रेलूराम की प्रॉपर्टी पर दावा ठोक सकती है बेटी:हिसार में 100 एकड़ जमीन, दिल्ली में 13 दुकानें; चाचा-ताऊ का कुनबा परेशान
हरियाणा में बरवाला से पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया की हत्या के 24 साल बाद एक बार फिर से उनकी प्रॉपर्टी को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। हाईकोर्ट में बेटी सोनिया और दामाद संजीव की रिहाई याचिका मंजूर होने के बाद से ही प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कर रहे चाचा-ताऊ के कुनबे के लोग परेशान हैं। वे प्रॉपर्टी से ज्यादा खुद की जान का खतरा बता रहे हैं। उन्हें डर है कि जिस तरह सोनिया और संजीव ने अपने परिवार को खत्म कर दिया, उसी प्रॉपर्टी के लिए कहीं उनका मर्डर न हो जाए। इसलिए, बुधवार को परिवार ने हिसार में अपने वकील लाल बहादुर खोवाल के साथ मिलकर राष्ट्रपति के नाम चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा गया है कि संजीव व सोनिया को रिहा न किया जाए। इससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। रेलूराम पूनिया के पास 2001 में करोड़ों की संपत्ति थी। उकलाना में गांव लितानी के पास रेलूराम ने 2 एकड़ जमीन में कोठी बनवाई थी। ऐसी हवेली पूरे हिसार में नहीं थी। यह आज भी ऐसी कोठी है, जिसके दूसरे फ्लोर के कमरे तक कार चली जाती है। बताते हैं कि रेलूराम अपनी कार से सीधा बेडरूम तक जाया करते थे। भतीजा बोला- पिता के नाम सेक्शन सर्टिफिकेट वहीं, रेलूराम पूनिया के भतीजे जितेंद्र पूनिया ने बताया कि सेक्शन सर्टिफिकेट के लिए पिता राम सिंह ने कोर्ट में केस किया था। इसमें कोर्ट ने उनके पिता के हक में फैसला सुनाया और सेक्शन सर्टिफिकेट उनके नाम किया था। सेक्शन सर्टिफिकेट एक कानूनी दस्तावेज है, जो उस व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारियों को जारी किया जाता है, जिनकी मृत्यु बिना वसीयत छोड़े हुई हो। यह प्रमाणपत्र उत्तराधिकारियों को मृतक की चल संपत्ति (जैसे बैंक जमा, फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर, आदि) पर दावा करने और उन्हें प्राप्त करने के लिए अधिकृत करता है। मौत के बाद भाई को मिला था हक रेलूराम के उकलाना स्थित SBI के खाते, उकलाना स्थित PNB के खाते, रेलूराम की पत्नी कृष्णा के उकलाना स्थित PNB के खाते, रेलूराम के बेटे सुनील कुमार के उकलाना स्थित PNB के खाते, रेलूराम की छोटी बेटी प्रियंका के उकलाना स्थित PNB के खाते और रेलूराम की पत्नी कृष्णा की भारतीय जीवन बीमा निगम की पॉलिसी भाई राम सिंह को मिली थी। सोनिया जेल से संपत्ति पर हक जता चुकी बता दें कि सोनिया जेल से जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण को पत्र भेजकर पिता रेलूराम की संपत्ति पर हक जता चुकी है। सोनिया का तर्क है कि संपत्ति उसे मिलनी चाहिए और उसका बेटा प्रशांत भी संपत्ति का हकदार है। सोनिया ने कहा था कि लितानी मोड़ स्थित कोठी और कृषि भूमि, दौलतपुर की कृषि भूमि, नांगलोई की दुकानों और अन्य संपत्ति पर उसका ही हक बनता है। हत्यारा हक के काबिल नहीं