदेश नीति की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह किसी भी क्षेत्रीय विवाद में खुलकर किसी एक पक्ष के साथ खड़ा नहीं होता। खाड़ी क्षेत्र में जहां सऊदी अरब-ईरान, अमेरिका-ईरान और यमन के बीच बड़े संघर्ष रहे हैं। वहीं ओमान ने हमेशा बातचीत और समाधान का रास्ता चुना है। ओमान उन गिने-चुने देशों में शामिल है जिनके अमेरिका और ईरान दोनों से अच्छे संबंध रहे हैं। 2015 में ईरान न्यूक्लियर डील (JCPOA) से जुड़ी बैक-चैनल बातचीत में ओमान ने अहम मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, यमन संकट और अन्य क्षेत्रीय तनावों में भी ओमान ने पर्दे के पीछे शांति प्रयास किए। ओमान ने GCC (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल) का सदस्य होने के बावजूद सऊदी नेतृत्व वाले कई सैन्य अभियानों से दूरी बनाए रखी। खास तौर पर यमन युद्ध में उसने सीधे सैन्य भागीदारी नहीं की, जबकि ज्यादातर खाड़ी देश इसमें शामिल थे। दुनिया के सबसे पुराने राजतंत्रों में शामिल ओमान ओमान दुनिया के सबसे पुराने राजतंत्रों में से एक है। देश में सुल्तानशाही व्यवस्था सदियों पुरानी है। यहां शासक सुल्तान होता है और सत्ता पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती रही है। ओमान की राजशाही की जड़ें 18वीं सदी से जुड़ी मानी जाती हैं, जब अल सईद वंश ने सत्ता संभाली थी। यह वंश 1744 से अब तक लगातार शासन कर रहा है, जो इसे दुनिया की सबसे पुरानी निरंतर चल रही राजशाहियों में शामिल करता है। वर्तमान में ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक हैं, जिन्होंने 2020 में सत्ता संभाली। उनसे पहले लंबे समय तक सुल्तान काबूस बिन सईद ने देश पर शासन किया था। राजनीतिक रूप से ओमान एक पूर्ण राजतंत्र है, जहां अंतिम फैसले सुल्तान के पास होते हैं। इस स्थिर और निरंतर सत्ता व्यवस्था ने ओमान को क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता दी है। भारत-ओमान के बीच 5000 साल पुराना रिश्ता भारत और ओमान के संबंध कूटनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनकी जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता के दौर तक जाती हैं। इतिहासकारों के मुताबिक, आज के ओमान क्षेत्र को प्राचीन काल में ‘मगन’ कहा जाता था। यह क्षेत्र 3000 ईसा पूर्व के आसपास सिंधु घाटी सभ्यता के साथ समुद्री व्यापार का बड़ा केंद्र था। पुरातात्विक सबूतों से पता चलता है कि उस दौर में भारत और ओमान के बीच तांबा, पत्थर, मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान का व्यापार समुद्री मार्गों से होता था। ओमान से तांबा भारत और मेसोपोटामिया तक भेजा जाता था, जबकि भारत से कपड़ा और अन्य वस्तुएं वहां पहुंचती थीं। यह समुद्री व्यापार अरब सागर के रास्ते होता था, जिसने दोनों क्षेत्रों के बीच व्यापारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संपर्क को मजबूत किया। --------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... इथियोपिया के बाद ओमान पहुंचे PM मोदी:कल फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर साइन करेंगे; 2023 में बातचीत शुरू हुई थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इथियोपिया के बाद 2 दिन के दौरे पर ओमान पहुंचे। एयरपोर्ट पर उनका औपचारिक स्वागत किया गया। इसके बाद पीएम ने ओमान के रक्षा मामलों के उप प्रधानमंत्री सैयद शिहाब बिन तारिक अल सईद से मुलाकात की। पूरी खबर यहां पढ़ें...
एपस्टीन फाइलों में क्या हटाया, क्या छिपाया सब बताना होगा:कल खुलेगी सेक्स स्कैंडल फाइल, 95 हजार फोटो, बैंक रिकॉर्ड; पावरफुल लोगों की लिस्ट आएगी
अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन 19 दिसंबर को जेफ्री एपस्टीन से जुड़ी सारी फाइलें जनता के सामने रखेगा। इन फाइलों में हजारों पेज के दस्तावेज, 95 हजार तस्वीरें और बैंक रिकॉर्ड्स के अलावा कई प्रभावशाली हस्तियों के नाम भी हैं। एपस्टीन फाइलों की रिलीज के बाद यह साफ हो सकता है कि एपस्टीन ने किन लोगों के साथ मिलकर नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण किया था और यह सब कैसे चलता रहा। लोग लंबे समय से एपस्टीन की आलीशान जिंदगी, नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण, तस्करी के आरोपों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, मशहूर हस्तियों और विदेशी नेताओं से उसके संबंधों को लेकर उत्सुक रहे हैं। एपस्टीन से जुड़ा क्या-क्या पब्लिक होगा फाइलें जारी होने के बाद सरकार को क्या-क्या बताना होगा फाइलें जारी करने के बाद सरकार को जनता को कुछ बातें साफ-साफ बतानी होंगी। जैसे कि यह बताना होगा कि दस्तावेजों में कौन-कौन से हिस्से काले किए गए हैं और ऐसा क्यों किया गया। साथ ही यह भी बताना होगा कि किस तरह की सामग्री जनता के सामने रखी गई और किस तरह की सामग्री को जारी नहीं किया गया। इसके अलावा सरकार को उन सभी सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों की पूरी सूची भी देनी होगी, जिनका नाम या किसी भी तरह का जिक्र इन फाइलों में आता है। यह सारी जानकारियां फाइलें जारी होने के 15 दिनों के अंदर सार्वजनिक करना जरूरी होगा। यह अभी साफ नहीं है कि वास्तव में कौन-कौन से दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएंगे और उनमें से कितना नया होगा। पिछले करीब 20 सालों में एपस्टीन के यौन अपराधों से जुड़े हजारों दस्तावेज पहले ही दीवानी मुकदमों और सूचना के अधिकार जैसी मांगों के जरिए सामने आ चुके हैं। 