इंडिगो का डोमेस्टिक मार्केट शेयर गिरकर 63.6% पर आया:फ्लाइट कैंसिलेशन और देरी बनी बड़ी वजह, नवंबर में एअर इंडिया और स्पाइसजेट को फायदा
देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के लिए नवंबर का महीना थोड़ा मुश्किल भरा रहा। ऑपरेशन्स में आई दिक्कतों और फ्लाइट्स की देरी के कारण कंपनी के डोमेस्टिक मार्केट शेयर में गिरावट दर्ज की गई है। एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए (DGCA) की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में इंडिगो की घरेलू बाजार हिस्सेदारी गिरकर 63.6% रह गई है। अक्टूबर में यह 65.6% थी। वहीं दूसरी ओर, टाटा ग्रुप की एअर इंडिया और संकटों से जूझ रही स्पाइसजेट ने इस दौरान अपनी स्थिति मजबूत की है। इंडिगो के मार्केट शेयर में आई 2% की कमी का सीधा फायदा इन एयरलाइंस को मिला है। इंडिगो का मार्केट शेयर गिरा, एअर इंडिया ने बनाई बढ़त डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार, इंडिगो भले ही अब भी देश की नंबर-1 एयरलाइन बनी हुई है, लेकिन पिछले कुछ महीनों के मुकाबले इसकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई है। इसके उलट एयर इंडिया ग्रुप (जिसमें एअर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस शामिल हैं) का मार्केट शेयर अक्टूबर के 25.7% से बढ़कर नवंबर में 26.7% हो गया है। इसी तरह स्पाइसजेट ने भी सुधार दिखाते हुए अपनी हिस्सेदारी 2.6% से बढ़ाकर 3.7% कर ली है। हालांकि, अकासा एयर के मार्केट शेयर में भी मामूली गिरावट देखी गई और यह 5.2% से गिरकर 4.7% पर आ गया। फ्लाइट ड्यूटी नियमों और क्रू की कमी से बिगड़े हालात नवंबर और दिसंबर की शुरुआत में इंडिगो को बड़े स्तर पर ऑपरेशन्स से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। दरअसल, डीजीसीए ने पायलटों के आराम के लिए नए 'फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट' (FDTL) नियम लागू किए थे। एयरलाइन इन नियमों के मुताबिक अपने क्रू और रोस्टर को सही समय पर मैनेज नहीं कर पाई। इसका नतीजा यह हुआ कि नवंबर के आखिर और दिसंबर के पहले हफ्ते में इंडिगो की करीब 5,000 फ्लाइट्स कैंसिल हुईं या देरी से उड़ीं। डीजीसीए की कार्रवाई: विंटर शेड्यूल में 10% की कटौती हजारों यात्रियों के फंसने और भारी हंगामे के बाद डीजीसीए ने सख्त रुख अपनाया। रेगुलेटर ने इंडिगो को अपने विंटर शेड्यूल में 10% की कटौती करने का निर्देश दिया है ताकि ऑपरेशन्स को फिर से पटरी पर लाया जा सके। इसके अलावा, एक जांच कमेटी ने भी अपनी गोपनीय रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है, जिसमें इंडिगो की प्लानिंग में कमियों और मैनेजमेंट की लापरवाही का जिक्र होने की संभावना है। हवाई यात्रियों की संख्या में 7% का इजाफा हुआ भले ही एयरलाइंस चुनौतियों का सामना कर रही हों, लेकिन देश में हवाई सफर करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। नवंबर में कुल 1.53 करोड़ यात्रियों ने घरेलू उड़ानों में सफर किया, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 7% ज्यादा है। जनवरी से नवंबर 2025 के बीच कुल 1,526 लाख लोगों ने उड़ान भरी, जो सालाना आधार पर 4.26% की ग्रोथ दिखाता है। शिकायतों में फ्लाइट और रिफंड की समस्या सबसे ऊपर नवंबर महीने में एयरलाइंस को लेकर यात्रियों की शिकायतों में भी बढ़ोतरी हुई है। कुल 1,196 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 50% से ज्यादा शिकायतें फ्लाइट में देरी या दिक्कतों से जुड़ी थीं। इसके बाद 17.9% शिकायतें बैगेज (सामान) और 12.5% रिफंड से जुड़ी रहीं। इंडिगो का कैंसिलेशन रेट अन्य एयरलाइंस के मुकाबले इस दौरान ज्यादा रहा है।
टॉप-10 कंपनियों में 7 की वैल्यू ₹35,439 करोड़ घटी:SBI टॉप लूजर रही, इसकी वैल्यू ₹12,692 करोड़ कम हुई; रिलायंस का मार्केट कैप भी घटा
मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 7 की वैल्यू बीते हफ्ते के कारोबार में 35,439 करोड़ रुपए घट गई। इस दौरान देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI की वैल्यू सबसे ज्यादा घटी है। SBI का मार्केट कैप 12,692 करोड़ रुपए घटकर ₹8.92 लाख करोड़ पर आ गया। वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज की वैल्यू ₹8,254 करोड़ घटकर ₹21.09 लाख करोड़ पर आ गई। वहीं बजाज फाइनेंस की मार्केट वैल्यू ₹5,102 करोड़ घटकर ₹6.22 लाख करोड़ पर आ गई। इसके अलावा लार्सन एंड टुब्रो, ICICI बैंक, LIC और TCS की वैल्यू भी घटी है। HDFC बैंक का मार्केट कैप बढ़ा वहीं HDFC बैंक का मार्केट कैप 10,126 करोड़ रुपए बढ़कर ₹15.26 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। इंफोसिस की वैल्यू 6,626 करोड़ रुपए बढ़कर ₹6.87 लाख करोड़ पर आ गई है। भारती एयरटेल की मार्केट वैल्यू भी 5,359 करोड़ रुपए बढ़ी है, यह 12.00 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है। इसे एक उदाहरण से समझें... मान लीजिए... कंपनी 'A' के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी। कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं... मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है? कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है। निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं। उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।
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