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CDF बनते ही Asim Munir ने भारत के खिलाफ उगला जहर, भारतीय सेना करारा सबक सिखाने के लिए पूरी तरह तैयार

आसिम मुनीर ने पाकिस्तान का पहला चीफ ऑफ डिफेन्स फोर्सेज़ (CDF) बनते ही भारत के खिलाफ जहर उगला है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान के सैन्य ढाँचे में सीडीएफ का पद नया है और पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ढाँचे के सीडीएस पद को एक तरह से कॉपी किया है। हम आपको बता दें कि मुनीर सीडीएफ के अलावा पहले से ही चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) भी बने हुए हैं। इस प्रकार अब पाकिस्तान की सेना, वायुसेना, नौसेना और उसकी परमाणु क्षमता, सबका शीर्ष नियंत्रण एक ही व्यक्ति के हाथों में केंद्रित है।

अपने नए पद पर नियुक्ति के बाद GHQ में पहले संबोधन में आसिम मुनीर ने भारत को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि भारत ने कोई भी आक्रामक कदम उठाया, तो पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पहले से कहीं अधिक कठोर और विनाशकारी होगी। हम आपको याद दिल दें कि मुनीर ने पिछली बार भी कहा था कि यदि पाकिस्तान पर अस्तित्व का संकट आया तो वह अभूतपूर्व प्रतिक्रिया देगा। अब CDF बनते ही उन्होंने फिर भारत को चेतावनी भरा संदेश दिया है।

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देखा जाए तो आसिम मुनीर का सीडीएफ के रूप में भारत के लिए पहला संदेश कोई सामान्य सैन्य वक्तव्य नहीं है। अब पाकिस्तान की सेना, नौसेना, वायुसेना और सबसे महत्वपूर्ण बात यानि परमाणु हथियारों का नियंत्रण, एक ही व्यक्ति के हाथ में है। ऐसे में मुनीर के द्वारा भारत के प्रति दिया गया कठोर प्रतिक्रिया वाला बयान स्वाभाविक रूप से क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता पैदा करता है।

किन्तु वास्तविकता यह है कि यह चेतावनी न तो भारत को डरा सकती है और न ही पाकिस्तान की स्थिति को मजबूत कर सकती है। बल्कि यह बयान पाकिस्तान की भीतरी राजनीति और आर्थिक अस्थिरता से जनता का ध्यान हटाने का प्रयास अधिक प्रतीत होता है। पाकिस्तान आज जिस गहरे आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है, उसमें भारत का नाम लेकर शत्रु–भय उत्पन्न करना वहाँ की सेना का पुराना और आजमाया हुआ तरीका है।

मगर स्थिति अब वैसी नहीं है जैसी कभी थी। भारत आज आर्थिक, सामरिक और तकनीकी रूप से पहले से कहीं अधिक मजबूत है। भारतीय सेना की क्षमता, रणनीति और आधुनिक युद्ध तैयारी में पिछले एक दशक में व्यापक परिवर्तन आया है। किसी भी संभावित संघर्ष में भारत की प्रतिक्रिया अब केवल सीमित या रक्षात्मक नहीं होगी। यदि पाकिस्तान की ओर से कोई दुस्साहस किया गया, चाहे वह सीमा पर छोटा–सा उकसावा हो या आतंकवाद के नाम पर कोई प्रॉक्सी कार्रवाई, तो उसकी कीमत पाकिस्तान को बेहद महँगी चुकानी पड़ेगी।

भारतीय सेना अब ऐसी किसी भी हरकत का उत्तर न केवल तुरंत देगी, बल्कि भयावह और निर्णायक तरीके से देगी। ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई एक उदाहरण थी कि भारत अब आतंकवाद को जमीन में गाड़ देगा। भारतीय सैन्य सिद्धांत में यह स्पष्ट हो चुका है कि पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित आतंकवाद या रणनीतिक दुस्साहस को गहन जवाब मिलेगा।

यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक विश्वसनीय शक्ति के रूप में उभरा है। दुनिया अच्छी तरह समझती है कि भारत कोई संघर्ष नहीं चाहता; पर यदि उसे उकसाया गया तो वह निर्णायक कार्रवाई करने में हिचकेगा नहीं। पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति को देखते हुए किसी भी अस्थिरता की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय समर्थन भारत की ओर ही झुकेगा, न कि पाकिस्तान की ओर। इसलिए मुनीर का बयान न केवल अव्यावहारिक है बल्कि पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति को और कमजोर करता है।

साथ ही भारतीय सेना के पास आज अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली, उच्च सटीकता वाले हथियार, तेज़ प्रतिक्रिया बल, उन्नत निगरानी तकनीक और साइबर क्षमताएँ हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और ढहती राजनीति उस स्तर की प्रतिक्रिया सहन नहीं कर पाएगी जिसकी क्षमता भारत के पास है। इसीलिए कहा जा सकता है कि यदि पाकिस्तान किसी भी प्रकार का दुस्साहस करता है तो यह कदम उसके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।

बहरहाल, मुनीर की चेतावनी से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए कि भारत शांति चाहता है, पर शांति को कमजोरी समझने की भूल यदि पाकिस्तान ने की, तो इस बार भारतीय सेना का जवाब भयावह और निर्णायक होगा।

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उइगर नरसंहार मान्यता दिवस के चार साल पूरे, चीनी अत्याचारों के खिलाफ कार्रवाई का वैश्विक आह्वान

विश्व उइगर कांग्रेस (डब्ल्यूयूसी) ने 9 और 10 दिसंबर को उइगर नरसंहार मान्यता दिवस की स्थापना और उइगर न्यायाधिकरण के अंतिम फैसले के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, जारी उइगर नरसंहार के पीड़ितों को याद किया। डब्ल्यूयूसी ने कहा कि उइगर न्यायाधिकरण की स्थापना जून 2020 में उसके पूर्व अध्यक्ष डोलकुन ईसा के अनुरोध पर की गई थी, ताकि पूर्वी तुर्किस्तान के उइगरों, कज़ाकों और अन्य तुर्क मुस्लिम लोगों के खिलाफ चीन द्वारा किए गए कथित अत्याचारों का दस्तावेजीकरण किया जा सके। सर जेफ्री नाइस की अध्यक्षता वाले इस स्वतंत्र न्यायाधिकरण में कानूनी विशेषज्ञ, शिक्षाविद और नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल थे, और इसने नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों की जाँच की।

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डब्ल्यूयूसी के अध्यक्ष तुर्गुंजन अलाउदुन के हवाले से, विज्ञप्ति में कहा गया है कि 9 दिसंबर हमें याद दिलाता है कि नरसंहार कोई अमूर्त ऐतिहासिक अवधारणा नहीं है, बल्कि उइगर लोगों द्वारा झेली जा रही एक दैनिक वास्तविकता है।" उन्होंने आगे कहा कि न्यायाधिकरण ने ऐसे भारी सबूत पेश किए हैं जिन्हें दुनिया अब और नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती, और चेतावनी दी कि एक समुदाय के खिलाफ नरसंहार को जारी रखने की अनुमति देना वैश्विक सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा है। डब्ल्यूयूसी के अनुसार, न्यायाधिकरण ने जून, सितंबर और नवंबर 2021 में हुई सुनवाई के बाद 9 दिसंबर, 2021 को अपना अंतिम फैसला सुनाया। यह फैसला 500 से ज़्यादा गवाहों के बयानों, एक पूर्व चीनी पुलिस अधिकारी सहित 30 से ज़्यादा प्रत्यक्ष गवाहों की गवाही और 40 विशेषज्ञ गवाहों के इनपुट पर आधारित था। विज्ञप्ति में कहा गया है कि न्यायाधिकरण इस निष्कर्ष पर पहुँचा है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (पीआरसी) उइगर लोगों के ख़िलाफ़ नरसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध कर रहा है।

