n हरियाणा में कांग्रेस जिलाध्यक्ष पैनल में हुड्डा गुट का दबदबा:सैलजा-सुरजेवाला को झटका तय; पार्टी विपक्ष में तो टिकट मांगने जैसी मारामारी नहीं n
n हरियाणा में कांग्रेस 11 साल बाद संगठन खड़ा करने की कोशिश में जुटी है। राहुल गांधी खुद मामला देख रहे हैं। उन्होंने 4 जून को चंडीगढ़ में बैठक कर 30 जून तक जिलाध्यक्षों के नाम तय करने का टास्क दिया था। हालांकि अभी नाम फाइनल नहीं हुए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के पर्यवेक्षक सभी 22 जिलों के 90 हलकों में जाकर आवेदन व फीडबैक ले चुके हैं। राहुल के निर्देशों पर सभी जिलाध्यक्षों के लिए 6-6 नामों पैनल के बने हैं। 22 जिलों में कुल 34 जिलाध्यक्ष बनने हैं। पहली बार है जब कांग्रेस पैनल में रखे गए नाम भी गोपनीय रख रही है। चूंकि राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं है, इसलिए नेताओं में जिलाध्यक्ष बनने की मारामारी नहीं दिख रही। दावेदार विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट मांगने वालों से भी आधे हैं। इनमें विधायक और पूर्व विधायक भी शामिल हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पैनल में जो नाम आए हैं, उनमें से आधे से अधिक नाम पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के समर्थकों के हैं। रोहतक, झज्जर, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, पानीपत, करनाल, भिवानी, सोनीपत में हुड्डा गुट से जुड़े नामों की संख्या ज्यादा है। सिरसा सांसद कुमारी सैलजा समर्थकों के नाम सिरसा, फतेहाबाद, अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर के पैनलों में हैं। अगर SC-BC वर्ग पर फोकस हुआ तो सैलजा गुट को फायदा मिल सकता है। राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला समर्थकों के नामों की संख्या 6 से 10 के बीच ही है। ये नाम कैथल, जींद व कुरुक्षेत्र जिलों से हैं। पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव समर्थकों के नाम भी 8 से 10 के बीच ही हैं। टिकट की दौड़ में 2738 थे, जिलाध्यक्ष की रेस में आधे से भी कमnविधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस के पक्ष में हवा दिख रही थी, तब 90 हलकों में टिकट पाने के लिए कुल 2,738 नेताओं ने आवेदन किया था। अब जिलाध्यक्ष के लिए करीब 1100 ही आवेदन आए हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि जब पार्टी सत्ता में होती है तो उसका पदाधिकारी बनने के लिए भी होड़ रहती है। अब तो पार्टी विपक्ष में है, ऐसे में पद पाने के बाद जेब से ही खर्चा करना पड़ता है। इस वजह से दिलचस्पी कम दिख रही है। कांग्रेस की कमान संभालने में महिलाओं ने कम दिखाई दिलचस्पीnकांग्रेस का जिलाध्यक्ष बनने के लिए महिलाओं के आवेदन भी कम रहे और सभी पैनल में भी कुल 10 से 12 नाम ही हैं। नूंह जिलाध्यक्ष बनने के लिए रजिया बानो का नाम भी पैनल में है। अभी वह महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष हैं। झज्जर से सुमन लोहचब का नाम पैनल में है। पलवल से सविता चौधरी, करनाल से गुरविंद्र कौर, चरखी दादरी से मनीषा सांगवान व फतेहाबाद से कृष्णा पूनिया का नाम पैनल में है। कृष्णा पूनिया कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव डॉ. विनीत पूनिया की मां हैं। राहुल गांधी ने सोनीपत