डिजिटल अरेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट बोला- पीड़ितों को मुआवजा मिले:केंद्र से कहा–सभी एजेंसियों के साथ बैठक करें, बुजुर्ग दंपति की शिकायत पर सुनवाई की
सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट जैसे ऑनलाइन ठगी के मामलों में पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के लिए केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने को कहा है। हरियाणा के बुजुर्ग दंपति की शिकायत पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चिंता जताई कि साइबर अपराधी इस तरीके से देश से बेहद बड़ी रकम बाहर भेज रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह देखकर हैरानी होती है कि इन ठगों ने देश से कितना पैसा बाहर भेज दिया है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बताया कि केंद्र सरकार एक इंटर–मिनिस्ट्रीयल (कई मंत्रालयों की संयुक्त) बैठक बुलाने जा रही है, जिसमें डिजिटल अरेस्ट से निपटने की रणनीति पर चर्चा होगी। इस मामले में कोर्ट की मदद के लिए नियुक्त सलाहकार वकील एन एस नप्पिनै ने सुझाव दिया कि पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना बने। बिल्कुल वैसे ही जैसे ब्रिटेन में ऑथोराइज्ड पुश पेमेंट (APP) स्कैम के मामलों में बैंकिंग सिस्टम के जरिए पीड़ितों को अनिवार्य रिफंड दिलाया जाता है। हरियाणा के बुजुर्ग दंपति की शिकायत पर स्वतः संज्ञान लिया हरियाणा के एक बुजुर्ग दंपति ने शिकायत की थी कि कुछ लोगों ने खुद को पुलिस और कोर्ट से जुड़ा दिखाकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया। ठगों ने उनका सारा पैसा ट्रांसफर करा लिया। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि ऐसे अपराध सिर्फ आम साइबर फ्रॉड नहीं हैं, बल्कि न्यायपालिका के नाम, मुहर और फर्जी आदेशों का दुरुपयोग करके पूरे सिस्टम पर जनता के भरोसे पर सीधा हमला करते हैं। इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट लगातार यह साफ कर रहा है कि डिजिटल अरेस्ट, फर्जी कोर्ट ऑर्डर और जजों के नाम का दुरुपयोग करने वाले गैंग के खिलाफ देश–व्यापी स्तर पर कड़ी कार्रवाई हो। डिजिटल अरेस्ट क्या है और कैसे होता है फ्रॉड डिजिटल अरेस्ट एक तरह की ऑनलाइन ठगी है, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी, कोर्ट के स्टाफ या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल, ऑडियो कॉल या ऑनलाइन मीटिंग पर लोगों को डराते हैं। ठग नकली नोटिस, फर्जी वॉरंट या बनावटी केस दिखाकर पीड़ित को डिजिटल तरीके से हिरासत में रखते हैं। घंटों तक कॉल पर या कमरे में बंद करके धमकाते हैं और दबाव डालकर उनके बैंक अकाउंट से पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं। अधिकतर मामलों में ठग कहते हैं कि पीड़ित का नाम किसी ड्रग्स केस, मनी लॉन्ड्रिंग या अश्लील वीडियो वाले मामले में फंसा है और तुरंत पैसे न दिए तो गिरफ्तारी, मीडिया में बदनामी या परिवार को परेशान करने की धमकी दी जाएगी। बुजुर्ग, अकेले रहने वाले लोग और टेक्नोलॉजी से ज्यादा वाकिफ न होने वाले लोग ऐसे गैंग के आसान निशाने बन जाते हैं। कोर्ट के निर्देश: CBI, RBI, बैंक और राज्यों की क्या जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट पहले ही CBI को देशभर में डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों की एक संयुक्त जांच करने का आदेश दे चुका है। अदालत ने रिजर्व बैंक से पूछा था कि जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग मौजूद है, तो फिर इनका इस्तेमाल संदिग्ध या ‘म्यूल अकाउंट’ पहचानने और तुरंत फ्रीज करने के लिए क्यों नहीं किया जा रहा। कोर्ट ने अलग–अलग राज्यों, खासकर विपक्ष शासित राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना से कहा था कि वे CBI को अपने यहां ऐसे