थाई और कंबोडियाई नेताओं ने संघर्षविराम नवीनीकृत करने पर सहमति जताई: Donald Trump
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं ने कई दिन से जारी घातक झड़पों के बाद संघर्षविराम को नवीनीकृत करने पर सहमति व्यक्त की है। यह समझौता उस संघर्षविराम को बचाने के लिए किया गया है, जिसे अमेरिकी प्रशासन ने इसी साल की शुरुआत में कराने में मदद की थी।
ट्रंप ने थाई प्रधानमंत्री अनुतिन चर्नविरकुल और कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट के साथ बातचीत के बाद सोशल मीडिया पर यह घोषणा की। ट्रंप ने अपने ‘ट्रुथ सोशल’ हैंडल पर पोस्ट में कहा, ‘‘दोनों नेता आज शाम से हर तरह की गोलीबारी रोकने और मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की सहायता से मेरे साथ हुए मूल शांति समझौते को बहाल करने पर सहमत हो गए हैं।’’
मूल संघर्षविराम जुलाई में मलेशिया की मध्यस्थता और ट्रंप के दबाव के बाद हुआ था, जिन्होंने व्यापारिक विशेषाधिकार रोकने की धमकी दी थी। हालांकि, पहले हुए समझौते के बावजूद दोनों देशों के बीच सीमा पार छोटी-मोटी हिंसा और तीव्र विरोधी प्रचार जारी था।
South Africa में चार मंजिला मंदिर गिरने से दो लोगों की मौत, अवैध तरीके से हो रहा था निर्माण
दक्षिण अफ्रीका में डरबन के उत्तर में स्थित भारतीय कस्बे रेडक्लिफ में शुक्रवार दोपहर चार मंजिला मंदिर के ढह जाने से जुड़ी घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई। मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे बचावकर्मियों ने कठिन परिस्थितियों के कारण शुक्रवार आधी रात के करीब बचाव अभियान रोक दिया। बचाव अभियान शनिवार को पुन: आरंभ किया जाएगा।
इमारत पर कंक्रीट डालते समय पूरा ढांचा ढह गया जिससे एक मजदूर की मौत हो गई और कई अन्य लोग उसके नीचे दब गए। मलबे में फंसे श्रमिकों और मंदिर के अधिकारियों की सटीक संख्या अभी ज्ञात नहीं है।
इसी बीच, पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के परिसर में अपने परिवार के साथ पहुंचे 54 वर्षीय एक श्रद्धालु की इस घटना की खबर सुनने के बाद मौत हो गई। उसकी पहचान अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है लेकिन उसका इलाज करने वाले एक चिकित्सा कर्मी ने बताया कि उसे दिल का दौरा पड़ा था।
ईथेक्विनी (पूर्व में डरबन) की नगरपालिका ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि मंदिर के निर्माण के लिए कोई भवन योजना स्वीकृत नहीं की गई है यानी यह निर्माण कार्य अवैध था।
अहोबिलम मंदिर के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर एक गुफा की तरह बनाया गया है जिसमें वहां मौजूद पत्थरों के अलावा भारत से लाए पत्थरों का उपयोग किया जा रहा था। मंदिर का निर्माण करा रहे परिवार ने बताया कि निर्माण कार्य लगभग दो साल पहले शुरू हुआ था और इसमें भगवान नरसिंहदेव की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित किए जाने का कार्यक्रम था।
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