पाकिस्तान: नोकुंडी हमले से बलूचिस्तान में विदेशी निवेश पर छाया संकट, कर्मचारियों के आवास को बनाया जा रहा निशाना
बलूचिस्तान के नोकुंडी में रेको दिक और संदक खनन परियोजनाओं से जुड़े आवासीय परिसर पर हाल ही में हुए आतंकवादी हमले ने क्षेत्र में संघर्ष को और बढ़ा दिया है और विदेशी निवेशकों के बीच गंभीर चिंता पैदा कर दी है। 30 नवंबर की देर रात को किए गए इस हमले में पाकिस्तान की सबसे मूल्यवान खनिज परियोजनाओं पर काम कर रहे विदेशी इंजीनियरों और कर्मचारियों के आवास को निशाना बनाया गया। बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यह अभियान उसकी नवगठित सद्दो ऑपरेशनल बटालियन (एसओबी) द्वारा चलाया गया था। हमले की शुरुआत फ्रंटियर कोर मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर एक आत्मघाती बम विस्फोट से हुई, जिसके बाद आवासीय क्षेत्र में सशस्त्र घुसपैठ की गई।
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समूह ने दावा किया कि उसके लड़ाके 36 घंटे से ज़्यादा समय तक पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ डटे रहे, जिससे यह हाल के वर्षों में सबसे लंबे और समन्वित हमलों में से एक बन गया। यह हमला अपने स्थान के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। नोकुंडी और आसपास के इलाके बलूचिस्तान के सबसे ज़्यादा सुरक्षा वाले इलाकों में से हैं, क्योंकि यहाँ अरबों डॉलर की विदेशी निवेश परियोजनाएँ मौजूद हैं, जिनमें बैरिक गोल्ड की रेको दिक खदान और चीन द्वारा संचालित सैंदक तांबा-सोना परियोजना शामिल है। किसी आतंकवादी समूह का इतने सुरक्षित इलाके में घुसना, संचालन संबंधी कुशलता, ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने और संगठनात्मक अनुशासन के एक नए स्तर का संकेत देता है।
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बीएलएफ ने इस ऑपरेशन को एसओबी बटालियन का पहला मिशन बताया और इसे पाकिस्तान, बैरिक गोल्ड, चीन और बलूचिस्तान की खनिज संपदा में शामिल या रुचि रखने वाले सभी विदेशी निवेशकों के लिए एक जानबूझकर किया गया संदेश बताया। इसके तुरंत बाद, स्थिति तनावपूर्ण और विनाशकारी बनी रही। बीएलएफ ने दावा किया कि हमले के दौरान दर्जनों सुरक्षाकर्मी और कई विदेशी कर्मचारी मारे गए और विदेशी बंधक बनाए गए। पाकिस्तानी अधिकारियों ने शुरुआत में सीमित जानकारी जारी की, लेकिन बाद में बताया कि दो दिन बाद चलाए गए एक निकासी अभियान के दौरान छह आतंकवादी मारे गए। हालाँकि हताहतों की संख्या पर अभी भी विवाद है, लेकिन इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि इस हमले ने गंभीर व्यवधान पैदा किया और पाकिस्तान के सबसे मूल्यवान आर्थिक स्थलों में से एक में बड़ी सुरक्षा खामियों को उजागर किया।
Sheikh Hasina का नाम लेकर ऐसा क्या बोले युनूस, भारत ने कराई बोलती बंद
भारत ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने बांग्लादेश और पाकिस्तान की जबरदस्त धज्जियां उड़ा कर रख दी है। शेख हसीना को लेकर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जय शंकर ने पूरी दुनिया के सामने वो ऐलान कर दिया कि यूनुस के पैरों तले जमीन खिसक गई। यूनुस ने बड़ी प्लानिंग रची, चालबाजी की। मगर सारी की सारी चालबाजी को भारत ने एक ही झटके में क्लीन बोल्ड कर डाला। शेख हसीना जब पिछले साल बांग्लादेश में हुए सियासी बदलाव के बाद भारत आई तब से यूनुस सरकार उनके पीछे लग गई। भारत सरकार पर भी तरह-तरह की बातें की गई। अभी पिछले महीने ही बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल कोर्ट में शेख हसीना को सजा दी गई। जिसके बाद भारत को लेकर भी यह लेटर जारी किए गए कि अब शेख हसीना को बांग्लादेश आना ही पड़ेगा। मगर अब बांग्लादेश की हवाबाजी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने निकाल दी।
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दरअसल जब एक इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा गया कि क्या हसीना का भारत में जब तक वह चाहे रहने का स्वागत है तो इस पर उन्होंने कहा कि वो एक खास हालात में यहां आई थी और वह हालात साफ तौर पर उनके साथ जो होता है उसमें एक अहम फैक्टर निभा रहा है। लेकिन यह कुछ ऐसा है जो उन्हें तय करना होगा। विदेश मंत्री ने यह भी दोहराया कि भारत ने शेख हसीना को आश्वासन दिया है कि वह जब तक चाहे भारत में रह सकती हैं। भारत सरकार ने पहले भी कई बार कहा है कि मानवीय आधार पर हसीना को शरण दी गई है और उनकी सुरक्षा तथा सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
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भारत-बांग्लादेश संबंध
नई दिल्ली और ढाका के बीच संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, जयशंकर ने पड़ोसी देश में एक विश्वसनीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया की आवश्यकता पर भारत के रुख पर ज़ोर दिया। बांग्लादेश में पिछले राजनीतिक मुद्दों का उल्लेख करते हुए, जयशंकर ने कहा कि हमने सुना है कि बांग्लादेश के लोगों, खासकर जो अब सत्ता में हैं, को पहले चुनावों के संचालन के तरीके से समस्या थी। अब, अगर मुद्दा चुनाव का है, तो सबसे पहले निष्पक्ष चुनाव कराना होगा। जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य के प्रति आशा व्यक्त करते हुए अपने भाषण का समापन किया और अपने पड़ोसी के प्रति भारत की लोकतांत्रिक प्राथमिकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हाँ तक हमारा संबंध है, हम बांग्लादेश के लिए शुभकामनाएँ देते हैं। एक लोकतांत्रिक देश के रूप में हम मानते हैं कि कोई भी लोकतांत्रिक देश लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से लोगों की इच्छा को सुनिश्चित होते देखना पसंद करता है।
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