वहीं कानूनी जानकार बताते हैं कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के सेक्शन-25 के तहत हत्या करने वाला, मृतक की संपत्ति के हक से अयोग्य हो जाता है। परंतु ऐसा नहीं है कि हत्यारे का वारिस भी अयोग्य हो। बेटे सुनील को प्रॉपर्टी देना चाहते थे रेलूराम दरअसल, रेलूराम पूनिया ने दो शादियां की थीं। पहली पत्नी से उनका बेटा सुनील है। दूसरी पत्नी कृष्णा से बेटी सोनिया है। सोनिया और सुनील सौतेले भाई बहन हैं। सोनिया ने मर्डर के बाद पुलिस को बयान दिया था, "पापा सारी प्रॉपर्टी मेरे सौतेले भाई सुनील को देना चाहते थे। उन्होंने कागज भी तैयार करवा लिए थे। उनके पास 100 एकड़ जमीन, दिल्ली के नांगलोई में 13 दुकानें, फरीदाबाद वाली कोठी समेत कई कोठियां और 3 कार थीं।" कच्चे तेल के कारोबार ने करोड़पति बनाया पूर्व विधायक रेलूराम का बचपन तंगहाली में गुजरा था। वह भैंस चराया करते थे। बाद में वह दिल्ली आ गए। वहां रेलूराम ने ट्रक साफ करने का काम शुरू किया। फिर ट्रक चलाने लगे। कुछ साल बाद एक सेठ को देखकर उन्होंने कच्चे तेल का कारोबार शुरू कर दिया। इससे उन्होंने करोड़ों की संपत्ति बनाई। 100 एकड़ जमीन खरीदी। फरीदाबाद और दिल्ली में कोठी और 13 दुकानें बनाईं। 1996 में रेलू राम पूनिया बरवाला से निर्दलीय चुनाव में उतरे। उनका चुनाव चिह्न रेलगाड़ी था। उस चुनाव में एक नारा खूब चला था- ‘रेलूराम की रेल चलेगी, बिन पानी बिन तेल चलेगी।’ रेलू राम चुनाव जीत गए। ॰॰॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढ़ें... रेलूराम पूनिया हत्याकांड, भतीजे की राष्ट्रपति को चिट्ठी:बेटी सोनिया और दामाद संजीव को रिहाई न देने की मांग, बोले- हमारा मर्डर हो जाएगा हरियाणा में 24 साल पुराने पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया हत्याकांड में बेटी सोनिया और दामाद संजीव कुमार की समय से पहले रिहाई वाली याचिका के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखी गई है। पूरी खबर पढे़ं...
गुरुग्राम के ठेकों तक अवैध विदेशी शराब पहुंचने की कहानी:कस्टम ड्यूटी बचाने को समुद्री रास्ते से तस्करी; यहां ठेके सबसे महंगे, शराब सस्ती
हरियाणा में गुरुग्राम के एक ठेके से 10 करोड़ की अवैध शराब मिलने के बाद वैध ठेकों पर अवैध विदेशी शराब बिक्री का खुलासा हुआ है। यह विदेशी शराब समुद्र के रास्ते मुंबई, चेन्नई और गुजरात के कांडला पोर्ट पहुंचती है। यहां से विदेशी शराब कंटेनर से कस्टम बांडेड वेयरहाउस तक पहुंचती है। इसके अलावा प्रीमियम शराब की कुछ खेप एयरपोर्ट पर भी उतरती हैं। गुरुग्राम के शराब ठेकेदारों का असली खेल यहीं से शुरू होता है। ये डमी बांडेड वेयरहाउस में ट्रांसफर के नाम पर पेटियां उठाते हैं और फिर उन्हें ठेके पर पहुंचा देते हैं। इस रूट पर कस्टम ड्यूटी नहीं चुकानी पड़ती और स्टेट की एक्साइज ड्यूटी भी बच जाती है। सिग्नेचर ग्लोबल टावर के पास ‘द ठेका’ नाम की वाइन शॉप से बिना होलोग्राम और बिना ट्रैक-एंड-ट्रेस स्ट्रिप्स वाली जो 3,921 पेटियां और 176 लूज बोतलें मिली हैं, वे इसी रूट से