में जिन रेखा मलिक के खेतों में धान रोपी थी, उनका नाम भी पैनल में है। विधायक, पूर्व विधायक भी जिलाध्यक्ष भी कतार मेंnनारनौंद विधायक जस्सी पेटवाड़ व उकलाना विधायक नरेश सेलवाल ने हिसार, सफीदों के पूर्व विधायक सुभाष गांगोली ने जींद, पूर्व सीपीएस रामकिशन फौजी ने भिवानी, पूर्व मंत्री बिजेंद्र बिल्लू कादयान ने पानीपत, पूर्व विधायक अमित सिहाग ने सिरसा, पदम दहिया ने सोनीपत जिलाध्यक्ष के लिए आवेदन किया है। इनके अलावा कई नाम ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले साल विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। राहुल ने कहा-सिफारिश नहीं चलेगी, किसी नेता का भाई तो किसी का बेटा लाइन मेंnराहुल ने कहा था जिलाध्यक्ष बनने में सिफारिश नहीं चलेगी। हालांकि जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में कई विधायकों व पूर्व विधायकों के रिश्तेदार शामिल हैं। इनमें खुद प्रदेशाध्यक्ष उदयभान के बेटे देवेश चौधरी पलवल से दौड़ में हैं। यहीं से पृथला विधायक रघुवीर सिंह तेवतिया के बेटे वरुण तेवतिया का नाम भी पैनल में है। नूंह विधायक आफताब अहमद के भाई महताब अहमद व पुन्हाना विधायक मोहम्मद इलियास के भाई अख्तर हुसैन नूंह से कांग्रेस अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं। पूर्व विधायक हरिराम वाल्मीकि के भतीजे डॉ. विजय झज्जर से दौड़ में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्र के बेटे अनिरुद्ध चौधरी भिवानी से जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं। अनिरुद्ध ने तोशाम में श्रुति चौधरी के सामने चुनाव लड़ा था। पूर्व मंत्री हुकम सिंह के बेटे संजीव दहिया ने सोनीपत से आवेदन किया है। फरीदाबाद से विधायक रहे आनंद कौशिक के भाई बलजीत कौशिक दावेदार हैं। 22 जिलों में किन नेताओं के नाम पैनल में, जानिए... संगठन न होने के कारण लगातार चुनाव हार रही कांग्रेसnसाल 2013 के बाद से हरियाणा कांग्रेस का प्रदेश में संगठन नहीं बन पाया है। इस दौरान 2014, 2019 और फिर 2024 में लोकसभा व विधानसभा चुनाव हुए। 2019 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 31 सीट जीतीं, लेकिन लोकसभा में सभी 10 सीट हारकर शून्य हो गई। कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से हरियाणा में 5 सीटें छीनने में कामयाब हो गई। तब लग रहा था कि कांग्रेस के पक्ष में हवा है। करीब छह महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 37 सीटें ही जीत पाई। जबकि 48 सीट जीत भाजपा तीसरी बार सत्ता में आई। सत्ता से दूर रहने की बड़ी वजहों में कांग्रेस का संगठन न होना भी रहा। इसके अलावा आपसी कलह व टिकट वितरण में हुड्डा गुट की ही चलना भी वजहें रहीं। इसके बाद 10 नगर निगम चुनावों में भी कांग्रेस शून्य हो गई। विधानसभा चुनाव में 72 टिकटों में चली थी हुड्डा की मर्जीnविधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में भी हुड्डा गुट का दबदबा नजर आया था। 