मक्का की मस्जिद अल हरम में उस समय तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई जब एक व्यक्ति ने ग्रैंड मस्जिद की ऊपरी मंजिलों से कूदने का प्रयास किया। जानकारी के अनुसार, सऊदी सुरक्षाकर्मियों की त्वरित कार्रवाई ने एक घातक घटना को टाल दिया। सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में दिख रहा है कि वह व्यक्ति ऊपरी मंजिल की सीमा की ओर बढ़ रहा था, तभी अधिकारियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उसे पकड़ लिया। बचाव कार्य के दौरान एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गया।
अधिकारियों ने एक बयान में कहा कि घायल अधिकारी को उस व्यक्ति को जमीन पर गिरने से रोकने के दौरान फ्रैक्चर हो गए। हरम सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने बताया कि उस व्यक्ति और घायल अधिकारी दोनों को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। गृह मंत्रालय ने दोहराया कि विशेष बल ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कार्रवाई की और सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गईं।
इस घटना के बाद, ग्रैंड मस्जिद के मुख्य इमाम, अब्दुर रहमान अस सुदैस ने कथित तौर पर इस मामले पर बात की और उपासकों से पवित्र परिसर की पवित्रता बनाए रखने, नियमों का पालन करने और आध्यात्मिक साधनाओं में लीन रहने का आग्रह किया। उन्होंने तीर्थयात्रियों को याद दिलाया कि मानव जीवन की रक्षा इस्लामी कानून का एक केंद्रीय सिद्धांत है और कुरान की शिक्षा का हवाला दिया।
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कनाडा में मृत भारतीय छात्र के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम उनके परिवार के संपर्क में हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। हम स्थानीय अधिकारियों से भी संपर्क में हैं ताकि मृत्यु के कारणों का पता लगाया जा सके... हमारा दूतावास परिवार को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। कनाडा के एडमंटन शहर के एक अस्पताल में भारतीय मूल के 44 वर्षीय प्रशांत श्रीकुमार की मौत उस वक्त हो गई, जब वह अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इलाज के इंतजार में घंटों तक दर्द से कराहते रहे।
प्रशांत श्रीकुमार को 22 दिसंबर को काम के दौरान सीने में तेज दर्द महसूस हुआ था।
इसमें बताया गया कि उन्हें दक्षिण-पूर्वी एडमोंटन के ग्रे नन्स अस्पताल ले जाया गया, जहां प्रारंभिक जांच के बाद प्रशांत प्रतीक्षा कक्ष में बैठ गए। बाद में उनके पिता कुमार श्रीकुमार भी जल्द ही वहां पहुंच गए। कुमार ने बताया कि उसने मुझसे कहा, पापा, मैं दर्द सहन नहीं कर पा रहा हूं।’ उसने अस्पताल कर्मियों को भी बताया कि उसे असहनीय दर्द हो रहा है। परिजनों के अनुसार, अस्पताल में प्रशांत का इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) किया गया था, लेकिन उन्हें बताया गया कि रिपोर्ट में कोई भी दिक्कत की बात सामने नहीं आई है और उन्हें इंतजार करने को कहा गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके बेटे को दर्द के लिए टाएलेनॉल दवा दी गई। कुमार ने बताया कि वह इंतज़ार करता रहा, नर्से थोड़े अंतराल पर प्रशांत का रक्तचाप जांचती रहीं। पिता ने बताया कि समय बीतने के साथ प्रशांत का रक्तचाप लगातार बढ़ता जा रहा था। कुमार ने बताया कि आठ घंटे से अधिक समय बीतने के बाद प्रशांत को उपचार के लिए बुलाया गया। बैठने के बाद 10 सेकंड ही बीते होंगे, उसने मुझे देखा, खड़ा हुआ, अपना हाथ सीने पर रखा और गिर पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार नर्सों ने चिकित्सकों को बुलाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, प्रत्यक्ष तौर पर हृदयाघात से उनकी मौत हो गई। प्रशांत के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं जिनकी उम्र तीन, 10 और 14 वर्ष है। कुमार ने कहा वह अपने परिवार, अपने बच्चों के लिए समर्पित था, वह बहुत अच्छा इंसान था। उससे बात करने वाला हर कोई कहता था कि उससे अच्छा इंसान उन्होंने नहीं देखा। पीड़ित परिवार और मित्र अब इस बात का जवाब मांग रहे हैं कि सीने में तेज दर्द वाले मरीज को इतने लंबे समय तक बिना इलाज के कैसे छोड़ा गया? अस्पताल का संचालन करने वाली संस्था कवेनेंट हेल्थ ने ग्लोबल न्यूज को भेजे एक ईमेल में गोपनीयता का हवाला देते हुए विशिष्ट टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि मुख्य चिकित्सा परीक्षक कार्यालय मामले को देख रहा है। संस्था ने कहा, हम मरीज के परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। हमारे लिए मरीजों और कर्मचारियों की सुरक्षा और देखभाल से अहम कुछ भी नहीं है। प्रशांत के परिवार ने कहा कि उन्हें हमेशा इस बात का दुख सताता रहेगा कि उसकी मृत्यु अस्पताल में दर्द से तड़पते हुए हुई और किसी चिकित्सक ने उसे देखा तक नहीं। कुमार ने कहा उन्होंने बेवजह मुझ से मेरा बेटा छीन लिया।
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