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आदिवासी सुसाइड केस...पूर्व गृहमंत्री की भूमिका की जांच होगी:सुप्रीम कोर्ट के 48 घंटे में SIT बनाने के आदेश; पत्नी ने लगाए थे प्रताड़ना के आरोप

सागर के बहुचर्चित निलेश आदिवासी सुसाइड मामले में पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह की भूमिका की जांच होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कैलाश मकवाना को तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि मामले की परिस्थितियां 'निष्पक्ष और स्वतंत्र' जांच की मांग करती हैं और स्थानीय पुलिस से ऐसी जांच की अपेक्षा नहीं की जा सकती। कोर्ट ने गुरुवार को निर्देश देते हुए कहा कि दो दिन के भीतर SIT गठित हो। यह FIR 329/2025 और अन्य संबंधित रिकॉर्ड अपने कब्जे में ले। जांच तुरंत शुरू हो और एक माह में पूरी की जाए। निलेश की पत्नी रेवाबाई सहित किसी भी गवाह को प्रभावित न होने दिया जाए। कोर्ट ने विटनेस प्रोटेक्शन लागू करने पर जोर दिया है। साथ ही निलेश के भाई नीरज आदिवासी या परिवार पर किसी भी प्रकार की दमनात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई गई है। SIT में इन्हें शामिल करने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि SIT का प्रमुख एमपी कैडर के बाहर से आए सीधी भर्ती वाले सीनियर सुपरिटेंडेंट रैंक का IPS अधिकारी होगा। टीम का दूसरा सदस्य युवा IPS अधिकारी हो, जिसकी जड़ें मध्य प्रदेश में न हों। तीसरा सदस्य डिप्टी सुपरिटेंडेट से ऊपरी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी होनी चाहिए। पत्नी ने लगाए पूर्व गृहमंत्री पर प्रताड़ना के आरोप दरअसल, सागर जिले के मालथौन कस्बे में 25 जुलाई को 42 वर्षीय निलेश आदिवासी ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। निलेश की पत्नी रेवाबाई आदिवासी ने आरोप लगाया है कि उनके पति को राज्य के एक पूर्व गृहमंत्री और उनके सहयोगियों द्वारा प्रताड़ित किया गया, जिसके चलते उसने आत्महत्या की। रेवाबाई ने स्थानीय थाने में 27 जुलाई और 3 अगस्त 2025 को शिकायतें दर्ज कराई थीं, पर कार्रवाई न होने पर पहले हाईकोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। वहीं, निलेश के भाई नीरज आदिवासी ने पुलिस को दिए बयान में आरोपों की अलग कहानी पेश की और स्थानीय बीजेपी नेता गोविंद सिंह राजपूत समेत कुछ अन्य लोगों को जिम्मेदार ठहराया था। मामले में पुलिस ने गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ केस दर्ज किया तो उन्होंने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई। जहां उनकी और रेवाबाई की याचिका पर एक साथ सुनवाई चल रही है। गिरफ्तारी पर अंतरिम राहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बयानों और परिस्थितियों को देखते हुए फिलहाल याचिकाकर्ता गोविंद सिंह राजपूत की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। यदि SIT को कोई गंभीर आपत्तिजनक सामग्री मिले तो वह सुप्रीम कोर्ट से कस्टोडियल इंट्रोगेशन की अनुमति मांग सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से भी कहा है कि वह रेवाबाई द्वारा दायर रिट पिटीशन (No. 31491/2025) को इस आदेश को ध्यान में रखते हुए जल्द निपटाए। पहले थाने, फिर एसपी से की थी शिकायत सुप्रीम कोर्ट में रेवा बाई के वकील विवेक रंजन पांडे ने बताया- गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि स्थानीय विधायक और पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के समर्थकों ने दुर्भावनावश निलेश आदिवासी को शराब पिलाकर उनके खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत झूठी FIR दर्ज करवाई। खितौला थाने के उपनिरीक्षक अशोक यादव जानते थे कि निलेश नशे में है, फिर भी दबाव में आकर FIR दर्ज कर ली। घटना के 14 दिन बाद निलेश को पता चला कि उसके नाम से गोविंद सिंह पर FIR दर्ज है। उसने शपथ पत्र देकर एसपी से FIR निरस्त करने का अनुरोध किया। कोर्ट में बयान हुए और मामला खत्म होने की ओर था। इसी दौरान 25 सितंबर को निलेश ने आत्महत्या कर ली। 27 सितंबर को रेवा बाई थाने पहुंची। कहा कि गोविंद सिंह निर्दोष हैं। उसके पति निलेश ने दबाव और धमकियों के कारण आत्महत्या की। लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। 3 अक्टूबर को एसपी को आवेदन दिया गया, फिर भी FIR नहीं हुई। निलेश के भाई ने दिया विरोधाभासी बयान पांडे ने बताया- सुनवाई नहीं होने पर रेवाबाई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने पूछा कि एक आदिवासी महिला की शिकायत पर FIR क्यों दर्ज नहीं की गई? इसके बाद पुलिस ने पूर्व गृहमंत्री के समर्थकों और निलेश के सौतेले भाई के बयान लिए। सौतेले भाई ने गोविंद के खिलाफ बयान दिए, जिसके बाद पुलिस ने पूर्व मंत्री के समर्थकों और गोविंद सिंह दोनों पर FIR दर्ज कर दी। इसके चलते एक ही FIR में दो अलग-अलग तथ्य बन गए। गोविंद सिंह ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि उनके खिलाफ प्रथमदृष्टया अपराध बनता है। इसके बाद रेवा बाई सुप्रीम कोर्ट पहुंची और कहा कि हाईकोर्ट का आदेश गलत है। इसी मामले में गोविंद सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... राजनीतिक रंजिश में इस्तेमाल आदिवासी ने दबाव में लगाई फांसी सागर जिले के मालथौन कस्बे में 25 जुलाई को 42 वर्षीय नीलेश आदिवासी ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिवार का कहना है कि बीते कुछ समय से नीलेश को कस्बे के ही कुछ लोग परेशान कर रहे थे। परिवार का आरोप है कि पुलिस सही कार्रवाई नहीं कर रही है। मामले में राजनीतिक फायदे के लिए नीलेश के इस्तेमाल की बात भी कही जा रही है। पढ़ें पूरी खबर

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