रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन को लेकर एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। यह खुलासा अमेरिका की तरफ से किया गया है। अमेरिका ने पुतिन का एक सीक्रेट लेटर जारी कर दिया है। यह लेटर भारत के लिए बहुत खास है। स लेटर में लिखी बात को अगर मान लिया जाता तो आज भारत की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल चुकी होती। लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों ने अपने फायदे के लिए पुतिन की बात को नजरअंदाज कर दिया। दरअसल अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव ने सूचना के अधिकार कानून के तहत पुतिन का एक लेटर जारी किया है।
पुतिन ने यह लेटर 24 साल पहले उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को लिखा था। इस लेटर में पुतिन ने पाकिस्तान को दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बताया था। पुतिन ने पश्चिमी देशों से कहा था कि हमें पाकिस्तान को रोकने के लिए कुछ करना होगा। इस लेटर में पुतिन ने जॉर्ज बुश को लिखा कि पाकिस्तान असल में एक सैन्य शासन यानी जुटा है। पाकिस्तान लोकतांत्रिक देश नहीं है। लेकिन इसके बावजूद इस देश के पास परमाणु हथियार है। यह दुनिया के लिए खतरे की बात है। पुतिन की इस चेतावनी के बावजूद पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान को पालना जारी रखा। पुतिन नहीं चाहते थे कि पाकिस्तान जैसे देश के पास न्यूक्लियर हथियार हो। वो इस मुद्दे पर पश्चिमी देशों के साथ खुली चर्चा करने के लिए भी तैयार थी।
अब्दुल कादिर खान ने ना केवल सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स चोरी करके पाकिस्तान के परमाणु हथियार बनाए बल्कि इसी के साथ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया जैसे देशों को भी बेच दी। पुतिन ने इसी एक्यू खान नेटवर्क को दुनिया के लिए खतरा बताया था।दस्तावेजों में सबसे अहम रूप से दोनों ही देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंता जताते हैं। पुतिन कहते हैं कि अभी तक यह साफ नहीं है कि ईरान के पास प्रयोगशालाओं में क्या है और वह कहां है लेकिन उनका पाकिस्तान के साथ सहयोग मौजूद है। इस पर बुश कहते हैं, मैंने इस बारे में मुशर्रफ से बात की है। मैंने उनसे कहा कि हमें ईरान और उत्तर कोरिया को ट्रांसफर को लेकर चिंता है।
उन्होंने ए क्यू खान और उसके कुछ साथियों को जेल में डाला, फिर हाउस अरेस्ट में रखा। हम जानना चाहते हैं कि उन्हें क्या बताया गया है। मैं मुशर्रफ को लगातार याद दिलाता रहता हूं। या तो उन्हें कुछ पता नहीं है या फिर वे पूरी जानकारी नहीं दे रहे हैं। इसका जवाब देते हुए पुतिन कहते हैं, मेरी समझ के मुताबिक सेंट्रीफ्यूज में पाकिस्तानी मूल का यूरेनियम मिला है। इस पर बुश ने कहा कि हां, वही चीज जिसके बारे में ईरान ने आईएईए को नहीं बताया था। यह नियमों का उल्लंघन है।
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ब्रह्मोस मिसाइल का नाम सुनते ही कांप उठता है पाकिस्तान। हिंदुस्तान की यह वो वही मिसाइल है जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के छह एयरबेस को तबाह कर डाला था। पाकिस्तान के छह एयरबेस तबाह करने वाला ब्रह्मोस रीलोडेड। ऑपरेशन सिंदूर में रेंज 300 किमी अब 800 किमी तक मारक क्षमता। सोचिए ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज जब 300 किमी थी तब इसने पाकिस्तान में इतनी तबाही मचाई थी। अब नए वर्जन में इसे 450 किमी से लेकर 800 किमी तक करने पर काम चल रहा है। यानी नई ब्रह्मोस मिसाइल के आने के बाद दिल्ली से ही पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद को निशाना बनाया जा सकेगा।
450 से 800 किमी तक मार करेगी
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के 6 एयरबेस तबाह कर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आई हमारी सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का नया अवतार जल्द दुनिया के सामने होगा। इसकी रेंज, रफ्तार और प्रहार करने की क्षमता तीनों ही विकसित की जा रही हैं। रक्षा सूत्रों के मुताबिक अभी ब्रह्मोस की रेंज 300 किमी है। अब इसके नए वर्जन तैयार हो रहे हैं, जिनकी क्षमता 450 किमी से 800 किमी तक होगी। वायुसेना के लिए इसका हल्का वर्जन भी तैयार करने में अहम प्रगति हो चुकी है। लड़ाकू विमान सुखोई एमकेआई 30 की अंडरबेली में लगाने के लिए ब्रह्मोस का ढाई टन वजनी वर्जन तैयार कर प्रोजेक्ट डिजाइन बोर्ड से आगे बढ़ गया है। इसके ग्राउंड ट्रायल की तैयारी चल रही है।
2016 से चल रही तैयारी, अब 3 रेंज वाले अवतार
ब्रह्मोस दुनिया की सबसे घातक और तेज मिसाइलों में से एक है। यह दागो और भूल जाओ तकनीक पर मैक 3.0 गति से हमला करती है। दुश्मन के राडार इसे नहीं पकड़ पाते। 2016 में ब्रह्मोस एयरोस्पेस मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम का सदस्य बना। इसमें 35 सदस्य देश हैं। तब से ही ब्रह्मोस की रेंज 300 किमी से बढ़ाने का काम शुरू हुआ। विश्व व्यवस्था है कि जो देश इस रिजीम के सदस्य नहीं हैं, उन्हें 300 किमी से अधिक रेंज वाली मिसाइल तकनीक नहीं दी जा सकती है। इसीलिए ब्रह्मोस की रेंज सीमित थी। अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस की रेंज 450, 600 और 800 किमी करने के लिए नए वर्जन का काम चल रहा है। वायुसेना के लिए ब्रह्मोस का वजन घटा रहे हैं। जमीन-समुद्र से हमला करने वाली ब्रह्मोस 3 टन वजनी होती है। वायुसेना के लिए वजन घटाकर ढाई टन लाया जा रहा है।
दागों और भूल जाओ तकनीक
ब्रह्मोस के इस नए वर्जन का पहला परीक्षण 2027 के अंत तक किया जा सकता है। लेकिन इस खबर से ही पाकिस्तान के होश उड़ गए। ब्रह्मोस दुनिया के सबसे तेज और घातक क्रूज मिसाइलों में गिनी जाती है। यह दागों और भूल जाओ तकनीक पर काम करती है और मैक 3 यानी साउंड की स्पीड 332 मीटर प्रति सेकंड से तिगुना रफ्तार से टारगेट पर हमला करती है। यानी एक ब्रह्मो से ही पूरे पाकिस्तान को मटियामेट करने के लिए काफी है।
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