n उपराष्ट्रपति ने संविधान से धर्मनिरपेक्ष-समाजवादी शब्द हटाने का समर्थन किया:धनखड़ बोले- ये शब्द नासूर बन गए, संविधान प्रस्तावना पवित्र, इमरजेंसी में इसे बदला गया n
n उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि आपातकाल के दौर में संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके जोड़े गए 'धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी' शब्द नासूर बन गए हैं। प्रस्तावना पवित्र है और इसे बदला नहीं जा सकता, जोड़े गए शब्द सनातन की भावना का अपमान हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा- आपातकाल के दौरान 1976 में प्रस्तावना में डाले गए शब्द नासूर थे और उथल-पुथल मचा सकते थे। ये बदलाव संविधान के साथ विश्वासघात का संकेत देते हैं। यह देश की हजारों सालों की सभ्यता-संपदा और ज्ञान को छोटा करने के सिवा कुछ नहीं है। धनखड़ ने प्रस्तावना को एक बीज बताया, जिस पर संविधान विकसित होता है। उन्होंने कहा कि भारत के अलावा किसी अन्य संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा- संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं किया जा सकता, लेकिन इस प्रस्तावना को 42वें संविधान (संशोधन) अधिनियम 1976 से बदल दिया गया, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता शब्द जोड़े गए। शनिवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पूर्व भाजपा एमएलसी डीएस वीरैया की बुक ‘अंबेडकर के संदेश’ के लॉन्च के दौरान कही। उन्होंने कहा कि बी.आर. अंबेडकर ने संविधान पर कड़ी मेहनत की थी। उन्होंने निश्चित तौर पर इन बदलाव पर ध्यान केंद्रित किया होगा। दरअसल 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्द 1976 में 42वें संशोधन के जरिए शामिल किए गए थे। इस दौरान देश में आपातकाल था। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। यह 21 मार्च 1977 यानी 21 महीने तक लागू रहा था। भाजपा इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाती है। होसबाले ने कहा था- इमरजेंसी में संविधान की हत्या हुई 26 जून को दिल्ली में डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम और 27 जून को हैदराबाद में ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम में RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था कि मूल संविधान में सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द नहीं थे। इमरजेंसी के समय इन्हें जोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा था- आपातकाल के दौरान भारत के संविधान की प्रस्तावना में दो शब्द सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म जोड़े गए। ये पहले संविधान की प्रस्तावना में नहीं थे। बाद में इन्हें निकालने की कोशिश नहीं हुई। चर्चा हुई दोनों प्रकार के पक्ष रखे गए। तो क्या ये शब्द संविधान में रहना चाहिए। इस पर विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इमरजेंसी के समय संविधान की हत्या की गई थी और न्यायपालिका की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी। इमरजेंसी के दौरान एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल में डाला गया, 250 से ज्यादा पत्रकारों को कैद किया गया, 60 लाख लोगों की जबरन नसबंदी करवाई गई। अगर ये काम उनके पूर्वजों ने किया था तो उनके नाम पर माफी मांगनी चाहिए।' राहुल गांधी ने कहा था- RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए दत्तात्रेय के बयान पर राहुल गांधी ने X पोस्ट में लिखा था- भाजपा-RSS बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है।' संविधान की मूल प्रस्तावना और 42वां संशोधन, ग्राफिक्स से समझें संविधान के मुताबिक सोशलिस्ट-सेक्युलर का मतलब सोशलिस्ट (समाजवादी) : ऐसी व्यवस्था जिसमें आर्थिक और सामाजिक समानता हो, संसाधनों का समान वितरण हो और गरीबों, कमजोरों के अधिकारों की रक्षा की जाए। यानी