मामलों की जांच के लिए मंजूरी दें, ताकि एक समान और समन्वित जांच हो सके। साथ ही, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया कि वे साइबर क्राइम से निपटने के लिए क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर बनाएं, जो CBI और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेंगे। बैंकों, टेलिकॉम कंपनियों और IT प्लेटफॉर्म पर सख्ती कोर्ट ने कहा कि IT इंटरमीडियरी यानी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, मैसेजिंग ऐप और अन्य ऑनलाइन सर्विस देने वाली कंपनियां CBI को पूरी जानकारी और तकनीकी मदद दें। इसकी मदद से ऐसे गैंग पकड़े जा सकें जो इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर के लोगों को फंसा रहे हैं। अदालत ने CBI को यह भी कहा है कि वह इंटरपोल की मदद ले, क्योंकि कई गैंग विदेशी लोकेशन या टैक्स हेवेन देशों से काम करते हैं और भारत के लोगों के अकाउंट से पैसे निकालते हैं। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम को निर्देश दिया गया कि टेलिकॉम कंपनियां किसी एक व्यक्ति या संस्था को मनमाने तरीके से कई सिम कार्ड न दें, क्योंकि यही सिम बाद में फर्जी कॉल और OTP फ्रॉड के लिए इस्तेमाल होते हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर किसी बैंक अधिकारी की मिलीभगत मिले, जो ठगों को म्यूल अकाउंट खोलने या चलाने में मदद कर रहे हों, तो उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। ------------------- ये खबर भी पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट में SIR के खिलाफ याचिका पर सुनवाई:अदालत ने EC से जवाब मांगा था; आज 5 राज्यों-UT के ड्राफ्ट रोल जारी होंगे सुप्रीम कोर्ट में आज स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इस मामले में अदालत ने चुनाव आयोग (ECI) से जवाब भी मांगा है और बड़ी टिप्पणियां की थीं। वहीं 11 दिसंबर को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि चुनाव आयोग को इतनी गहराई से जांच करने का अधिकार नहीं है। एक अन्य वकील ने कहा कि EC वोटरों को शक की नजर से देखकर पुलिस की तरह जांच नहीं कर सकता है। पूरी खबर पढ़ें...
भास्कर अपडेट्स:केरल में निकाय चुनाव हारने के बाद UDF प्रत्याशी ने आत्महत्या की
केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के अरुविक्कारा में हाल ही में संपन्न स्थानीय निकाय चुनाव में हारने के बाद यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के प्रत्याशी विजयकुमारन नायर ने आत्महत्या कर ली। मणंबूर वार्ड से चुनाव लड़ने वाले नायर को सिर्फ 149 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की। पुलिस के अनुसार, शनिवार दोपहर चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद उन्होंने फंदा लगाकर जान दे दी। तिरुवनंतपुरम नगर निगम में एनडीए ने पहली बार जीत हासिल की है, जो एलडीएफ के 40 साल पुराने राज का अंत है। 101 वार्डों में एनडीए को 50, एलडीएफ को 29 और UDF को 19 सीटें मिलीं। ग्राम पंचायत स्तर पर UDF ने 505 में बढ़त बनाई। आज की अन्य बड़ी खबरें... असम में 2.95 करोड़ की ड्रग्स जब्त, 5 तस्कर गिरफ्तार असम पुलिस ने कचार और कार्बी आंगलोंग जिलों में पुलिस ने कुल 2.95 करोड़ रुपए की ड्रग्स जब्त की हैं और 5 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी। मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि कार्बी आंगलोंग जिले में पुलिस ने 8.225 किलो अफीम जब्त की जिसकी कीमत करीब 55 लाख रुपये है और एक तस्कर को गिरफ्तार किया गया है। वहीं कचार जिले में दो अलग-अलग ऑपरेशन में 388 ग्राम हेरोइन और 58 हजार बर्मी सिगरेट जब्त की गई हैं जिनकी कीमत करीब 2.4 करोड़ रुपये है। इस दौरान चार तस्करों को पकड़ा गया।
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