5 वजहों से कुछ जानकारी छिपा सकती है सरकार फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक कानून में साफ कहा गया है कि किसी भी दस्तावेज को सिर्फ इसलिए नहीं रोका जा सकता क्योंकि उससे किसी को शर्मिंदगी होगी, किसी की छवि खराब होगी या मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। यह नियम सभी पर लागू होता है। चाहे वह कोई सरकारी अधिकारी हो, कोई बड़ा नेता हो या कोई विदेशी हस्ती, लेकिन कानून यह भी कहता है कि कुछ खास हालात में दस्तावेजों के कुछ हिस्से छिपाए जा सकते हैं। इसमें 5 चीजें शामिल हैं- 1. दस्तावेजों में पीड़ितों की निजी पहचान संबंधी जानकारी 2. बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री 3. शारीरिक हिंसा को दिखाने वाली सामग्री 4. ऐसी जानकारी जिससे चल रही जांच पर असर पड़े 5. ऐसी जानकारी जो राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के कारण सीक्रेट रखना जरूरी हो कानूनी छूट का फायदा उठा सकती है ट्रम्प सरकार जानकारी छिपाते समय सरकार को यह साफ-साफ बताना होगा कि कौन-सा हिस्सा क्यों छिपाया गया है। हालांकि ट्रम्प के विरोधियों का मानना है कि प्रशासन इस अपवाद का इस्तेमाल करके कुछ फाइलों को रोक सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने एपस्टीन के संबंधों को लेकर एक नई जांच शुरू की है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, डेमोक्रेट पार्टी के बड़े दानदाता रीड हॉफमैन, अर्थशास्त्री लैरी समर्स और जेपी मॉर्गन चेज जैसे नाम शामिल हैं। चूंकि यह जांच एपस्टीन जुड़े लोगों से रिश्ते पर है, इसलिए सरकार इस जांच का बहाना बनाकर उसके प्रभावशाली दोस्तों से जुड़ी जानकारी छिपा सकती है। CNN के मुताबिक FBI को एपस्टीन के मैनहटन वाले घर से हजारों नग्न या अर्धनग्न युवतियों की तस्वीरें मिली थीं। ये तस्वीरें सार्वजनिक नहीं की जाएंगी। अब तक क्या-क्या जारी हो चुका है? एपस्टीन मामले से जुड़े बहुत सारे दस्तावेज पहले ही सामने आ चुके हैं। इनमें मैक्सवेल का 2021 का आपराधिक ट्रायल, जस्टिस डिपार्टमेंट की रिपोर्टें और कई दीवानी मुकदमों के कागजात शामिल हैं। इस साल की शुरुआत में जस्टिस डिपार्टमेंट और FBI में ट्रम्प के नियुक्त अधिकारियों ने एपस्टीन से जुड़ी कुछ सीक्रेट फाइलें जारी की थीं, लेकिन उनमें ज्यादातर जानकारी पहले से ही सार्वजनिक थी। इस रिलीज को लेकर ट्रम्प प्रशासन की कड़ी आलोचना भी हुई। जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस साल मैक्सवेल के साथ हुए अपने विवादित इंटरव्यू के सैकड़ों पन्ने भी जारी किए, जिसमें उसने अपने बचाव में बयान दिए और कुछ पीड़ितों की आलोचना तक की। हाल ही में हाउस ओवरसाइट कमेटी ने 12 दिसंबर को एपस्टीन की संपत्ति से जुड़े कई दस्तावेज और तस्वीरें जारी की थीं। एपस्टीन केस में 9 प्रॉमिनेंट पर्सन का नाम आया जेफ्री एपस्टीन की संपत्ति से जारी 19 तस्वीरों में 9 बड़ी हस्तियों के नाम सामने आए हैं। ये तस्वीरें सीधे तौर पर किसी को अपराधी साबित नहीं करतीं, लेकिन इन्हें एपस्टीन के साथ दिखाती हैं जिससे विवाद और सवाल खड़े हो रहे हैं। ---------------------------------------- जेफ्री एपस्टीन से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... एपस्टीन सेक्स स्कैंडल फाइल्स खुलने में 2 दिन बाकी:ट्रम्प का नाम आया, दुनियाभर के नेता-बिजनेसमैन में डर; क्या कोई भारतीय भी शामिल ट्रम्प प्रशासन 19 दिसंबर को कुख्यात यौन अपराधी जेफ्री एपस्टीन से जुड़े दशकों पुराने सरकारी रिकॉर्ड सार्वजनिक कर सकता है। इस दौरान एपस्टीन केस से जुड़े सभी ईमेल, तस्वीरें और डॉक्यूमेंट्स पब्लिक होंगे। इसका मकसद एपस्टीन के पूरे नेटवर्क की सच्चाई सामने लाना है। आरोप है कि इस नेटवर्क में नाबालिग लड़कियों का शोषण हुआ और दुनिया के कई बेहद ताकतवर लोग इससे जुड़े थे। इससे पहले इस केस से जुड़ीं 19 तस्वीरें 12 दिसंबर को पब्लिक हुई थीं। इसमें 3 तस्वीरें ट्रम्प की हैं। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, अरबपति बिल गेट्स जैसे बड़ी हस्तियों की तस्वीरें भी सार्वजनिक हुईं। पूरी खबर यहां पढ़ें...
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