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डब्ल्यूयूसी ने आगे उल्लेख किया कि कम से कम दस राष्ट्रीय संसदों ने औपचारिक रूप से इन अत्याचारों को मान्यता दी है। हालाँकि, संगठन ने ज़ोर देकर कहा कि केवल प्रतीकात्मक मान्यता अपर्याप्त है, खासकर जब चीन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है और संयुक्त राष्ट्र का सबसे बड़ा बजट योगदानकर्ता बन गया है, जैसा कि विज्ञप्ति में उल्लेख किया गया है।

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न्यायाधिकरण के फैसले के चार साल बाद, डब्ल्यूयूसी ने आरोप लगाया कि चीन नरसंहार को छुपाने की कोशिश कर रहा है। तथाकथित "पुनर्शिक्षा" शिविरों को बंद करने के दावों के बावजूद, संगठन ने ज़ोर देकर कहा कि लंबी अवधि के कारावास, हिरासत केंद्रों और जबरन श्रम योजनाओं के साथ-साथ पूरे चीन में श्रमिकों के स्थानांतरण सहित अन्य तरीकों से सामूहिक हिरासत जारी है। डब्ल्यूयूसी के अनुसार, कई बंदी रिहाई के बाद भी कड़ी, आजीवन निगरानी में रहते हैं।

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  Sports

क्या गिल की जगह सैमसन को मौका मिलेगा:शुभमन पिछली 16 पारियों में फिफ्टी नहीं लगा सके; साउथ अफ्रीका से दूसरा टी-20 आज

