मैं मरने जा रहा हूं...ऑस्ट्रेलिया में पहलगाम जैसा हमला, कौन है वो जिसने आतंकियों से छीन ली बंदूक
ऑस्ट्रेलिया में त्यौहार मनाने आए निहत्त्थे लोगों पर गोलियां दागी गई। सफेद शर्ट में अहमद अल अहमद है। खुद की परवाह नहीं की। हमलावर से बंदूक छीनी और उससे भिड़ गए। इस झड़प में उन्हें खुद भी दो गोलियां लगी हैं। अहमद हॉस्पिटल में भर्ती हैं। इलाज चल रहा है। उनके कजिन मुस्तफा ने बताया कि उसे दो गोलियां लगी हैं। वह हॉस्पिटल में है। डॉक्टर का कहना है कि खतरे से बाहर है। उसका ऑपरेशन होगा। हमने सोशल मीडिया पर उसकी बहादुरी का वीडियो देखा। वो हीरो है। 100% हीरो है। जिस बहादुरी से अहमद ने हमलावर से बंदूक छीनी उन्हें सलाम है।
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आम नागरिक ने हमलावर को पकड़ा
गोलीबारी के दौरान एक आम नागरिक ने हथियारबंद हमलावर को दबोचा लिया। घटना का विडियो सामने आया है, जिसमें व्यक्ति अपनी जान जोखिम में डालकर हमलावर से राइफल छीनता नजर आता है। उसकी इस बहादुरी से कई लोगों की जान बच गई। वीडियों के मुताबिक, हमलावर राइफल से फायरिंग कर रहा था। इसी दौरान एक व्यक्ति खड़ी मृतियों के पीछे झुककर आने वाले हमलावर के करीब पहुंचता है और अचानक उस पर झपट्टा मारकर राइफल छीन लेता है। इसके बाद हमलावर को जमीन पर गिराकर काबू में कर लिया। शख्स की पहचान अहमद अल अहमद के रूप में हुई है। दो बच्चों के पिता अहमद को उनकी बहादुरी के लिए हीरो बताया जा रहा है। उन्होने एक बंदूकधारी पर अचानक झपट्टा मारा और उसके हाथ से राइफल छीन ली। इसी दौरान पास के एक पुल पर मौजूद दूसरे हमलावर ने अहमद पर गोली चला दी। अहमद को दो गोलियां लगी।
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ऑस्ट्रेलिया को सामूहिक
28 अप्रैल 1996: पोर्ट आर्थर (तस्मानिया) में 35 की हत्या, इसके बाद सख्त हथियार कानून लागू।
8 सितंबर 2014: न्यू साउथ वेल्स में किसान ने पत्नी और तीन बच्ची की हत्या, फिर आत्महत्या।
16 दिसंबर 2014: सिडनी लिइ कैफे बंधक सकट में 3 की मौत।
11 मई 2018: वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में किसान ने 6 परिजनों की हत्या की।
15 मार्च 2019: ऑस्ट्रेलियाई हमलावर ने न्यूजीलैंड के काइस्टचर्च में 5 लोगो की हत्या की।
4 जून 2019: डार्विन में 4 की हत्या, एक घायल।
12 दिसंबर 2022: क्चीसलैंड में गोलीबारी, 2 पुलिसकर्मी समेत 6 की मौत।
हमले पर भारत ने क्या कहा
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा कि भयानक आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता हूं। भारत के लोगों की तरफ से मैं उन परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। हम इस दुख की घड़ी में ऑस्ट्रेलिया के लोगों के साथ खड़े हैं। भारत आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस रखता है और आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ लड़ाई का समर्थन करता है।
इजरायल ने अल्बनीज को जिम्मेदार ठहराया
इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन इतन्या ने इस घटना पर ऑस्ट्रेलियाियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज की निंदा की। उन्होंने अल्बनीज पर लापरवाही का आरोप लगाया। बेंजामिन का कहना है कि तमाम चेतावनियों के बाद भी अल्बनीज ने कोई एक्शन नहीं लिया और यह अटैक हो गया। आरोप है कि ऑस्ट्रेलिया में यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा दिया गया और फिलिस्तीन का समर्थन किया गया। इसी वजह से सरकार यहूदियों को बचा नहीं पाई। यह सारे बेंजामिन के आरोप हैं।
हांगकांग की सबसे बड़ी लोकतंत्र समर्थक पार्टी ने खुद को किया भंग, तीन दशकों से अधिक समय तक सक्रिय रहने के बाद क्यों उठाया ये कदम
हॉन्गकॉन्ग की सबसे बड़ी लोकतंत्र समर्थक पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी ने तीन दशकों से अधिक समय तक सक्रिय रहने के बाद खुद को भंग करने का फैसला किया है। पार्टी सदस्यों की बैठक में करीब 97 प्रतिशत मत पार्टी को समाप्त करने के पक्ष में पड़े। पार्टी अध्यक्ष लो किन हेई ने कहा कि बदलते राजनीतिक माहौल और लगातार बढ़ते दबावों को देखते हुए यह कठिन निर्णय लिया गया। 1994 में स्थापित डेमोक्रेटिक पार्टी लंबे समय तक हॉन्गकॉन्ग में सार्वभौमिक मताधिकार और लोकतांत्रिक सुधारों की प्रमुख आवाज रही।
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चीन के कानून से पार्टी पस्तः डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेता विधान परिषद और जिला परिषदों में चुने गए और आम नागरिकों के मुद्दों को मजबूती से उठाया। 2020 में चीन द्वारा लागू राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के बाद पार्टी की गतिविधियां लगातार सीमित होती चली गई। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू होने के बाद बढ़ा राजनीतिक दवाव, वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी और चुनावी सुधारों से लोकतंत्र समर्थक दलों के बाहर होने के कारण डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए सक्रिय राजनीति जारी रखना लगभग असंभव हो गया, जिसके चलते भंग करने का फैसला लिया गया।
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1994 में स्थापित डेमोक्रेटिक पार्टी एक उदारवादी विपक्षी दल थी जिसने दशकों तक शहर के नेता के चुनाव में सार्वभौमिक मताधिकार के लिए जोर दिया। पार्टी के प्रमुख सदस्यों में मार्टिन ली, जिन्हें शहर का "लोकतंत्र का जनक" कहा जाता है, श्री हो, जो तियानमेन घटना के दौरान विरोध प्रदर्शनों का आयोजन करने वाले समूह के पूर्व नेता थे, और पत्रकार से कार्यकर्ता बनीं एमिली लाउ शामिल हैं। एक समय में इस पार्टी के पास कई विधायी सीटें थीं और इसने दर्जनों सीधे निर्वाचित जिला पार्षदों का समूह बनाया था जिन्होंने निवासियों को उनके घरेलू और नगरपालिका मामलों में सहायता प्रदान की। इसके कुछ पूर्व सदस्य वरिष्ठ अधिकारियों के रूप में सरकार में शामिल हुए। बीजिंग के साथ बातचीत करने की इसकी तत्परता के कारण इसका प्रस्ताव 2010 के राजनीतिक सुधार पैकेज में शामिल किया गया - इस कदम की कुछ सदस्यों और अन्य लोकतंत्र समर्थकों ने कड़ी आलोचना की, जो व्यापक बदलाव चाहते थे।
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