पाकिस्तान ब्रिटेन में दोषी ठहराए गए ग्रूमिंग गैंग के पाक मूल अपराधियों को अपने देश वापस लेने पर विचार कर सकता है, लेकिन इसके साथ ही उसने दो राजनीतिक आलोचकों के प्रत्यर्पण की मांग भी आगे रखी है. बता दें कि जिन दो नामों का उल्लेख किया गया है, वे शाहज़ाद अकबर और अदिल राजा हैं जो इमरान खान के दौर के बाद से लंदन में निर्वासन में रह रहे हैं और पाक सत्ता ढांचे तथा सेना नेतृत्व पर लगातार आलोचना कर रहे हैं।
मौजूद जानकारी के अनुसार यह प्रस्ताव उस समय सामने आया जब इस्लामाबाद में पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नक़वी और ब्रिटेन की हाई कमिश्नर जेन मैरियट के बीच बैठक हुई। हालांकि आधिकारिक बयान में केवल सुरक्षा सहयोग, फेक न्यूज रोकथाम और अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तानियों की वापसी पर चर्चा की पुष्टि की गई है, लेकिन ग्रूमिंग ऑफेंडर के उल्लेख को सार्वजनिक दस्तावेज़ में शामिल नहीं किया गया हैं।
गौरतलब है कि ग्रूमिंग गैंग मामले ने ब्रिटेन में वर्षों से सामाजिक और राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। पाक मूल अपराधियों को नागरिकता छिनने के बाद वापस लेने से पाकिस्तान ने पहले कई बार इनकार किया था। इसी पृष्ठभूमि में अब यह कथित क्विड- प्रो- को प्रस्ताव सामने आया है जिसमें पाकिस्तान अपने आलोचकों के प्रत्यर्पण के बदले अपराधियों को स्वीकारने का संकेत दे रहा है।
मानवाधिकार समूहों ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई है. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार फाउंडेशन का कहना है कि राजकीय असहमति को दबाने के लिए बच्चों के दुराचार मामलों को कूटनीतिक हथियार बनाना अनुचित और चिंताजनक है। अदिल राजा को पहले ही अनुपस्थिति में कोर्ट मार्शल कर 14 वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है। फाउंडेशन का कहना है कि इस संदर्भ में ब्रिटेन को कानूनी और नैतिक जोखिमों का मूल्यांकन अवश्य करना चाहिए।
इधर कई टिप्पणीकारों ने यह भी कहा है कि पाकिस्तानी सत्ता संरचना ग्रूमिंग मामलों को लीवरेज की तरह इस्तेमाल कर रही है। वहीं यूके समाज में ग्रूमिंग पीड़ितों के भरोसे को लेकर भी चिंता बढ़ी है, क्योंकि कई सर्वाइवर समूह पहले ही न्यायिक प्रक्रिया में ढिलाई और राजनीतिक प्रयोजन का आरोप लगा चुके हैं। वर्तमान स्थिति में दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक प्रत्यर्पण संधि नहीं है, और मामला संवेदनशील कानूनी ढांचे के बीच आगे बढ़ रहा है जिसे लेकर कई आशंकाएँ कायम हैं।
अभी तक किसी भी देश की ओर से इस प्रस्ताव की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन रिपोर्टों ने कूटनीतिक हलकों में नई बहस और विवाद पैदा कर दिया है। ब्रिटेन में राष्ट्रीय स्तर की जांच अभी भी रूकी हुई है और पाकिस्तान के इस कथित रुख से इसे और जटिल बनाने की आशंका व्यक्त की जा रही हैं।
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए पेश किए गए। ताज़ा प्रस्ताव पर रूस ने सहमति जताई है, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की अभी उसे पढ़कर निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं। बता दें कि ट्रंप ने यह टिप्पणी वाशिंगटन में आयोजित कैनेडी सेंटर ऑनर्स के रेड कार्पेट पर बातचीत के दौरान दी।
मौजूद जानकारी के अनुसार मियामी में तीन दिन चली वार्ताओं में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ, जारेड कुश्नर और यूक्रेन के उच्च अधिकारियों ने भाग लिया। गौरतलब है कि इस दौरान क्षेत्रीय सीमाओं और भविष्य की सुरक्षा गारंटी को लेकर गंभीर मतभेद बने रहे। यूक्रेन का रुख अब भी साफ है कि किसी भी शांति समझौते के बदले उसे क्षेत्र छोड़ने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता और विश्वसनीय सुरक्षा आश्वासन उसके लिए अनिवार्य हैं।
वार्ता के बाद यूक्रेन की राजदूत ओल्गा स्तेफानिश्यना ने कहा कि बातचीत आगे बढ़ी है, पर कई जटिल मुद्दों पर समाधान अभी दूर है. उन्होंने कहा कि इलाके को लेकर दावे और सुरक्षा ढांचे के प्रारूप अभी भी मुख्य चुनौती बने हुए हैं. इसी दौरान क्रेमलिन ने ट्रंप की नई अमेरिकी सुरक्षा नीति पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि इसमें रूस को खतरे के रूप में नहीं देखा गया है, जो भविष्य के संवाद के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
इधर ज़ेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर बताया कि उन्होंने विटकॉफ और कुश्नर से लंबी और रचनात्मक चर्चा की है तथा शांति के विकल्पों पर आगे कदम तय किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि रूस द्वारा पिछले समझौतों को निभाने में असफलता को देखते हुए किसी भी शांतिपूर्ण समाधान को अंतिम रूप देने में सावधानी ज़रूरी है।
ज़ेलेंस्की सोमवार को फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के नेताओं से लंदन में मुलाकात करेंगे, जहां अमेरिकी मध्यस्थता के तहत चल रही शांति वार्ता की दिशा और सुरक्षा मॉडल पर आगे की चर्चा होगी। वर्तमान हालात में सभी पक्ष समाधान के लिए इच्छुक दिख रहे हैं, पर शर्तों और गारंटी के स्वरूप पर सहमति तक पहुँचना अब भी चुनौती बना हुआ है, जिसे वार्ता के अगले दौर में स्पष्ट करने की कोशिश जारी है।
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