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झज्जर के ओलिंपियन अमन सहरावत ने जीता स्वर्ण:आंख में चोट लगने पर भी डटा रहा, बोले-हार न मानने वाले विश्वास की वापसी

अहमदाबाद में हुई सीनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता झज्जर के युवा पहलवान और पेरिस ओलिंपिक 2024 के कांस्य पदक विजेता अमन सहरावत के लिए सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास की वापसी की कहानी बन गई। पुरुषों की फ्रीस्टाइल 61 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर अमन ने यह साबित कर दिया कि असफलताएं अगर इंसान को तोड़ें नहीं, तो वही उसे मजबूत बनाती हैं। यह जीत उनके लिए गर्व का क्षण स्वर्ण पदक जीतने के बाद अमन सहरावत ने भावुक शब्दों में इंस्टाग्राम पर लिखा कि यह जीत उनके लिए गर्व का क्षण है। पिछले एक साल में गिरावट, असफलताओं और आत्म-संदेह के दौर से गुजरने के बाद यह पदक केवल एक जीत नहीं, बल्कि कभी हार न मानने वाले विश्वास की वापसी है। उन्होंने कहा कि जब हालात उनके खिलाफ थे, तब भी कुछ लोगों का भरोसा उनके साथ बना रहा और आज यह उपलब्धि उसी भरोसे का परिणाम है। पांच तस्वीरें सांझा करते हुए लिखी पोस्ट अमन ने सोशल मीडिया पर पांच तस्वीरों के साथ अपनी भावना सांझा करते हुए अपने सपोर्ट स्टाफ और साथियों का आभार जताया। उन्होंने लिखा कि सीनियर नेशनल्स में स्वर्ण पदक जीतना मेरे लिए गर्व का क्षण है, और इस सफलता के लिए मैं सभी का दिल से आभार व्यक्त करता हूं। पिछले एक साल की गिरावट, असफलताएं और आत्म-संदेह के बाद, यह पदक सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि धैर्य, संघर्ष और कभी हार न मानने वाले विश्वास की वापसी की कहानी है। बोले- कुछ लोगों का भरोसा मेरे साथ रहा जब हालात मेरे खिलाफ थे, तब भी कुछ लोगों का भरोसा मेरे साथ रहा-और आज यह उपलब्धि उसी भरोसे का परिणाम है। मैं दिल से खुश हूं कि मेरे कठिन समय में मेरा सपोर्ट स्टाफ और मेरे सहयोगी हमेशा मेरे साथ खड़े रहे, मुझे मोटिवेट करते रहे और कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा। इस अनुभव से मैंने यह सीखा है कि हमेशा अपने आसपास सकारात्मक लोगों को रखें, क्योंकि जब भी आप गिरते हैं। वही लोग आपको संभालने और आगे बढ़ने की ताकत देते हैं। अब मेरा पूरा ध्यान इस बात पर है कि 2026 यह वर्ष से कहीं बेहतर हो। आप सभी अपना आशीर्वाद बनाए रखें, ताकि आने वाला समय मेरे लिए और भी श्रेष्ठ साबित हो। दाहिनी आंख में चोट के बावजूद जीता स्वर्ण पदक दरअसल, अमन आमतौर पर 57 किलोग्राम वर्ग में मुकाबला करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने वजन घटाने से बचने के उद्देश्य से 61 किलोग्राम वर्ग में उतरने का फैसला किया। इसके बावजूद उनका प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा। फाइनल मुकाबले में उन्होंने निखिल को एकतरफा अंदाज में 10-0 से हराकर खिताब अपने नाम किया। टूर्नामेंट के दौरान अमन का सफर आसान नहीं रहा। पहले राउंड में उन्होंने अधित नारायण को 12-1 से मात दी। क्वार्टरफाइनल में दाहिनी आंख के ऊपर गंभीर कट लगने के बावजूद उन्होंने ललित को 10-0 से हराया। सेमीफाइनल में वे एक समय 0-2 से पीछे थे, लेकिन जोरदार वापसी करते हुए अनुज कुमार को 13-2 से पराजित कर फाइनल में जगह बनाई। ओवरवेट पाए जाने पर अमन हुए थे अयोग्य घोषित अमन की यह जीत इसलिए भी खास मानी जा रही है, क्योंकि इसी साल क्रोएशिया में हुई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 2025 के दौरान वेट-इन में ओवरवेट पाए जाने पर अमन को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) ने उन पर एक साल का निलंबन लगाया, जिसे बाद में हटा लिया गया। निलंबन हटने के बाद उन्हें नेशनल चैंपियनशिप में खेलने की अनुमति मिली और अमन ने इस मौके को स्वर्णिम बना दिया। 2024 के बाद पहली बड़ी राष्ट्रीय कुश्ती अहमदाबाद में आयोजित यह प्रतियोगिता पेरिस ओलिंपिक 2024 के बाद पहली बड़ी राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता रही। इस मंच पर अमन सहरावत की स्वर्णिम वापसी न केवल उनके करियर का अहम मोड़ है, बल्कि देश के युवा पहलवानों के लिए भी यह संदेश है कि संघर्ष चाहे जितना गहरा हो, अगर हौसला कायम रहे तो जीत जरूर मिलती है। इंडियन वूमन रेसलर ने भी अमन को बताया जांबाज स्वर्ण पदक जीतने के तुरंत बाद इंडियन वूमन रेसलर के नाम से बने इंस्टा अकाउंट की तरफ अमन की एक वीडियो रील शेयर करते हुए लिखा कि जब मेहनत सोना बन जाए और खामोशी सम्मान में बदल जाए तो चैंपियन की चाल खुद कहानी कहती है। इस रील में एक शेयर भी एड किया था कि एक दिन में यहां कोई कुछ नहीं बनता, तुम्हे अगर कुछ पाना है तो हर दिन तपना होगा। मन हो या न हो तुम्हें खुद को झोंकना होगा। जिसने भी यहां अलग रास्ता चुना है, उसे आराम को पीछे छोड़ना होगा। जो ये न कर सका, वो कुछ भी न पा सका।

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