n महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने का फैसला रद्द:कक्षा 1-5वीं तक तीसरी लैंग्वेज बनाया था, सरकार ने तीन भाषा नीति पर आदेश वापस लिए n
n महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को तीन भाषा नीति से जुड़े अपने दो आदेश (GR) रद्द कर दिए। सरकार के इस आदेश के खिलाफ विपक्ष लगातार विरोध कर रहा था। इसके तहत सरकार ने इसी साल अप्रैल में कक्षा 1 से 5वीं तक तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। CM देवेंद्र फडणवीस और दोनों डिप्टी सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। CM ने कहा- तीन भाषा नीति को लेकर शिक्षाविद नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसके रिपोर्ट के बाद ही हिंदी की भूमिका पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। फडणवीस ने पूर्व CM उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाते हुए कहा- CM रहते उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक तीन भाषा नीति शुरू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकारा था। साथ ही नीति लागू करने पर समिति गठित की थी। 30 जून से महाराष्ट्र में विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। इससे एक दिन पहले ये घोषणा की गई है। इधर, हिंदी भाषा विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त रैली निकालने की बात भी कही थी। जिसे सरकार के फैसले के बाद रद्द कर दिया गया। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने इसी साल 16 अप्रैल में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया था। कक्षा 1 से 5वीं तक पढ़ने वाले स्टूडेंट्स तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा भी दूसरी भारतीय भाषाएं चुन सकते हैं। विरोध के बाद 17 जून को संशोधित आदेश जारी किया था, जिसमें हिंदी को ऑप्शनल बनाया गया। उद्धव बोले- हिंदी के खिलाफ नहीं, पर इसे थोपना सही नहीं शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि महायुति सरकार का फैसला राज्य में 'लैंग्वेज इमरजेंसी' घोषित करने जैसा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी हिंदी के भाषा के रूप में विरोध नहीं करती, लेकिन महाराष्ट्र में इसे थोपने के खिलाफ है। उन्होंने कहा था ऐसा करके महायुति अपनी राजनीति के लिए मराठी और हिंदी भाषी लोगों के बीच 'सद्भाव को जहर देना' चाहती है। उद्धव ने आगे कहा कि शिवसेना (यूबीटी) सरकार के फैसले के खिलाफ अपना विरोध तब तक जारी रखेगी, जब तक कि इसे वापस नहीं ले लिया जाता। राज ठाकरे बोले- सरकार को मालूम हो, महाराष्ट्र क्या चाहता है उधर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने 26 जून को कहा कि हमारी पार्टी एक रैली निकालेगी। सरकार को पता होना चाहिए कि महाराष्ट्र क्या चाहता है। महाराष्ट्र को अपनी पूरी ताकत दिखानी चाहिए। मैं अन्य राजनीतिक दलों से भी बात करूंगा। यह महाराष्ट्र में मराठी के महत्व को कम करने की साजिश है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं को भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेंगे तो ठाकरे ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से संपर्क किया जाएगा। महाराष्ट्र किसी भी लड़ाई से बड़ा है। हालांकि, ठाकरे के इस जवाब के अगले दिन यानी 27 जून (शुक्रवार) को दोनों पार्टियां में संयुक्त रैली निकालने पर सहमति बन गई है। पवार बोले- बच्चों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना सही नहीं एनसीपी (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार ने 26 जून को कहा था- महाराष्ट्र में कक्षा 1 से हिंदी अनिवार्य नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर कोई नई भाषा शुरू की जानी है, तो उसे कक्षा 5 के बाद ही शुरू किया जाना चाहिए। पवार ने कहा, कक्षा 5 के बाद हिंदी शुरू किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। देश का एक बड़ा वर्ग हिंदी बोलता है और इस भाषा को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का कोई कारण नहीं है।" हालांकि, पवार ने कहा कि छोटे बच्चों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना उचित नहीं है। महाराष्ट्र में भाषा विवाद क्या है, 4 पॉइंट ............................ भाषा विवाद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... शाह बोले- किसी विदेशी भाषा का विरोध नहीं: हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राजभाषा विभाग के कार्यक्रम में कहा- किसी भी भाषा का विरोध नहीं है। किसी विदेशी भाषा से भी कोई विरोध नहीं करना चाहिए। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी और सभी भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे आत्मगौरव के अभियान को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं। पढ़ें पूरी खबर... n
