एसए20: जोबर्ग सुपर किंग्स ने डरबन सुपर जायंट्स को हराया, 46 गेंद पहले जीता मुकाबला
डरबन, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। साउथ अफ्रीका टी20 लीग में मंगलवार को डरबन में डरबन सुपर जायंट्स और जोबर्ग सुपर किंग्स के बीच एक लो स्कोरिंग मुकाबला खेला गया। डरबन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और उसे 46 गेंद पहले ही निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा।
बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया का अंतिम संस्कार आज:पति जियाउर की कब्र के पास दफानाया जाएगा; भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर शामिल होंगे
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख खालिदा जिया का अंतिम संस्कार आज ढाका में किया जाएगा। खालिदा को संसद परिसर में उनके पति और बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की कब्र के पास दफनाया जाएगा। उनका 80 साल की उम्र में मंगलवार सुबह निधन हो गया था। वे पिछले करीब 20 दिनों से वेंटिलेटर पर थीं। खालिदा जिया के निधन पर बांग्लादेश सरकार ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और सभी आधिकारिक कार्यक्रम स्थगित रहेंगे। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में राजनीतिक नेता, समर्थक और आम लोग शामिल होने की संभावना है। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। वे भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए ढाका पहुंचेंगे और खालिदा जिया को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। बीमारियों से जूझ रही थीं खालिदा जिया खालिदा कई साल से सीने में इन्फेक्शन, लिवर, किडनी, डायबिटीज, गठिया और आंखों की परेशानी से जूझ रहीं थीं। उनके परिवार और पार्टी नेताओं ने निधन की पुष्टि की है। वे 1991 से 1996 और 2001 से 2006 तक दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। वे पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी थीं। खालिदा जिया का राजनीतिक जीवन काफी उठापटक भरा रहा। 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उन्हें नजरबंद कर दिया था। वे जुलाई से दिसंबर तक पाकिस्तानी सेना की कैद में रहीं थीं। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की हार के बाद खालिदा जिया को रिहा किया गया। बाद के सालों में भी उनकी राजनीति टकराव, आंदोलनों और हमलों से घिरी रही। साल 2015 में ढाका में मेयर चुनाव के प्रचार के दौरान उनके काफिले पर गोलीबारी और पत्थरबाजी भी हुई थी, जिसमें वे बाल-बाल बचीं थीं। खालिदा का रुख भारत विरोधी था भारत को लेकर खालिदा जिया का रुख ज्यादातर समय टकराव वाला रहा था। वह बार-बार कहती थीं कि बांग्लादेश की संप्रभुता और सुरक्षा सबसे ऊपर है। प्रधानमंत्री रहते हुए खालिदा जिया ने भारत को बांग्लादेश की जमीन से होकर रास्ता देने का विरोध किया। भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंचने के लिए यह रास्ता चाहता था। खालिदा जिया का कहना था कि इससे बांग्लादेश की सुरक्षा को खतरा होगा। उन्होंने 1972 की 'भारत-बांग्लादेश मैत्री संधि' को आगे बढ़ाने का भी विरोध किया। उनका कहना था कि यह संधि बांग्लादेश को कमजोर बनाती है। वह अक्सर कहती थीं कि उनकी पार्टी BNP बांग्लादेश को भारत के दबदबे से बचाने के लिए काम कर रही है। 2018 में एक रैली में उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश को 'भारत का राज्य' नहीं बनने दिया जाएगा। खालिदा जिया की 1990 के दशक की 5 तस्वीरें शेख हसीना की विरोधी थीं खालिदा बांग्लादेश की राजनीति दो नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है, जिसमें एक अवामी लीग की नेता शेख हसीना हैं और दूसरी BNP की खालिदा जिया। 1980 के दशक में बांग्लादेश में सैन्य शासन था। तब सैन्य शासन के खिलाफ हसीना और खालिदा सड़क पर साथ-साथ आंदोलन करती थीं। 1990 में तानाशाह इरशाद की विदाई के बाद लोकतंत्र लौटा। 1991 में खालिदा जिया के चुनाव जीतने के बाद खालिदा और शेख हसीना के बीच राजनीतिक दुश्मनी बढ़ गई। 1990 के बाद बांग्लादेश में जब भी चुनाव हुए, सत्ता या तो खालिदा जिया के पास गई या शेख हसीना के पास। मीडिया इसे ‘बैटल ऑफ बेगम्स’ यानी दो बेगमों की लड़ाई नाम देता था। पति रहमान सेना से राजनीति में आए, राष्ट्रपति बने खालिदा जिया का जन्म 1945 में हुआ। वह किसी राजनीतिक परिवार से नहीं थीं और राजनीति से उनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं था। 1960 में एक सैनिक जियाउर रहमान से उनकी शादी हुई। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई हुई। इस दौरान शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान गिरफ्तार कर लिए गए। इसी समय जियाउर रहमान ने रेडियो पर एक घोषणा पढ़ी, जिसमें उन्होंने बताया कि वे ‘स्वतंत्र बांग्लादेश’ की ओर से लड़ रहे हैं। जंग खत्म होने के बाद जब बांग्लादेश बना तो रहमान सेना में लौटे। उन्हें सेना में बड़ा पद मिला। रहमान राजनीतिक रूप से भी एक प्रभावशाली चेहरे के रूप में देखे जाने लगे। 1975 में शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की हत्या के बाद देश में लगातार तख्तापलट होता रहा। सेना में गुटबाजी इतनी बढ़ गई कि कुछ ही महीनों में कई बार सत्ता बदली। इस अस्थिर माहौल में जियाउर रहमान धीरे-धीरे सबसे ताकतवर सैन्य नेता बनकर उभरे और 1977 में वे देश के राष्ट्रपति बन गए। सत्ता संभालने के बाद उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) नाम से एक नया राजनीतिक दल बनाया। पति की हत्या के बाद राजनीति में आईं खालिदा 30 मई 1981 को रहमान की हत्या कर दी गई। वे चटगांव में थे, जब सेना के कुछ बागी अधिकारियों ने विद्रोह कर दिया और गोलीबारी में उनकी मौत हो गई। पति की मौत के बाद BNP पार्टी बिखरने लगी और पार्टी के नेताओं ने खालिदा को नेतृत्व संभालने के लिए मनाया। शुरू में वे तैयार नहीं थीं, लेकिन 1984 में उन्होंने पार्टी की कमान संभाल ली। 1991 में जब बांग्लादेश में पहली बार सही मायने में लोकतांत्रिक चुनाव हुए तो खालिदा जिया की BNP पार्टी ने जीत हासिल की और वे बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। 1996 में उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी, लेकिन 2001 में वे फिर से प्रधानमंत्री बनीं। ------------------ यह खबर भी पढ़ें... बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया का निधन:पाकिस्तान में नजरबंद रहीं, कभी गोलीबारी में बचीं; प्रधानमंत्री बनीं तो भारत का विरोध किया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख खालिदा जिया का मंगलवार सुबह 6 बजे ढाका में निधन हो गया। वे 80 साल की थीं और पिछले करीब 20 दिनों से वेंटिलेटर पर थीं। पढ़ें पूरी खबर...
होम
पॉलिटिक्स
बिजनेस
ऑटोमोबाइल
जॉब
गैजेट
लाइफस्टाइल
फोटो गैलरी
Others 
Samacharnama















.jpg)