न्यू चंडीगढ़ स्थित मुल्लांपुर स्टेडियम पहली बार किसी इंटरनेशनल मैच की मेजबानी कर रहा है। यहां आज भारत और साउथ अफ्रीका के बीच दूसरा टी-20 मैच खेला जाएगा। ऐसे में फैंस की नजरें अभिषेक शर्मा, शुभमन गिल और अर्शदीप सिंह जैसे होम बॉयज पर होंगी। लेकिन, 26 साल के गिल अभी तक सबसे छोटे फॉर्मेट में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे हैं। वे पिछली 16 पारियों में एक भी फिफ्टी नहीं लगा सके हैं। उन्होंने आखिरी फिफ्टी 13 जुलाई 2024 को जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में लगाई थी। ऐसे में सवाल यह है कि... 'क्या टीम मैनेजमेंट गिल की जगह संजू सैमसन को मौका देगा?' सैमसन ने पिछले साल ओपनिंग करते हुए तीन शतक लगाए थे। उसके बाद से उन्हें 5 मौके ही मिले। जबकि गिल को 13 मैचों में ओपनिंग की। हालांकि, न्यू चंडीगढ़ के ठंडे वातावरण में भारत का अपने विजयी संयोजन में कोई बदलाव करने की संभावना नहीं है। आगे स्टोरी में बताएंगे सैमसन को ज्यादा मौके क्यों नहीं मिल रहे? शुरुआत मैच डीटेल्स से... क्या ओपनिंग में गिल से बेहतर सैमसन? हां, आंकड़े कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर रहे हैं। गिल ने 34 टी-20 इंटरनेशनल मैचों में ओपनिंग की है। उन्होंने 29.00 के एवरेज और 140.63 के स्ट्राइक रेट से 841 रन बनाए हैं। इनमें एक शतक और 3 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, संजू सैमसन ने इसकी आधे 17 मैचों में 32.62 के एवरेज और 178.76 के स्ट्राइक रेट से 522 रन बना डाले हैं। इनमें 3 शतक और एक अर्धशतक शामिल हैं। तो फिर सैमसन को मौका क्यों नहीं मिल रहा क्योंकि, गिल टेस्ट और वनडे टीम के कप्तान हैं। उन्हें टी-20 टीम का उपकप्तान भी बनाया गया है। ऐसे में गिल को प्लेइंग में रहना जरूरी है। उन्हें टी-20 का कप्तान भी बनाया जा सकता है। यही कारण है कि गिल को सैमसन से ज्यादा मौके मिल रहे हैं। इन रिकॉर्ड्स पर नजरें भारत ने 60% मैच जीते, घर में भी 50-50 रिकॉर्ड भारत ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 60% टी-20 मैच जीते हैं। दोनों टीमों के बीच अब तक 32 टी-20 इंटरनेशनल खेले गए हैं। इनमें से 60% यानी कि 19 मैच भारत ने जीते हैं। जबकि साउथ अफ्रीका ने 12 मैच अपने नाम किए हैं। एक मैच नो रिजल्ट रहा है। भारत की घरेलू पिचों पर दोनों टीमों के बीच का रिकॉर्ड 50-50 है। टीम इंडिया ने अपने होम ग्राउंड पर साउथ अफ्रीका से 13 मैच खेले हैं। इनमें से 50% यानी कि 6 मैच भारत ने जीते हैं। इतने ही मुकाबले साउथ अफ्रीका के नाम भी रहे हैं। एक मैच बेनतीजा रहा है। अब दोनों टीमों के बेस्ट प्लेयर्स पिच एंड वेदर रिपोर्ट: मुल्लांपुर में पहला इंटरनेशनल मैच मुल्लांपुर में पहला इंटरनेशनल मैच खेला जाएगा। यहां की पिच आमतौर पर बैलेंस्ड, लेकिन थोड़ी धीमी मानी जाती है। बल्लेबाज यहां बड़ी पारियां तभी खेल सकते हैं, जब वे क्रीज पर टिककर खेलें। आउटफील्ड तेज है, इसलिए गैप मिलते ही बाउंड्री भी आसानी से निकलती है। यहां शुरुआत में गेंदबाजों को हल्की मदद मिलती है, खासकर सीम और स्विंग की वजह से तेज गेंदबाज शुरुआती ओवरों में असर डालते हैं। मिडिल ओवर्स में पिच धीरे-धीरे स्पिनरों के लिए मददगार साबित होती जाती है। गेंद ग्रिप करती है और टर्न भी मिल सकता है, इसलिए स्पिनर्स मैच का रुख बदल सकते हैं। शाम के समय ओस पड़ने पर दूसरी पारी में बैटिंग थोड़ी आसान हो जाती है, ऐसे में कैप्टन टॉस जीतकर पहले बॉलिंग चुन सकते हैं। दोनों टीमों की पॉसिबल प्लेइंग-XI भारत: सूर्यकुमार यादव (कप्तान), अभिषेक शर्मा, शुभमन गिल, तिलक वर्मा, हार्दिक पंड्या, शिवम दुबे, जितेश शर्मा (विकेटकीपर), अक्षर पटेल, वरुण चक्रवर्ती जसप्रीत बुमराह और अर्शदीप सिंह। साउथ अफ्रीका: ऐडन मार्करम (कप्तान), क्विंटन डिकॉक (विकेटकीपर), ट्रिस्टन स्टब्स, डेवॉल्ड ब्रेविस, डेविड मिलर, डोनोवन फरेरा, मार्को यानसन, केशव महाराज, लूथो सिपामला, लुंगी एनगिडी, एनरिक नॉर्खिया। भास्कर एप पर फॉलो करें मैच से जुड़े अपडेट्स भारत और साउथ अफ्रीका टी-20 सीरीज की लाइव स्ट्रीमिंग जियोहॉटस्टार ऐप और वेबसाइट पर देखी जा सकेगी। IND vs SA टी-20 क्रिकेट मैचों का सीधा प्रसारण भारत में स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क के टीवी चैनलों पर उपलब्ध होगा। इसके साथ ही आप दैनिक भास्कर ऐप पर भी मैच से जुड़े अपडेट्स देख सकते हैं। Wed, 10 Dec 2025 23:41:06

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