भारत में आर्थिक और सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया जाएगा। सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) : राज्य सभी धर्मों का समान सम्मान करता है, किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेता और धर्म से ऊपर उठकर शासन करता है। यानी भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहेगा, जहां सभी धर्मों का समान सम्मान होगा और राज्य किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेगा। खड़गे बोले- बीजेपी का संविधान बनाने और आजादी में कोई योगदान नहीं 25 जून को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'जिस बात को 50 साल हो गए, ये लोग उसे बार-बार दोहरा रहे हैं। जिनका देश की आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं, जिनका संविधान निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा। वे हमेशा संविधान के खिलाफ बात करते हैं।' खड़गे ने कहा था, " अंबेडकर, नेहरू और संविधान सभा ने जो संविधान तैयार किया उस संविधान को भी भाजपा ने रामलीला मैदान में जलाया। उन्होंने अंबेडकर, नेहरू गांधी की फोटो जलाई थी। मनुस्मृति के तत्व संविधान में नहीं थे इसलिए वे संविधान को नहीं मानते।" PM ने लिखा था- इमरजेंसी लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय 25 जून को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर एक प्रस्ताव पास किया गया। इसके बाद आपातकाल के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के रूप में दो मिनट का मौन रखा गया। पीएम मोदी ने लिखा था, "इमरजेंसी लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं।" .......................... इमरजेंसी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... इमरजेंसी के 50 साल-PM सहित पूरी कैबिनेट ने मौन रखा:मोदी ने लिखा- कांग्रेस ने लोकतंत्र को कैद किया; खड़गे का जवाब- ये झूठ छिपाने का नाटक पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट बैठक में आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर एक प्रस्ताव पास किया गया। इससे पहले बुधवार सुबह पीएम मोदी ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि इस दिन कांग्रेस ने लोकतंत्र को कैद कर लिया था। प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दी थी। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जवाब दिया कि, ये लोग अपनी गलती छिपाने के लिए यह सब नाटक करते हैं। पूरी खबर पढ़ें... n
n भोपाल में 90 डिग्री मोड़ वाले ब्रिज को लेकर एक्शन:सीएम ने 8 अफसरों को किया सस्पेंड, डिजाइन और निर्माण एजेंसी भी ब्लैकलिस्ट n
n भोपाल के 90 डिग्री एंगल वाले ऐशबाग आरओबी के निर्माण में हुई गंभीर लापरवाही पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 8 अफसरों को सस्पेंड करने के निर्देश दिए हैं। शनिवार रात मुख्यमंत्री ने एक्स पर लिखा है कि मैंने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर लोक निर्माण विभाग के 8 इंजीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई है। दो सीई सहित सात इंजीनियर्स को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है। एक सेवानिवृत एसई के खिलाफ विभागीय जांच की जाएगी। इस प्रोजेक्ट में आरओबी का त्रुटिपूर्ण डिजाइन प्रस्तुत करने पर निर्माण एजेंसी एवं डिजाइन कंसल्टेंट, दोनों को ब्लैक लिस्ट किया है। आरओबी में आवश्यक सुधार के लिए कमेटी बनाई गई है। सुधार के बाद ही आरओबी का लोकार्पण किया जाएगा। सस्पेंड अफसरों पर कल तय होंगे आरोपnअपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग नीरज मंडलोई ने बताया कि जिन अफसरों पर कार्रवाई हुई है। उनके खिलाफ कल आरोप तय किए जाएंगे। ये अफसर जिम्मेदार n1. शानुल सक्सेना, सहायक यंत्री: रेलवे से सहमति लिए बिना 16 दिसंबर 2021 को जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग 393अ का अनुमोदन किया था। n2. शबाना रज्जाक, प्रभारी कार्यपालन यंत्री:रेलवे से सहमति लिए बिना जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग 393अ का अनुमोदन किया था।