प्रोटोकॉल तोड़ PM मोदी को छोड़ने एयरपोर्ट पहुंचे जॉर्डन क्राउन प्रिंस,
एयरपोर्ट का रनवे पीएम मोदी विमान की ओर आगे बढ़ते हुए पीछे कैमरे में एक खास चेहरा जॉर्डन के क्राउन प्रिंस खुद मौजूद। कुटनीति की दुनिया में कुछ तस्वीरें इतिहास बन जाती हैं और कुछ तस्वीरें दुनिया को संदेश देती हैं। आमतौर पर किसी देश का क्राउन प्रिंस या शाही वारिस किसी विदेशी नेता को एयरपोर्ट तक छोड़ने नहीं जाता है। लेकिन जॉर्डन में भारत के लिए नियम बदल गए हैं। प्रोटोकॉल तोड़ा गया है और वजह सिर्फ एक हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। अब प्रोटोकॉल क्या कहता है यह जान लीजिए। दरअसल कूटनीतिक प्रोटोकॉल के तहत एयरपोर्ट पर विदाई आमतौर पर विदेश मंत्री या फिर वरिष्ठ अधिकारी करते हैं। शाही परिवार के सदस्य तभी आते हैं जब संदेश देना हो आप हमारे लिए साधारण नहीं हैं।
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जॉर्डन के क्राउन प्रिंस सिर्फ शाही वारिस नहीं बल्कि देश की भविष्य की सत्ता, नीति और दिशा है। ऐसे नेता का खुद एयरपोर्ट आना यह बताता है कि भारत जॉर्डन रिश्ते अब सामान्य स्तर से बहुत ऊपर जा चुके हैं। यह पहली बार नहीं है जब अरब दुनिया ने पीएम मोदी को असाधारण सम्मान दिया हो। यूएई से लेकर सऊदी अरब तक पीएम मोदी को स्टेट लीडर नहीं विश्वसनीय मित्र मानता है। इससे पहले भारत और जॉर्डन के संबंधों में गर्मजोशी को दर्शाते हुए अरब देश के युवराज अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वयं वाहन चलाकर जॉर्डन संग्रहालय लेकर गए। युवराज पैगंबर मोहम्मद की 42वीं पीढ़ी के सीधे वंशज हैं। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में मोदी ने कहा कि वह संग्रहालय में जॉर्डन के इतिहास और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दिखाने के लिए अल-हुसैन के प्रति ‘आभारी’ हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने युवराज के साथ ‘विस्तृत बातचीत’ की है तथा ‘जॉर्डन की प्रगति के प्रति उनका जुनून स्पष्ट रूप से नजर आया।
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मोदी ने कहा कि युवा विकास, खेल, अंतरिक्ष, नवाचार और दिव्यांगजनों के कल्याण को बढ़ावा देने जैसे क्षेत्रों में उनका योगदान वास्तव में उल्लेखनीय है। उन्होंने अल-हुसैन को जॉर्डन के विकास पथ को मजबूत करने के उनके प्रयासों में सफलता की शुभकामनाएं दीं। मोदी जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय के निमंत्रण पर दो दिवसीय यात्रा पर जॉर्डन की राजधानी अम्मान पहुंचे थे। जॉर्डन प्रधानमंत्री की तीन देशों की चार दिवसीय यात्रा का पहला पड़ाव है। इस यात्रा के दौरान वह इथियोपिया और ओमान भी जाएंगे। अम्मान के रस अल-ऐन जिले में स्थित जॉर्डन संग्रहालय देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है। इसमें जॉर्डन की कुछ सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरों का प्रदर्शन किया गया है। वर्ष 2014 में निर्मित यह संग्रहालय प्रागैतिहासिक काल से लेकर वर्तमान समय तक क्षेत्र की सभ्यतागत यात्रा को दर्शाता है। संग्रहालय में 15 लाख वर्ष पुरानी जानवरों की हड्डियां और चूना प्लास्टर से बनीं 9,000 वर्ष पुरानी ऐन गजल की मूर्तियां हैं, जिन्हें दुनिया की सबसे प्राचीनमूर्तियों में से एक माना जाता है।
1 महीने में पांचवी बार हिली पाकिस्तान की धरती, इस बार आया 4.8 तीव्रता का भूकंप
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के अनुसार, मंगलवार तड़के पाकिस्तान में 4.8 तीव्रता का भूकंप आया, जो एक महीने से भी कम समय में देश में दर्ज की गई पांचवीं भूकंपीय घटना है। राष्ट्रीय भूकंपीय निगरानी केंद्र ने बताया कि सोमवार को आए भूकंप का केंद्र बलूचिस्तान के सोनमियानी में था, जिसकी गहराई 12 किलोमीटर थी और यह कराची से लगभग 87 किलोमीटर दूर था। रेस्क्यू 1122 के एक अधिकारी ने बताया कि किसी के हताहत होने या घायल होने की कोई खबर नहीं है। कराची में इस वर्ष जून और जुलाई के दौरान कई हल्के भूकंप आए थे जिससे किसी बड़े भूकंप की आशंका को लेकर चिंता बढ़ गई थी। उस समय मौसम विभाग के अधिकारियों ने इन झटकों को लांधी क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक फॉल्ट लाइन के साथ संचित भूकंपीय ऊर्जा के मुक्त होने का परिणाम बताया था।
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान में कई भूकंप आए। 5 दिसंबर को 40 किलोमीटर की गहराई पर 3.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। एनसीएस ने बताया, भूकंप की तीव्रता: 3.6, दिनांक: 12 मई 2025, सुबह 10:39:00 बजे (आईएसटी), अक्षांश: 34.52 उत्तर, देशांतर: 72.46 पूर्व, गहराई: 40 किलोमीटर, स्थान: पाकिस्तान। उससे पहले, 25 नवंबर को, देश में 120 किलोमीटर की गहराई पर 4.3 तीव्रता का भूकंप आया था। 20 नवंबर को पाकिस्तान में 10 किलोमीटर की उथली गहराई पर 3.9 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे क्षेत्र में आफ्टरशॉक्स की आशंका बढ़ गई है।
भारतीय और यूरेशियन विवर्तनिक प्लेटों के टकराव की सीमा पर स्थित होने के कारण पाकिस्तान को विश्व के सबसे अधिक भूकंप संभावित देशों में से एक माना जाता है। बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे क्षेत्र प्रमुख भू-आकृतियों के निकट स्थित हैं, जिससे वे भूकंपीय गतिविधि के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हो जाते हैं। भारतीय प्लेट के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर स्थित पंजाब और सिंध भी भूकंप के प्रति संवेदनशील बने हुए हैं।
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