2024 विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से 72 हलकों में हुड्डा के करीबियों को टिकट मिले थे। इन सीटों पर हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद-नापसंद का पूरा ध्यान रखा था, जबकि सैलजा-रणदीप-बीरेंद्र (एसआरबी) गुट के 13 उम्मीदवारों को टिकट मिले थे। कांग्रेस हाईकमान ने 4 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी पसंद के उम्मीदवार चुनावी रण में उतारे थे। लोकसभा में भी मिला था हुड्डा को फ्रीहैंडnहुड्डा को लोकसभा चुनाव में टिकट आवंटन को लेकर जिस तरह से फ्री-हैंड दिया गया था, उसी तरह विधानसभा चुनाव में दिया गया है। कांग्रेस ने एक रणनीति के तहत नामांकन से कुछ घंटे पहले तक प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की। अगर कांग्रेस की यह लिस्ट टुकड़ों में जाती तो ज्यादा असंतोष पैदा होता। तमाम विरोध, खींचतान और गुटबाजी के बाद भी हुड्डा अपने अधिकतर समर्थकों को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। प्रदेश में कांग्रेस के पांच सांसद जीतने के बाद हाईकमान में हुड्डा का प्रभाव बढ़ गया था, जिस कारण उन्हें विधानसभा चुनाव में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में ज्यादा अड़चन नहीं आई। n
n हरियाणा फ्रूट फेस्टिवल में पहुंचा दुनिया का सबसे महंगा आम:इंडिया में 70 हजार, विदेशों में 3 लाख रुपए किलो रेट; 'सूर्य का अंडा' नाम से फेमस n
n हरियाणा के कुरुक्षेत्र में फ्रूट फेस्टिवल का आगाज हो चुका है। इसमें देशी और विदेशी फलों की करीब 200 से ज्यादा वैरायटीज को शामिल किया गया है। आम की ही करीब 27 से ज्यादा वैरायटीज आई हैं। भारत के मल्लिका, दशहरी, लंगड़ा, तोतापरी, रामकेला, दूध पेड़ा, रटौल के अलावा विदेशी वैराइटी का जो आम सबसे ज्यादा बागवानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, वो हो जापान का मियाजाकी। मियाजाकी आम इंडिया में 50 से 70 हजार रुपए किलो बिकता है, जबकि विदेशों में इसकी कीमत इंडिया से 5 गुना ज्यादा या 2.50 से 3 लाख रुपए तक है। इसे “ऐग ऑप द सन” के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया का सबसे महंगा आम भी माना जाता है। इसके अलावा हेल्थ के हिसाब से यह भी आम की यह वैरायटी बेहद खास है। कैंसर की कोशिकाओं की ग्रोथ रोकने में असरदार है। इम्यूनिटी बूस्ट करने वाला फल भी है। यही वजह है कि लाडवा के इंडो-इजराइल सब ट्रॉपिकल सेंटर में भी इस पौधा लगाया गया है। भविष्य का फल मानते हुए इस पर रिसर्च भी चल रही है। वर्तमान में पौधे पर आम भी लगे हैं। फ्रूट फेस्टीवल में पहुंचे मियाजाकी आम के बारे में जानिए... 5 साल में तैयार होता पौधा, 4 फुट की हाइटnलाडवा के इंडो-इजराइल सब ट्रॉपिकल सेंटर में चल रहे फ्रूट फेस्टीवल में यूपी के मुजफ्फरनगर के किसान मोहम्मद साजिद इस आम को लेकर पहुंचे हैं। साजिद के मुताबिक, ये आम जापान के मियाजाकी प्रांत का फ्रूट है। इंडिया में इस आम को लोग मियाजाकी के नाम से जानते हैं। इसका पेड़ कद में छोटा महज 4 फुट का होता है, लेकिन इस पर फल आने में करीब 5 साल का समय लगता है। ये आम लाल रंग का होता है। एक आम का वजन 300 से 350 ग्राम तक होगा। सेहत का सुपर फ्रूट जापान का मियाजाकीnजिला उद्यान अधिकारी डॉक्टर शिवेंद्र प्रताप ने बताया कि ये आम स्वाद का खजाना ही नहीं, बल्कि सेहत का भी सुपर फ्रूट है। मियाजाकी आम एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड से भरपूर है। इसे कैंसर की कोशिकाओं की ग्रोथ रोकने में असरदार माना गया है। साथ ही यह इम्यूनिटी बूस्ट करने वाला फल भी है। इसलिए मियाजाकी आम विदेशों में करीब 3 लाख रुपए प्रति किलो बिकता