पहुंची थीं। बरामद शराब के लिए न तो कस्टम ड्यूटी चुकाई गई और न ही हरियाणा सरकार का अनिवार्य होलोग्राम लगा था। अवैध शराब के इस खेल में गुरुग्राम के कितने ठेकेदार सिंडिकेट में शामिल हैं, उनका पता लगाने के लिए एसीपी ईस्ट अमित भाटिया की अगुआई में विशेष जांच टीम (SIT) बनाई गई है। बरामद की गई शराब में जॉनी वॉकर, ब्लू लेबल, सिवास रीगल 25 ईयर, ग्लेनफिडिच 21, मैकलन 18, डोम पेरिग्नन विन्टेज जैसी सुपर-प्रीमियम ब्रांड की पेटियां 2 गुप्त कमरों में छिपाकर रखी गई थीं। एक-एक बोतल की कीमत 1500 से डेढ़ लाख रुपए तक है। 44 करोड़ का लाइसेंस, 10 करोड़ का अवैध माल सिग्नेचर टावर की लोकेशन का यह ठेका M/s सुरेंद्र के नाम पर था, जिसके लिए सरकार को 44 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस जमा की गई। असल मालिक अंकुश गोयल, अरुण मित्तल और सुग्रीव विश्नोई बताए जा रहे हैं। छापेमारी की भनक लगते ही तीनों फरार हो गए। पुलिस ने थाना सेक्टर-40 में NDPS एक्ट और एक्साइज एक्ट की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है। यहां रोजाना 50 से 60 लाख रुपए का कारोबार होता था और ज्यादातर ग्राहक गुरुग्राम-दिल्ली के हाई-प्रोफाइल लोग थे। दिल्ली-राजस्थान तक फैले तार प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इस सिंडिकेट के तार दिल्ली, पंजाब और राजस्थान से जुड़े हैं। यह अब तक का हरियाणा का सबसे बड़ा अवैध विदेशी शराब का जखीरा है और सरकार को कस्टम व एक्साइज ड्यूटी में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। पुलिस और आबकारी विभाग की टीमें मुख्य आरोपियों अंकुश गोयल, अरुण मित्तल और सुग्रीव विश्नोई की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापे मार रही हैं। 3 पॉइंट में समझिए गुरुग्राम शराब घोटाले का पूरा खेल 100 करोड़ तक के ठेके जानकारों का कहना है कि गुरुग्राम में एक ठेका 100 करोड़ तक नीलाम होता है। इतनी बड़ी लाइसेंस फीस चुकाने के बाद “एक नंबर” का बिजनेस करने से साल भर में भी लागत नहीं निकलती। इसलिए ठेकेदार शुरू से ही प्लान करते हैं कि 50-60% माल अवैध रास्ते से लाएंगे, जिससे 3-4 गुना मुनाफा हो जाता है और लाइसेंस फीस एक सीजन में ही वसूल। इस नेक्सेस में ठेकेदार, कस्टम बांडेड वेयरहाउस, ड्यूटी-फ्री स्टाफ, एक्साइज विभाग के अधिकारी शामिल होते हैं। ॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढे़ं... गुरुग्राम में 10 करोड़ की अवैध इम्पोर्टेड शराब मिली:एक्साइज इंस्पेक्टर सस्पेंड, ठेके में 42 हजार बोतलें सजाकर रखीं थी; कीमत 1.5 लाख तक गुरुग्राम में अवैध विदेशी शराब के कारोबार का एक बड़ा मामला सामने आया है। सिग्नेचर ग्लोबल टावर के पास 'दी ठेका' नाम से चल रही शराब की दुकान पर पुलिस और एक्साइज विभाग की संयुक्त टीम ने छापेमारी की। यहां इम्पोर्टेड शराब की करीब 42 हजार बोतलें बरामद की गईं, जिनका बाजार मूल्य लगभग 10 करोड़ रुपए आंका जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें...
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