n जनगणना 2027- पहला फेज 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा:घरों की लिस्टिंग होगी; राज्यों को निर्देश- 31 दिसंबर 2025 तक सीमांकन पूरा करें n
n जाति गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना 2027 में की जाएगी। जनगणना लद्दाख,जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में 1 अक्टूबर 2026 को और 2027 को देश के बाकी हिस्सों में होगी। जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण यानी हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन में हर घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं की जानकारी इकट्ठा की जाएगी। केंद्र सरकार ने सभी विभागों को 31 दिसंबर 2025 से पहले नगर निगमों, राजस्व गांवों, तहसीलों, उप-विभागों या जिलों की सीमाओं में कोई भी प्रस्तावित बदलाव करने का निर्देश जारी किया गया है। यह अब तक की 16वीं और स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना है। यह जनगणना 16 साल बाद की जाएगी, क्योंकि पिछली जनगणना 2011 में की गई थी। भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने कहा कि 1 अप्रैल 2026 से मकानों की लिस्टिंग, सुपरवाइजर्स और गणना कर्मचारियों की नियुक्ति, काम का बंटवारा किया जाएगा। 1 फरवरी 2027 को जनसंख्या की जनगणना शुरू होगी। हाउसलिस्टिंग के लिए तैयार किए गए 3 दर्जन सवाल महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय ने नागरिकों से पूछे जाने वाले लगभग तीन दर्जन सवाल तैयार किए हैं। इस बार सर्वे के दौरान घरों से फोन, इंटरनेट, वाहन (साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार, जीप, वैन) और उपकरणों (रेडियो, टीवी, ट्रांजिस्टर) जैसी वस्तुओं के स्वामित्व के बारे में पूछा जाएगा। नागरिकों से अनाज की खपत, पीने के पानी और लाइटिंग, शौचालयों के प्रकार और उन तक पहुंच, अपशिष्ट जल का निपटान, स्नान और रसोई की सुविधाएं, खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन और एलपीजी/पीएनजी कनेक्शन के बारे में भी पूछा जाएगा। बाकी के सवालों में घर के फर्श, दीवारों और छत के लिए इस्तेमाल सामग्री, इसकी स्थिति, निवासियों की संख्या, कमरों की संख्या, विवाहित जोड़े और क्या घर की मुखिया महिला है या अनुसूचित जाति या जनजाति से है, यह सब शामिल हैं। इसके बाद दूसरे चरण यानी जनसंख्या गणना (पीई) में, हर घर के सभी सदस्यों का डेमोग्राफ, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और बाकी जानकारी ली जाएगी। प्रशासनिक सीमांकन की डेडलाइन 31 दिसंबर 2025 केंद्र सरकार ने सभी विभागों को 31 दिसंबर 2025 से पहले नगर निगमों, राजस्व गांवों, तहसीलों, उप-विभागों या जिलों की सीमाओं में कोई भी प्रस्तावित बदलाव करने का निर्देश जारी किया है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जनगणना के दौरान यानी 1 जनवरी 2026 और 31 मार्च 2027 के बीच प्रशासनिक यूनिट की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। मौजूदा सीमाओं में किसी भी बदलाव की सूचना राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जनगणना निदेशालयों और भारत के महापंजीयक को 31 दिसंबर 2025 तक देनी होगी, क्योंकि इसी दिन जनगणना 2027 के लिए, प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं फ्रीज कर दी जाएंगी। नियमानुसार जिलों, उप-जिलों, तहसीलों, तालुकाओं और पुलिस स्टेशनों जैसी प्रशासनिक यूनिट की सीमाओं को निर्धारित करने के तीन महीने बाद ही जनगणना की जा सकती है। काम बांटने के लिए बनेंगे ब्लॉक गणना करने वाले कर्मचारियों के लिए काम का लोड बराबरी से बांटा जा सकते, इसके लिए, एक प्रशासनिक यूनिट को मैनेजेबल सेक्शन में डिवाइड किया जाता है जिन्हें ब्लॉक कहते हैं। ब्लॉक जनगणना के उद्देश्यों के लिए एक काल्पनिक मानचित्र पर किसी गांव या कस्बे के भीतर स्पष्ट परिभाषित क्षेत्र है। इन्हें हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन के दौरान हाउसलिस्टिंग ब्लॉक (एचएलबी) और जनसंख्या गणना के दौरान गणना ब्लॉक (ईबी) कहा जाता है और ये जनगणना के लिए सबसे छोटी प्रशासनिक यूनिट के रूप में काम करते हैं। n