है। इसका स्वाद उत्तर भारत के लोकप्रिय रटौल आम जैसा ही लगता है। रटौल यूपी के बागपत का कस्बा है, जहां के फेमस आम को रटौल के नाम से ही जाना जाता है। ऑस्ट्रेलिया, दुबई और इंग्लैंड में काफी डिमांडnइस आम की ऑस्ट्रेलिया, दुबई और इंग्लैंड जैसे देशों में काफी डिमांड है। अब इसकी बागवानी यूपी के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में भी की जा रही है। भारत से इसको विदेशों में एक्सपोर्ट भी किया जा रहा है। इसके अलावा चंडीगढ़ में भी कई लोग इस आम के शौकीन हैं, जिन्होंने अपने घरों या बागों में इस आम के पौधे लगाए हुए है। महंगा होने की वजह से इनकी सुरक्षा भी की जाती है। मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन ने सेंटर को गिफ्ट दिया था पौधाnलाडवा सेंटर में मियाजाकी आम का एकमात्र पेड़ फल-फूल रहा है। करीब एक साल पहले मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन ने सेंटर को गिफ्ट दिया था। इस पौधे की टपका विधि से सिंचाई की गई। फरवरी में पेड़ पर बौर आना शुरू हो जाता है। जून-जुलाई में इस पर फल आना शुरू होता है। सेंटर के पौधे पर करीब चार आम लगे हुए है, जिन्हें कवरअप किया गया है। अभी फल पकना शुरू नहीं हुआ है। सबसे बड़ा थाई मैंगो और छोटा देसी सीवर भी लुभा रहाnफ्रूट फेस्टीवल में थाई मैंगो (बॉम्बे ग्रीन) की वैरायटी का साइज सबसे बड़ा है। इसका वजन भी 1 किलो से ज्यादा है। इसके अलावा मैंगो की सबसे छोटी किस्म भी यहां देखने को मिली है,जिसे मैंगो ग्रेप्स कहा जाता है। किसान मैंगो की इस किस्म को देसी सीवर बुलाते हैं। इसका साइज 2 से ढाई इंच तक है। ये दोनों वैरायटी साउथ इंडियन हैं। नाशपती की 7 वैरायटीnफ्रूट फेस्टिवल में पंजाब से नाशपती की 7 तरह की वैराइटी है। इन वैराइटी निजी-सेकी नाशपती बेहद खास है। ये वैराइटी शुगर फ्री है। इसके अलावा नाशपती की पंजाब गोल्ड, लिकेंट, बब्बू-कोसा, पंजाब नख, पंजाब नेक्टर और पंजाब ब्यूटी किस्म का रंग, रूप और स्वाद भी अलग है। इंडिया में इसका रेट 250 से 300 रुपए प्रति किलो है, जबकि विदेशों में 500 से ज्यादा रेट है। सफेद मोती जैसे दाने वाले अनारnफेस्टिवल में सफेद दाने वाले अनार की 3 किस्में भी बेहद खास है। इनमें वंडरफुल अनार की किस्म शुगर फ्री है। इसके अलावा गणेश-137 और सुपर भगवा के दाने की सफेद है। हालांकि इनका साइज, रंग और वजन अलग-अलग है।nअनार की 2 और वैराइटी भगवा और मृदुला लाल दाने वाली है। इनमें भगवा अनार का साइज छोटा है। इसकी खासियत है कि अनार जितना छोटा उतना ही मीठा है। इसके अलावा मृदुला अनार का साइज तो नॉर्मल है, मगर इस अनार के दाने का स्वाद भी काफी मीठा है। --------------------- फ्रूट फेस्टीवल से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... कुरुक्षेत्र में राज्य स्तरीय फ्रूट फेस्टिवल शुरू:27 तरह के रंग-बिरंगे आम; थाई सबसे बड़ा तो ग्रेप्स सबसे छोटा मैंगो; शुगर फ्री अनार-नाशपती खास कुरुक्षेत्र के सब ट्रॉपिकल फ्रूट सेंटर लाडवा में आज (4 जुलाई) से 3 दिवसीय फ्रूट फेस्टिवल शुरू हो गया है। इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में आम की 27 रंग-बिरंगी वैरायटी के साथ नाशपाती और अनार की कई तरह की किस्में बेहद खास हैं। इन सभी फ्रूट्स का सेंटर में ही उत्पादन किया जा रहा है। (पूरी खबर पढ़ें) n