n3. संजय खांडे, प्रभारी मुख्य अभियंता:अभी रीवा परिक्षेत्र में पदस्थ हैं। डिजाइन के गलत अनुमोदन के मामले में कार्रवाई की गई है। n4. उमाशंकर मिश्रा, उपयंत्री : वर्तमान में अधीक्षण यंत्री भोपाल मंडल क्रमांक एक में पदस्थ हैं। बिना रेलवे की सहमति के जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग का अनुमोदन कराकर काम कराया गया। n5. रवि शुक्ला प्रभारी, अनुविभागीय अधिकारी: अभी अधीक्षण यंत्री के रूप में पदस्थ हैं, इनके द्वारा भी कार्य कराने में गलती की गई है। n6. जीपी वर्मा प्रभारी, मुख्य अभियंता: सेतु परिक्षेत्र भोपाल द्वारा आरओबी के निर्माण में त्रुटिपूर्ण कार्यवाही कराई है।n7. जावेद शकील, तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री: वर्तमान में प्रभारी अधीक्षण यंत्री कार्यालय मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र में पदस्थ हैं।n8. एमपी सिंह, प्रभारी अधीक्षण यंत्री: डिजाइन कार्यालय मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग सेतु मंडल जो वर्तमान में रिटायर हैं। इन्होंने डिजाइन का अनुमोदन किया है। समय-सीमा से एक साल प्रोजेक्ट लेटnऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज (ROB) का निर्माण 21 मई 2022 को शुरू था। समय-सीमा से प्रोजेक्ट एक साल देरी से चल रहा है। 17 करोड़ 37 लाख की लागत वाले ब्रिज का निर्माण अगस्त 2024 में पूरा होना था। लेकिन, जून 2025 में भी इसे बनाने की प्रक्रिया जारी है। मंत्री राकेश सिंह ने कराई थी जांचnबता दें, पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) से जांच करवाई थी। एनएचएआई ने ब्रिज को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें 35-40 किमी प्रति घंटा से अधिक गति से गाड़ी नहीं चलाने का सुझाव दिया गया है। इससे अधिक स्पीड में गाड़ी चली तो हादसा होने का खतरा है। ऐसे में इस ब्रिज को रिडिजाइन करने का फैसला लिया गया है। हालांकि इस मामले में अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। 90 डिग्री एंगल वाले ब्रिज का ड्रोन व्यू... सोशल मीडिया पर मीम्स भी बनेnभोपाल में बने इस रेलवे ओवरब्रिज को लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर मीम्स भी बनाए हैं। इस ब्रिज पर 90 डिग्री के एंगल से मोड़ दिया गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि यहां वाहन कैसे टर्न लेंगे। वाहनों के या तो ब्रिज की दीवारों से या फिर आपस में टकराने का खतरा बना रहेगा। क्रॉसिंग बंद होने से ब्रिज की जरूरतnब्रिज के निर्माण के समय रेलवे ने भी 90 डिग्री की इस टर्निंग पर आपत्ति की थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने यहां जगह कम होने का हवाला देते हुए कहा था कि और कोई विकल्प नहीं है। ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग बंद होने के बाद इस इलाके के लिए आरओबी एक बड़ी जरूरत है। इसलिए कम जगह में भी इसे बनाना होगा। 18 महीने में बनकर तैयार होना थाnइस ब्रिज का निर्माण मई 2022 में शुरू हुआ था और इसे 18 महीने में पूरा करना था, लेकिन अब तक पूरी तरह से नहीं बन सका है। इसकी लागत 18 करोड़ रुपए है। 648 मीटर लंबे और 8 मीटर की चौड़ाई वाले ब्रिज का 70 मीटर हिस्सा रेलवे का है। यह खबर भी पढ़ें... ऐशबाग आरओबी को लेकर एनएचएआई की रिपोर्ट... ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग पर निर्माणाधीन आरओबी पर 90 डिग्री के मोड़ को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक यहां 35-40 किमी प्रति घंटा से अधिक गति से गाड़ी नहीं चलाई जा सकेगी। मोड़ पर तो गाड़ी की स्पीड 30 किमी प्रति घंटा करना पड़ेगी। इसके लिए स्पीड कम करने के उपाय करना होंगे। पूरी खबर पढ़ें... n