पुतिन के दौरे के बाद मीटिंग करने भारत पहुंचा अमेरिका, 3 दिन की बड़ी बैठक... हटेगा रूसी तेल से जुड़ा टैरिफ?
अमेरिका और भारत के रिश्तों में हाल ही में काफी खिंचाव आया। वजह साफ है। राष्ट्रपति ट्रंप ने अगस्त में भारतीय सामान पर टेरिफ यानी आयात दोगुना करके 50% कर दिया था और इसमें 25% सिर्फ रूस से तेल खरीदने पर टेरिफ लगाया गया था। इसके साथ ही अमेरिकी अधिकारियों की लगातार आलोचनाओं ने माहौल को और गर्म कर दिया। लेकिन ऐसे ही तनाव के बीच अमेरिका की अंडर सेक्रेटरी एलिसन होकर भारत के दौरे पर आई और विदेश सचिव विक्रम मिश्री के साथ उनकी एक बड़ी बैठक हुई। इस बैठक का मकसद था ट्रंप और पीएम मोदी की फरवरी में हुई मुलाकात में जो वायदे और विज़न तय किए गए थे उन्हें आगे बढ़ाना और रिश्तों को फिर से सामान्य करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाना। भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण व्यापार वार्ता आज से शुरू होगी, जब अमेरिकी व्यापार उप प्रतिनिधि (यूटीआर) रिक स्विट्जर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अपने भारतीय समकक्ष राजेश अग्रवाल से मुलाकात करेगा।
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इस समझौते के लिए अमेरिका के मुख्य वार्ताकार, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच, भारत के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव दर्पण जैन, जो कर्नाटक कैडर के 2001 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, के साथ विचार-विमर्श करेंगे। अमेरिकी डेलिगेट्स की ये यात्रा अहम है क्योंकि भारत और अमेरिका इस समय समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा, यह बातचीत 10 दिसंबर से शुरू होकर 12 दिसंबर को खत्म होगे और यह औपचारिक दौर की बातचीत नहीं है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, डेलिगेट्स का नेतृत्व अमेरिका के डिप्टी यूएस ट्रेड प्रतिनिधि रिक स्वित्जर करेंगे। अगस्त में भारतीय प्रोडक्ट्स पर 50% टैरिफ लगाए जाने के अमेरिकी कदम के बाद व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए अमेरिकी दल दूसरी बार भारत आ रहा है। इसके पहले 16 सितंबर को एक अमेरिकी दल भारत के दौरे पर आया था। 22 सितंबर को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी व्यापार वार्ता के लिए एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका गए थे।
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इससे पहले अमेरिका की उप विदेश मंत्री (राजनीति मामले) एलिसन हुकर द्विपक्षीय रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की पांच दिवसीय यात्रा पर 7 दिसंबर को नई दिल्ली पहुंची थी। अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में बताया था कि हुकर की यात्रा का उद्देश्य अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना, अमेरिकी निर्यात बढ़ाने सहित आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को बेहतर करना है।
भारत तो अपने मन की ही करेगा, ज्यादा उड़ो मत ट्रंप... रूस ने इस बार अमेरिका को अच्छे से समझा दिया
अमेरिकी दबाव को दरकिनार करते हुए भारत और रूस की दोस्ती दिन दोगुनी और चार चौगुणी गति से आगे बढ़ रही है। रूस ने अमेरिका जैसे देशों को बताया है कि तुम नहीं तय करोगे कि हमारे रिश्ते किसके साथ कैसे होंगे। अमेरिका ने दुनिया में इस वक्त ट्रेड वॉर छेड़ रखा है। खासकर उसके निशाने पर भारत है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कभी रूसी तेल खरीद तो कभी चावल को लेकर भारत पर भारी टैरिफ की धमकी देते रहते हैं। ट्रंप ने पहले ही भारत पर 50% तक टेरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की। लेकिन जब यह दांव असरदार नहीं हुआ तो अब ट्रंप की नई चाल और नया बयान सामने आ गया। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत को अमेरिकी बाजार में चावल 'डंप' करना (सस्ते दामों पर बेचना) नहीं चाहिए। भारत रूस के तेल कारोबार को लेकर भी ट्रंप का टैरिफ कार्ड देखने को मिला था।
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इसी दोहरेपने को अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक्सपोज किया है। पुतिन ने तो यहां तक कह दिया कि भारत के ट्रेड के खिलाफ बोलते हो और खुद हमसे तेल ले रहे हैं अपने न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के लिए। यूरेनियम खरीद रहे हैं अपने लिए और भारत को ज्ञान दे रहे हैं। तो यह जो दोहरे मापदंड है उसको पुतिन ने भी एक्सपोज किया। लेकिन ट्रंप का रवैया यह बताता है कि वो बिल्कुल नहीं सुधरेंगे। क्योंकि जिस तरह से भारत पुतिन के रिश्ते दिखाई पड़े हाल के दिनों में जिस तरह से रूसी राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन का भारत दौरा रहा उससे वो बौखला गए हैं। ऐसा लग रहा है। वो कह नहीं पा रहे हैं लेकिन उनके जो दिल के अरमा है उनके जुबान पर गाहे बगाहे आ जा रहे हैं। पुतिन के ऑफिस के उन्होंने कहा कि भारत जहां से सस्ता और फायदे का तेल मिलेगा भारत को वहीं से वह खरीदेगा। यह बयान उस वक्त आया है जब आपको मालूम है कि क्या हालात हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 50% का टेरिफ लगाया था। आपको मालूम है और भारत पर रूसी तेल खरीद के अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन के युद्ध में फंडिंग का आरोप लगाया। भारत ने झुकने से इंकार कर दिया और रूसी राष्ट्रपति ने किस तरीके के बयानात दिए हैं कि बिना रुकावट के तेल जो है हम जारी रखेंगे।
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फरवरी 2022 में पहले भारत रूस से लगभग शून्य क्रूड ऑयल खरीदता था। बहुत नाम मात्र का नवंबर 2025 के आंकड़ों पर बात करें तो भारत रूस से रोजाना औसतन 2.1 मिलियन के आसपा बैरल क्रूड ऑयल आयात कर रहा है। 2025 के पहले 11 महीनों में भारत ने रूस से कुल 81 मिलियन टन लगभग 545 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल खरीदा जो 2021 के मुकाबले 25 गुना ज्यादा है। रूस अब भारत का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल सप्लायर है। कुल आयात का 40 से 42% हिस्सा तेल आ रहा है। भारत को रूसी तेल ब्रेंट के मुकाबले औसतन 8 से $10 प्रति बैरल छूट मिल रही है। 204-25 में भारत ने रूसी तेल आयात से करीब 9.2 अरब डॉलर की बचत की है।
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फिलहाल रूस भारत तेल व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंध है। टेरिफ का कोई खास असर नहीं डाल पाया तो कई कंपनियों को भी निशाने पर बनाया गया और सेंशंस लगाया गया। भारत अपनी सुरक्षा ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से जो है कदम उठा रहा है। फैसले कर रहा है। क्रेमलिन भी कह रहा है कि हम इसी तरीके के साथ में हैं। पुतिन ने भी कहा था कि हम पूरी तरीके से साथ में हैं। तो एक तरफ ये ट्रंप का ड्रामा चल रहा है। दूसरी तरफ रशिया भारत के साथ खुलकर आकर खड़ा हो गया है।
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